एनआरआई उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल का निधन, 94 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
लखनऊ/ 22 अगस्त, 2025 : भारतीय मूल के प्रमुख एनआरआई उद्योगपति और परोपकारी लॉर्ड स्वराज पॉल का 21 अगस्त 2025 को लंदन में निधन हो गया। 94 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। लॉर्ड पॉल, जो यूके स्थित कैपारो ग्रुप के संस्थापक थे, हाल ही में बीमार पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती थे, जहां परिवार की मौजूदगी में उनका देहांत हुआ। जालंधर में जन्मे पॉल 1960 के दशक में अपनी बेटी अंबिका के कैंसर के इलाज के लिए यूके चले गए थे। अंबिका के चार साल की उम्र में निधन के बाद, उन्होंने अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की, जिसने बच्चों और युवाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए लाखों पाउंड दान किए। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया और उनके भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने के योगदान को याद किया। यह लेख उनके जीवन, उपलब्धियों और विरासत का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
परिचय: लॉर्ड स्वराज पॉल का जीवन और योगदान
लॉर्ड स्वराज पॉल, जिन्हें भारतीय मूल के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक माना जाता है, का 21 अगस्त 2025 को लंदन में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वह हाल ही में बीमार पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती थे, जहां परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में उन्होंने अंतिम सांस ली। पंजाब के जालंधर में 18 फरवरी 1931 को जन्मे लॉर्ड पॉल ने न केवल उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि परोपकार, शिक्षा और भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके निधन ने वैश्विक भारतीय समुदाय और ब्रिटिश समाज में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया है।
लॉर्ड पॉल ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सम्मानित सदस्य थे और कैपारो ग्रुप के संस्थापक थे, जो स्टील, इंजीनियरिंग और संपत्ति जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर सक्रिय है। उनकी बेटी अंबिका की याद में स्थापित अंबिका पॉल फाउंडेशन ने बच्चों और युवाओं के कल्याण के लिए लाखों पाउंड दान किए, खासकर लंदन जू के अंबिका पॉल चिल्ड्रन जू जैसे प्रोजेक्ट्स के लिए। उनके निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “श्री स्वराज पॉल जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उद्योग, परोपकार और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनका अटूट समर्थन हमेशा याद किया जाएगा।
प्रारंभिक जीवन और यूके प्रवास
लॉर्ड स्वराज पॉल का जन्म जालंधर, पंजाब में हुआ था, जहां उनके पिता ने अपीजे सुरेंद्र ग्रुप की नींव रखी थी। 1960 के दशक में, अपनी छोटी बेटी अंबिका के कैंसर के इलाज के लिए वह अपनी पत्नी अरुणा पॉल के साथ यूके चले गए। दुर्भाग्यवश, चार साल की उम्र में अंबिका का ल्यूकेमिया से निधन हो गया। इस त्रासदी ने पॉल के जीवन को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने अपनी बेटी की याद में अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की, जिसने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बच्चों और युवाओं के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। लंदन जू में अंबिका पॉल चिल्ड्रन जू इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जहां पॉल हर साल स्मृति समारोह आयोजित करते थे। उन्होंने हाल ही में कहा था, “लंदन जू वह जगह थी जहां अंबिका सबसे ज्यादा खुश रहती थी।
कैपारो ग्रुप: एक वैश्विक साम्राज्य की स्थापना
लॉर्ड पॉल ने 1968 में कैपारो ग्रुप की स्थापना की, जो स्टील, ऑटोमोटिव, और संपत्ति जैसे क्षेत्रों में एक वैश्विक ब्रांड बन गया। इस समूह ने यूके, भारत, अमेरिका, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात में अपनी उपस्थिति दर्ज की, और इसकी वार्षिक आय 1 बिलियन पाउंड से अधिक रही। कैपारो ने विश्व स्तर पर 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार दिया। 1980 के दशक में, पॉल ने भारत में डीसीएम और एस्कॉर्ट्स लिमिटेड में बड़े पैमाने पर शेयर खरीदकर सुर्खियां बटोरीं, जिसे भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक साहसिक कदम माना गया। हालांकि, भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र के विरोध के कारण उन्हें इस प्रयास में असफलता मिली। पॉल ने बाद में कहा, “अगर उस समय एनआरआई निवेश को अनुमति दी गई होती, तो भारत आज चीन से आगे होता।
परोपकार और सामाजिक योगदान
लॉर्ड पॉल न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि एक समर्पित परोपकारी भी थे। अंबिका पॉल फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाखों पाउंड दान किए। लंदन जू के अलावा, फाउंडेशन ने विश्व भर में बच्चों और युवाओं के लिए कई परियोजनाओं को समर्थन दिया। इसके अतिरिक्त, पॉल ने यूके में दो विश्वविद्यालयों—वॉल्वरहैम्प्टन और वेस्ट लंदन—के चांसलर के रूप में शिक्षा को बढ़ावा दिया। वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स में डिप्टी स्पीकर के रूप में भी कार्यरत रहे और 2018 में यूके-एशिया बिजनेस अवार्ड्स में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित हुए।[]
उनके परोपकारी कार्यों ने उन्हें ब्रिटेन में भारतीय समुदाय का एक प्रमुख चेहरा बनाया। वह नियमित रूप से भारतीय डायस्पोरा के आयोजनों में भाग लेते थे और भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने में सक्रिय रहे। उनकी पत्नी अरुणा पॉल, जिनका 2022 में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था, भी उनके साथ इन आयोजनों में सक्रिय थीं। दोनों ने 65 साल से अधिक समय तक साथ रहकर एक प्रेरणादायक जीवन जिया।
भारत के साथ संबंध और राजनीतिक प्रभाव
लॉर्ड पॉल का भारत के साथ गहरा जुड़ाव रहा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक कई भारतीय नेताओं के साथ निकट संबंध बनाए। पीएम मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट किया, “मैंने उनके साथ कई मुलाकातों को स्नेहपूर्वक याद किया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।” पॉल ने हमेशा भारत में उदारीकरण और एनआरआई निवेश की वकालत की। 1983 में डीसीएम और एस्कॉर्ट्स में निवेश की उनकी कोशिश उस समय की भारतीय सरकार की नीतियों के साथ टकराव में आई, लेकिन उन्होंने इसे एक व्यावसायिक कदम बताया, न कि राजनीतिक। वह भ्रष्टाचार और पूंजीपति-राजनीतिज्ञ गठजोड़ के खिलाफ भी मुखर रहे।
व्यक्तिगत जीवन और त्रासदियां
लॉर्ड पॉल का जीवन कई व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा। उनकी बेटी अंबिका की कम उम्र में मृत्यु ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया। इसके बाद, 2015 में उनके सबसे छोटे बेटे अंगद पॉल की लंदन में अपने पेंटहाउस से गिरकर मृत्यु हो गई। 45 वर्षीय अंगद कैपारो ग्रुप के सीईओ थे और उनकी मृत्यु को गैर-संदिग्ध माना गया, लेकिन यह कैपारो ग्रुप के लिए मुश्किल समय में हुआ, जब स्टील की कीमतों में गिरावट के कारण समूह की 16 कंपनियां प्रशासन के अधीन थीं। उनकी पत्नी अरुणा का निधन 2022 में हुआ, जिसके बाद पॉल ने अपने परिवार और परोपकारी कार्यों पर और अधिक ध्यान केंद्रित किया। उनके तीन बच्चे—दो बेटे, आकाश और अंबर, और एक बेटी अंजलि—उनके जीवित उत्तराधिकारी हैं।
सामाजिक और वैश्विक प्रभाव
लॉर्ड पॉल के निधन ने न केवल भारतीय डायस्पोरा, बल्कि ब्रिटेन और वैश्विक व्यापार समुदाय में भी शोक की लहर दौड़ा दी। लॉर्ड रामी रेंजर ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “हम प्रार्थना करते हैं कि यह महान आत्मा शांति से विश्राम करे।” पॉल की उपलब्धियां केवल व्यापार तक सीमित नहीं थीं; उन्होंने ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की छवि को ऊंचा किया और भारत को वैश्विक मंच पर गर्व का अनुभव कराया। 2018 में यूके-एशिया बिजनेस अवार्ड्स में उन्होंने कहा था, “प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की छवि को ऊंचा किया और हमें गर्व महसूस कराया।
उनके निधन ने भारत-ब्रिटेन संबंधों पर भी चर्चा को तेज किया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पॉल जैसे एनआरआई उद्योगपतियों ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक पुल का काम किया। उनकी विरासत न केवल कैपारो ग्रुप के रूप में, बल्कि शिक्षा, परोपकार और सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में भी जीवित रहेगी।
भविष्य की विरासत: प्रेरणा का स्रोत
लॉर्ड स्वराज पॉल का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है—कठिनाइयों से भरे शुरुआती दिनों से लेकर वैश्विक उद्योगपति और परोपकारी बनने तक। उनकी मेहनत, दृढ़ता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना ने उन्हें एक अनूठा स्थान दिलाया। अंबिका पॉल फाउंडेशन और कैपारो ग्रुप उनकी विरासत के दो प्रमुख स्तंभ हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक यह है कि व्यक्तिगत त्रासदियों को सकारात्मक कार्यों में बदला जा सकता है। अंबिका की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने दुख को बच्चों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया, जिसने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। उनकी यह सोच कि “ब्रांड इंडिया को मजबूत करना हम सभी की जिम्मेदारी है,” आज भी प्रासंगिक है।
निष्कर्ष: एक युग का अंत
लॉर्ड स्वराज पॉल का निधन एक युग का अंत है। वह न केवल एक उद्योगपति थे, बल्कि एक दूरदर्शी, परोपकारी और भारत-ब्रिटेन संबंधों के सेतु थे। उनकी कहानी कठिनाइयों पर विजय, सामाजिक जिम्मेदारी और वैश्विक प्रभाव की कहानी है। जालंधर के एक छोटे से शहर से निकलकर ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स तक का उनका सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखता है।
उनके निधन पर विश्व भर से श्रद्धांजलियां दी जा रही हैं, और उनकी विरासत कैपारो ग्रुप, अंबिका पॉल फाउंडेशन और उनके द्वारा प्रेरित असंख्य लोगों के माध्यम से जीवित रहेगी। जैसा कि पीएम मोदी ने कहा, “उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।” लॉर्ड पॉल की आत्मा को शांति मिले, और उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बना रहे।