• October 20, 2025

दिल्ली में कांवड़ यात्रा पर सियासी घमासान: कपिल मिश्रा और आशीष सूद ने AIMIM को घेरा

दिल्ली में कांवड़ यात्रा को लेकर सियासी घमासान एक बार फिर सुर्खियों में है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं कपिल मिश्रा और आशीष सूद ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पर तीखा हमला बोला है। कांवड़ यात्रा, जो सावन के महीने में हिंदू भक्तों द्वारा की जाने वाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस यात्रा के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच तनाव देखा जाता रहा है। इस बार, AIMIM के कुछ बयानों और कथित तौर पर यात्रा के खिलाफ टिप्पणियों ने विवाद को और हवा दी है। कपिल मिश्रा और आशीष सूद ने AIMIM पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने और साम्प्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, AIMIM ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया है। यह विवाद न केवल धार्मिक संवेदनशीलता का मुद्दा बन गया है, बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला रहा है। आइए, इस मुद्दे को पांच हिस्सों में समझते हैं।
कांवड़ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म की एक पवित्र परंपरा है, जो सावन मास में मनाई जाती है। लाखों शिव भक्त गंगा नदी से जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। दिल्ली में यह यात्रा विशेष उत्साह के साथ आयोजित होती है, जहां भक्त हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य पवित्र स्थानों से कांवड़ लाते हैं। यह यात्रा आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। हालांकि, यात्रा के दौरान ट्रैफिक, सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर अक्सर विवाद होते हैं। इस साल, उत्तर प्रदेश सरकार के नेमप्लेट लगाने के निर्देश ने तनाव बढ़ाया, जिसे कुछ दलों ने साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की। कपिल मिश्रा और आशीष सूद ने AIMIM पर इस मुद्दे को भड़काने का आरोप लगाया, जिससे दिल्ली में सियासी माहौल गरमा गया है। यह विवाद धार्मिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है।
BJP नेताओं का AIMIM पर हमला

BJP नेताओं कपिल मिश्रा और आशीष सूद ने AIMIM पर कांवड़ यात्रा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों का आरोप लगाया है। कपिल मिश्रा, जो अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने दावा किया कि AIMIM हिंदू त्योहारों को निशाना बनाकर साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर रही है। आशीष सूद ने AIMIM को “हिंदू विरोधी” करार देते हुए कहा कि उनकी नीतियां समाज को बांटने का काम करती हैं। दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर AIMIM के खिलाफ तीखी बयानबाजी की। मिश्रा ने विशेष रूप से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को निशाना बनाया, आरोप लगाया कि उनकी पार्टी दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए धार्मिक मुद्दों का दुरुपयोग कर रही है। इन बयानों ने दिल्ली की सियासत में नया तनाव पैदा कर दिया है, जिससे दोनों दलों के बीच वाकयुद्ध और तेज हो गया है।
AIMIM का जवाब और बचाव

AIMIM ने BJP के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जमई ने कहा कि उनकी पार्टी कांवड़ यात्रा या किसी धार्मिक आयोजन के खिलाफ नहीं है। उन्होंने BJP पर धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। AIMIM ने दावा किया कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। पार्टी ने यह भी कहा कि नेमप्लेट लगाने जैसे फैसले सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकते हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने हमेशा सामाजिक समानता और एकता की वकालत की है, लेकिन BJP इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। AIMIM ने जोर देकर कहा कि उनकी प्राथमिकता दिल्ली की जनता के हितों की रक्षा करना है, न कि धार्मिक विवादों में उलझना। इस जवाब ने विवाद को और जटिल बना दिया है।
विवाद की पृष्ठभूमि और राजनीतिक प्रभाव

दिल्ली में कांवड़ यात्रा को लेकर सियासी तनाव कोई नई बात नहीं है। धार्मिक आयोजनों को लेकर पहले भी राजनीतिक दलों के बीच तनातनी देखी गई है। कपिल मिश्रा का विवादों से पुराना नाता रहा है, खासकर 2020 के दिल्ली दंगों के बाद, जब उन पर भड़काऊ बयान देने के आरोप लगे थे। दूसरी ओर, AIMIM दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश में है, जिसे BJP धार्मिक ध्रुवीकरण के जरिए कमजोर करने की रणनीति अपना रही है। इस विवाद ने दिल्ली की जनता के बीच भी बहस छेड़ दी है, जहां कुछ लोग इसे धार्मिक अस्मिता का सवाल मानते हैं, तो कुछ इसे सियासी नौटंकी करार दे रहे हैं। यह विवाद आगामी चुनावों में दिल्ली की राजनीति को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि दोनों दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में हैं।
सामाजिक सौहार्द और भविष्य की चुनौतियां

इस सियासी घमासान ने दिल्ली में सामाजिक सौहार्द पर सवाल उठाए हैं। कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन, जो एकता और आस्था का प्रतीक हैं, राजनीतिक विवादों की भेंट चढ़ रहे हैं। BJP और AIMIM के बीच इस तनाव ने समाज में ध्रुवीकरण की आशंका बढ़ा दी है। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि यात्रा के दौरान शांति और व्यवस्था बनी रहे। नेमप्लेट जैसे मुद्दों ने व्यापारियों और स्थानीय समुदायों के बीच भी तनाव पैदा किया है। भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए राजनीतिक दलों को संयम और संवाद की राह अपनानी होगी। दिल्ली की बहुसांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए सभी पक्षों को धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान करना होगा। यह विवाद न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *