आक्रोश पड़ा भारी! कांग्रेस ने बिहार चुनाव के बीच कृष्णा अल्लावरु को अहम पद से क्यों हटाया?
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस में आंतरिक कलह ने जोर पकड़ लिया है। राज्य प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को यूथ कांग्रेस के प्रभारी पद से हटा दिया गया है, और उनकी जगह मनीष शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह फैसला कार्यकर्ताओं के बढ़ते आक्रोश और टिकट वितरण पर विवाद के बीच आया है, जो पार्टी की एकता को चुनौती दे रहा है। राहुल गांधी के करीबी अल्लावरु पर भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप लगे हैं। लेकिन क्या है इस हटाने के पीछे की पूरी सच्चाई, जो चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती है? आइए, तीन हिस्सों में जानते हैं इस घटनाक्रम को, जहां हर कदम पर राजनीतिक संदेश छिपा है।
टिकट विवाद का विस्फोट: कार्यकर्ताओं का गुस्सा
बिहार में महागठबंधन की सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आक्रोश फूट पड़ा। सदाकत आश्रम (कांग्रेस मुख्यालय) में अल्लावरु के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि टिकट वितरण में अल्लावरु ने पैसे लेकर पक्षपात किया, आरएसएस से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाया। एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रदेश कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के अध्यक्ष आदित्य पासवान ने अल्लावरु को ‘टिकट चोर’ कहकर निशाना बनाया। पासवान ने चिल्लाते हुए कहा, “आपने सारे टिकट संघ के लोगों को दे दिए, राहुल गांधी की नीतियों का अपमान किया।” अल्लावरु चुपचाप सुनते रहे। आनंद माधव जैसे नेता बोले, “कांग्रेस का नुकसान हमारा नुकसान है।” यह आक्रोश फरवरी 2025 में अल्लावरु की बिहार प्रभारी नियुक्ति के बाद से पनप रहा था।
हाईकमान का फैसला: दोहरी जिम्मेदारी या आक्रोश का असर
23 अक्टूबर को जारी प्रेस रिलीज में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मनीष शर्मा को यूथ कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया। अल्लावरु अब सिर्फ बिहार प्रभारी रहेंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह फैसला एक महीने पहले हो चुका था, क्योंकि अल्लावरु दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। लेकिन टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं—चुनाव के बीच में ऐलान क्यों? पूर्व नेता आकाश कुमार सिंह ने फेसबुक पर लिखा, “अल्लावरु ने गुजरात, पंजाब और अब बिहार को बर्बाद किया। वे कांग्रेस कार्यक्रमों से पैसे कमाते थे।” राहुल गांधी के विश्वासपात्र अल्लावरु (कर्नाटक मूल के) पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने हाईकमान को मजबूर किया। अशोक गहलोत ने लालू और तेजस्वी से मुलाकात कर स्थिति संभाली, लेकिन यह बदलाव पार्टी की एकता को बचाने का प्रयास लगता है।
चुनाव पर असर: पार्टी की रणनीति में बदलाव
यह हटाना बिहार चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस की रणनीति में बड़ा मोड़ है। अल्लावरु की विदाई से युवा विंग मजबूत हो सकता है, लेकिन बिहार इकाई में कलह बढ़ सकती है। कार्यकर्ता अब ‘बिहार कांग्रेस बचाओ’ के नारे लगा रहे हैं, और प्रदर्शनकारी उपवास पर हैं। मनीष शर्मा की नियुक्ति से यूथ कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलेगी, लेकिन अल्लावरु पर लगे आरोपों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम हाईकमान का बुद्धिमत्तापूर्ण फैसला है, जो आंतरिक कलह को दबाने का प्रयास है। हालांकि, आदित्य पासवान जैसे नेताओं का बयान वायरल हो रहा है, जो पार्टी को और कमजोर कर सकता है। बिहार चुनाव में कांग्रेस के लिए यह परीक्षा बन गया है—क्या वे एकजुट हो पाएंगे?