ओडिशा SI भर्ती घोटाले का पर्दाफाश: सीमा पर रुकी साजिश
भुवनेश्वर, 2 अक्टूबर 2025: ओडिशा में एक सनसनीखेज भर्ती घोटाले ने लाखों युवाओं के सपनों पर सवाल उठा दिए हैं। सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा से पहले, सैकड़ों उम्मीदवारों का एक समूह गुप्त योजना के साथ सीमा पार करने को तैयार था। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत हो सकती है। आंध्र प्रदेश सीमा पर रुकी बसों ने एक संगठित गिरोह की गहरी साजिश को उजागर किया। भ्रष्टाचार का यह जाल कैसे फैला? क्या बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा इसके शिकार बन रहे हैं? दलालों की चालाकी और पुलिस की सतर्कता की यह कहानी कई सवाल छोड़ती है। क्या भविष्य की भर्तियां सुरक्षित होंगी? पूरी कहानी जानने के लिए आगे पढ़ें।
गुप्त सूचना और सीमा पर छापा
सोमवार रात ओडिशा पुलिस को एक गुमनाम कॉल मिली, जिसमें सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा से जुड़ी धांधली की सूचना थी। भुवनेश्वर के बारामुंडा बस स्टैंड से तीन एसी स्लीपर बसें विजयनगरम की ओर जा रही थीं, जिनमें 117 यात्री सवार थे। बेरहमपुर पुलिस ने आंध्र-ओडिशा सीमा पर बसों को रोका। जांच में पता चला कि 114 यात्री ओडिशा पुलिस भर्ती बोर्ड (OPRB) की CPSE-2024 परीक्षा के उम्मीदवार थे, और तीन दलाल थे। यह परीक्षा 5-6 अक्टूबर को होनी थी, जिसमें 933 पदों के लिए 1.53 लाख आवेदन आए थे। संदिग्ध दस्तावेजों ने साजिश की पुष्टि की। पुलिस ने FIR दर्ज की, जिसमें BNS धाराओं और ओडिशा पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट-2024 के तहत कार्रवाई शुरू हुई।
सौदे की काली सच्चाई
पूछताछ से पता चला कि उम्मीदवारों ने एक संगठित नेटवर्क से सौदा किया था। योजना थी कि विजयनगरम में गुप्त प्रश्नपत्र हासिल कर भुवनेश्वर लौटा जाए। हर उम्मीदवार ने 25 लाख रुपये का सौदा तय किया—10 लाख एडवांस, बाकी 15 लाख नौकरी मिलने पर। दलालों ने गुप्त यात्रा के लिए बसें बुक की थीं। यह गिरोह लंबे समय से सरकारी भर्तियों में धांधली कर रहा था। ज्यादातर उम्मीदवार ग्रामीण क्षेत्रों से थे, जो बेरोजगारी से तंग थे। जब्त सामान से पुष्टि हुई कि प्रश्नपत्र लीक हो चुका था। गिरोह को अरबों का मुनाफा होने वाला था। ओडिशा पुलिस ने इसे संगठित अपराध करार दिया, जो युवाओं की उम्मीदों का शोषण कर रहा था।
गिरफ्तारियां और कानूनी कार्रवाई
मंगलवार सुबह 117 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उम्मीदवारों को गोलंठरा थाने में रखा गया, और दलालों से गहन पूछताछ शुरू हुई। धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप लगे। नया एक्ट लागू होने से 5 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना हो सकता है। OPRB ने परीक्षा रद्द कर दी, जिससे लाखों उम्मीदवार प्रभावित हुए। आंध्र पुलिस से सहयोग मांगा गया, क्योंकि साजिश सीमा पार तक फैली थी। मास्टरमाइंड की तलाश जारी है, जो शायद प्रशासन में भी सांठ-गांठ रखता है। सोशल मीडिया पर परिजनों का गुस्सा फूटा, जो न्याय मांग रहे हैं। यह घटना भर्ती प्रक्रिया की कमजोरियों को उजागर करती है।
भविष्य की चुनौतियां और सबक
यह घोटाला भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। 1.53 लाख उम्मीदवारों में से कई ने ईमानदारी से मेहनत की, लेकिन सौदेबाजी ने सबको संदेह के घेरे में ला दिया। पुलिस ने कड़ी निगरानी की चेतावनी दी, लेकिन सिस्टम में पारदर्शिता का सवाल बरकरार है। नई परीक्षा की तारीख जल्द आएगी, पर विश्वास बहाली चुनौतीपूर्ण होगी। यह मामला राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया, जहां अन्य राज्यों में भी ऐसे घोटालों की आशंका है। युवाओं को फर्जी वादों से बचने की सलाह दी गई। ओडिशा सरकार ने जांच समिति बनाई, ताकि दोषियों को सजा मिले।
