JF-17 इंजन डील पर भारत में सियासी तूफान: रूस-पाकिस्तान सौदे के दावों ने कांग्रेस-बीजेपी को आमने-सामने खड़ा किया
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर 2025: रूस द्वारा पाकिस्तान को JF-17 थंडर ब्लॉक III फाइटर जेट के लिए RD-93MA इंजन सप्लाई करने के दावों ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया। कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक नाकामी करार दिया, जबकि बीजेपी ने आरोपों को प्रोपगैंडा बताकर खारिज किया। क्या रूस का यह कदम भारत-पाक तनाव को नई ऊंचाई देगा? आइए, इस विवाद की परतें खोलते हैं।
रूस-पाक डील के दावे: JF-17 को नई ताकत, भारत की चिंताएं
रूस की यूनाइटेड इंजन कॉर्पोरेशन (UEC)-क्लिमोव द्वारा पाकिस्तान को RD-93MA इंजन सप्लाई के दावे ने सुर्खियां बटोरीं। यह उन्नत टर्बोफैन इंजन, जो 93 kN थ्रस्ट देता है, JF-17 ब्लॉक III की रीढ़ बनेगा। मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी JF-17 ने PL-15 मिसाइलों का इस्तेमाल किया था, जिससे भारत की हवाई सीमा पर खतरा बढ़ा। डिफेंस सिक्योरिटी एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2025 में रूस ने इंजन डिलीवर किए, भारत की अपीलों को नजरअंदाज करते हुए। न्यू डेल्ही ने मिड-2025 में स्पेयर पार्ट्स तक रोकने की मांग की, लेकिन मॉस्को ने खारिज कर दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर कहा, “रूस, जो कभी हमारा सबसे भरोसेमंद साझेदार था, अब पाकिस्तान की मदद कर रहा है।” उन्होंने S-400 और Su-57 डील्स पर सवाल उठाए, इसे “छवि-प्रधान कूटनीति” की नाकामी बताया। ईएएम एस. जयशankar की जून 2025 की अपील के बावजूद डील आगे बढ़ रही है, जिससे भारत-पाक हवाई संतुलन बिगड़ने का डर है। यह विवाद दक्षिण एशिया की हथियारों की दौड़ को तेज कर रहा है।
कांग्रेस का हमला: मोदी की कूटनीति पर सवालों की बौछार
कांग्रेस ने रूस-पाक डील को मोदी सरकार की विदेश नीति की सबसे बड़ी विफलता बताया। जयराम रमेश ने कहा, “हाई-प्रोफाइल समिट्स और हग डिप्लोमेसी के बावजूद रूस पाकिस्तान की ओर झुक गया।” उन्होंने IAF चीफ के बयान का हवाला दिया, जिसमें JF-17 को ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल होने वाला विमान बताया गया। रमेश ने मांगा कि सरकार स्पष्ट करे क्यों रूस भारत की अपीलों को अनदेखा कर रहा है, जबकि भारत Su-30MKI, T-90 और S-400 जैसे हथियार खरीदता है। द हिंदू और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह डील जून 2025 में जयशankar की मॉस्को यात्रा के बाद भी आगे बढ़ी। कांग्रेस का तर्क है कि यह पाकिस्तान को हवाई श्रेष्ठता देगा, जो LoC पर तनाव बढ़ाएगा। पार्टी ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की अनदेखी” करार दिया, और विपक्षी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया। यह हमला मोदी की पर्सनलाइज्ड डिप्लोमेसी पर सीधा प्रहार है, जो अब घरेलू राजनीति का हथियार बन गया। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस का व्यावहारिक रुख (चीन-पाक गठजोड़) भारत के लिए सबक है।
बीजेपी का पलटवार: प्रोपगैंडा और झूठी खबरों का आरोप
बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से नकारा। प्रवक्ता अमित मालवीय ने X पर जयराम रमेश पर “झूठ फैलाने” का इल्जाम लगाया। उन्होंने कहा, “रमेश ने अप्रसिद्ध वेबसाइट्स की प्रो-पाक प्रोपगैंडा खबरों का सहारा लिया। रूस ने सभी दावों को खारिज किया है।” मालवीय ने इसे “सूचना युद्ध” का हिस्सा बताया, जहां कांग्रेस राष्ट्रहित के बजाय पाकिस्तान के साथ खड़ी हो रही है। बीजेपी का दावा है कि कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, और JF-17 के इंजन चीनी WS-13 से भी चल सकते हैं। इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने भारत की मांग ठुकराई, लेकिन बीजेपी इसे कांग्रेस की “गैर-जिम्मेदाराना राजनीति” बता रही। मालवीय ने कहा कि मोदी सरकार ने रूस के साथ रक्षा सहयोग मजबूत किया है, और कांग्रेस पुरानी अफवाहें फैला रही। यह पलटवार विपक्ष को राष्ट्रीय सुरक्षा पर गैर-जिम्मेदार ठहराने का प्रयास है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद 2026 चुनावों से पहले सियासी ध्रुवीकरण बढ़ाएगा। क्या रूस आधिकारिक बयान देगा? सस्पेंस बरकरार है।
