गाजा बंधक संकट में नई उम्मीद: नेतन्याहू की अपील, क्या रिहाई का रास्ता साफ होगा?
तेल अवीव, 4 अक्टूबर 2025: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा से सभी बंधकों की रिहाई को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में इसकी घोषणा हो सकती है। इसी बीच, इजरायल ने मिस्र के लिए एक प्रतिनिधिमंडल रवाना किया है, जहां हमास के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता होगी। अमेरिकी योजना के तहत युद्ध समाप्ति और बंधकों की रिहाई पर चर्चा होगी। लेकिन क्या यह उम्मीद हकीकत बनेगी? हमास की शर्तें क्या हैं? और ट्रंप का दबाव कैसे काम कर रहा है? आइए, इस ड्रामे की परतें खोलते हैं।
मिस्र में वार्ता का नया दौर, इजरायल की रणनीति
इजरायल ने शनिवार देर रात मिस्र भेजे गए प्रतिनिधिमंडल को तकनीकी विवरण अंतिम रूप देने का जिम्मा सौंपा है। नेतन्याहू ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि ये बातचीत कुछ ही दिनों में पूरी हो जाए।” यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई योजना के बाद उठाया गया, जिसमें बंधकों की रिहाई के बदले इजरायली सेना की चरणबद्ध वापसी शामिल है। हमास ने योजना की कुछ शर्तें स्वीकार की हैं, लेकिन डीमिलिटराइजेशन और गाजा की भविष्य की गवर्नेंस पर असहमति बरकरार है। मिस्र, कतर और अमेरिकी मध्यस्थों की मौजूदगी में सोमवार को अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू होगी। इजरायली सैन्य अभियान को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, लेकिन नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि अगर हमास हथियार नहीं छोड़ेगा, तो सैन्य कार्रवाई फिर शुरू हो सकती है। बंधकों के परिवारों में उम्मीद जगी है, लेकिन चिंता भी है कि कट्टरपंथी तत्व सौदा तोड़ सकते हैं। यह वार्ता न सिर्फ बंधकों की जिंदगियां बचाएगी, बल्कि मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए भी निर्णायक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का दबाव और इजरायल की सैन्य मजबूती ने हमास को मजबूर किया है।
ट्रंप का स्वागत, लेकिन शर्तों का जाल
ट्रंप ने हमास के बयान का जोरदार स्वागत किया, कहा कि “वे स्थायी शांति के लिए तैयार हैं।” उन्होंने इजरायल को गाजा में बमबारी तुरंत रोकने का निर्देश दिया, ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो सके। हमास ने कहा कि वे सभी बंधकों—जिंदा और शव—को छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन योजना के अन्य हिस्सों पर फिलिस्तीनी दलों के साथ परामर्श जरूरी है। ट्रंप की 20-सूत्री योजना में हमास का विघटन, गाजा का डीमिलिटराइजेशन और फिलिस्तीनी टेक्नोक्रेट्स को सत्ता हस्तांतरण शामिल है। लेकिन हमास ने डीमिलिटराइजेशन पर अस्पष्टता जताई, जबकि इजरायल फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को खारिज करता है। कतर, मिस्र, सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे देशों ने योजना का समर्थन किया है। ट्रंप ने हमास को 5 अक्टूबर तक अंतिम समयसीमा दी, वरना “नर्क” का सामना करना पड़ेगा। यह बयानबाजी ने गाजा में राहत की लहर दौड़ा दी, जहां लोग बमबारी से थक चुके हैं। लेकिन फिलिस्तीनियों में शक है कि क्या यह योजना हमास को कमजोर करने का जाल तो नहीं? ट्रंप की मध्यस्थता ने वैश्विक समर्थन हासिल किया, लेकिन सफलता शर्तों के पालन पर टिकी है।
दो साल पुरानी जंग का अंतिम अध्याय?
अक्टूबर 2023 के हमास हमले से शुरू हुई यह जंग दो साल से ज्यादा चली, जिसमें 1,200 इजरायली मारे गए और 250 बंधक बने। इजरायल की जवाबी कार्रवाई ने गाजा में भयानक तबाही मचाई—48,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए, घर उजड़े और मानवीय संकट गहराया। अब ट्रंप योजना के तहत 48 बंधकों (जिनमें से 20 जिंदा माने जाते हैं) की रिहाई संभव लग रही है। नेतन्याहू ने कहा कि सैन्य दबाव ने हमास को झुकाया, लेकिन फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद जैसे समूहों ने योजना को खारिज किया था। वार्ता के बाद गाजा का भविष्य—क्या हमास बिना हथियारों का रहेगा? क्या इजरायल पूरी तरह पीछे हटेगा? ये सवाल अनुत्तरित हैं। तेल अवीव में बंधक परिवारों ने रैली निकाली, जबकि गाजा में लोग उम्मीद और संदेह के बीच जी रहे हैं। यह संघर्ष खत्म होने की कगार पर है, लेकिन एक छोटी चूक सब बर्बाद कर सकती है। वैश्विक दबाव और मध्यस्थों की भूमिका निर्णायक होगी। क्या यह शांति का नया दौर लाएगा, या फिर जंग का लंबा साया रहेगा?
