रेल हादसे में मृत्यु पर बीमा राशि के साढे बावन लाख रुपये देने का आदेश
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ट्रेन दुर्घटना में बीमाधारी की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी द्वारा मानसिक रोगी बताकर दावा खारिज किए जाने को सेवा में कमी और त्रुटि माना है। परिवाद मंजूर करते हुए आयोग के अध्यक्ष डा श्यामसुंदर लाटा और सदस्य अफसाना खान ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए दावा राशि 5 लाख 52 हजार 500 रुपये मय जनवरी 2022 से 9 फीसदी ब्याज दो माह में अदा करने का आदेश पारित किया है।
मृतक की पत्नी सीमा और नियोक्ता जेके व्हाइट सीमेंट ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से परिवाद पेश कर कहा कि सीमेंट कम्पनी द्वारा अपने 1356 कर्मियों का समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा आवरित था और 30 जुलाई 2020 को रेल लाइन पार करते समय मालगाड़ी के चपेट में आने से बीमित रामदेव का दावा बीमा कंपनी ने यह कहकर खारिज कर दिया कि मृतक के चचेरे भाई ने प्रथम सूचना रपट में मृतक को मानसिक रोगी बताया है जो कि बीमा पॉलिसी में अपवर्जित है। अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि मृतक नियमित कर्मचारी था लेकिन बीमा कंपनी यह साबित करने में बिलकुल ही नाकाम रही कि ट्रेन दुर्घटना मृतक के मानसिक रोगी या पागलपन की वजह से हुई हो इसलिए परिवाद मंजूर किया जाए। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि मृतक मानसिक रोगी था और वह इसका नियमित इलाज ले रहा था।
आयोग अध्यक्ष डॉ. श्यामसुंदर लाटा और सदस्य अफसाना खान ने बीमा कंपनी पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए कहा कि मृतक दुर्घटना के पूर्व तक ड्यूटी पर जा रहा था और दुर्घटना के समय अपने बच्चों के लिए दूध लेने जा रहा था और पागल व्यक्ति से यह आशा नहीं की जा सकती कि वह घर के सामान्य कामकाज कर सके। उन्होंने कहा कि दुर्घटना कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौरान हुई है और उस समय कई लोगों का मानसिक संतुलन स्थिर नहीं था। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी यह साबित करने में अक्षम रही कि ट्रेन दुर्घटना मृतक के मानसिक रोग या पागलपन की वजह से ही हुई हो। उन्होंने दुर्घटना से मृत्यु के बावजूद दावा खारिज किए जाने को बीमा कंपनी की सेवा में कमी और त्रुटि बताते हुए बीमा कंपनी को आदेश दिया कि दो माह में दावा राशि 5 लाख 52 हजार 500 रुपए मय जनवरी 2022 से 9 फीसदी ब्याज अदा करें।