प्रदेश सरकार के आय के साधन बढाए और खर्चों में बचत करे: शान्ता कुमार

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा बरसात तो चली गई परन्तु इस बार अपने पीछे एक भयंकर आपदा के घाव छोड़ कर गई है। बर्वाद हुए लोगों को फिर से बसाना और सड़कों, घरों और कारोबार को शुरू करवाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए सरकार को अपनी आय के साधन बढ़ाने की कोशिश भी करनी चाहिए।
उन्होंने कहा इस दृश्टि से हिमाचल सरकार ने पन बिजली परियोजनाओं में रॉयल्टी बढ़ाना तथा वाटर सेस लेने का अच्छा निर्णय किया है। इस पर पूरा काम किया जाना चाहिए और भी आय के साधन तलाश किये जाने चाहिए।
शान्ता कुमार ने कहा इसके साथ ही सरकार को अपने सब प्रकार के खर्चों में हर प्रकार की बचत करने का भी काम शुरू करना चाहिए।केन्द्रीय योजनाओं का धन मिला कर इस वर्ष हिमाचल प्रदेश का बजट 60 हजार करोड़ रू0 का है। गैर योजनाओं के खर्चों में बहुत कमी की जा सकती है। सरकार अतिशीघ्र कुछ अनुभवी विशेषज्ञ की एक कमेटी बनायें जो सरकार के सभी विभागों में बचत करने का सुझाव दें। प्रशासनीक और गैर योजनाओं के खर्चों में 10 प्रतिशत की बचत तुरन्त की जा सकती है।
उन्होंने कहा 1977 में साधन बढ़ाने की कोशिश भी की थी और मुझे याद है सांसद गंगा सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी जिसने बहुत से उपयोगी सुझाव दिये थे। दो वर्ष में छोटे से हिमाचल प्रदेश में लगभग 50 करोड़ रू0 की बचत हुई थी जिस पैसे को मैंने पीने के पानी की योजनाओं पर खर्च किया था। उस समय का हिमाचल प्रदेश का बजट आज के मुकाबले चौथा हिस्सा भी नही था। आज 60 हजार करोड़ रू0 बजट में तो बहुत अधिक बचत की जा सकती है। मुझे याद है सबसे अधिक बचत सरकारी गाड़ियों के खर्चों को कम करने से हुई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय में पत्रों के उत्तर देने के लिए पोस्ट कार्ड और अन्तर्देशीय का उपयोग तक करके भी बचत की गई थी। एक-एक बूंद पानी से घड़ा भरता भी है और खाली भी हो जाता है।
