• December 12, 2024

करनपुर-डुमरी बालू घाट के ठेकेदार ने लाइसेंस किया सरेंडर, विभाग कर रहा विचार

 करनपुर-डुमरी बालू घाट के ठेकेदार ने लाइसेंस किया सरेंडर, विभाग कर रहा विचार

नवादा जिले के सकरी नदी के बालू घाट संख्या 02 के ठेकेदार ने अपना लाइसेंस बुधवार को सरेंडर कर दिया है। यह घाट डुमरी-करनपुर बालू घाट के नाम से जाना जाता है, जिसकी निलामी 28.11.2022 को हुई थी। निलामी 3 करोड़ 60 लाख के विरुद्ध सर्वोच्च बोली 20 करोड़ 16 लाख रुपये लगाकर मीनी मैक्स इंटरनेशनल के प्रशांत चंद्र जायसवाल नागेश्वर कॉलोनी, बाकरगंज, जिला पटना निवासीने अपने नाम किया था।

नवंबर 2023 में खनन की स्वीकृति दी गई थी। करीब 6 माह की अवधि में ही ठेकेदार ने लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। हालांकि, जिला खनन पदाधिकारी के माेबाइल पर संपर्क कर सही जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया। वैसे, कार्यालय सूत्र इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि लाइसेंस सरेंडर करने का आवेदन दिया गया है। वैसे, खनन निरीक्षण अपूर्वा सिंह ने कहा है कि लाइसेंस अभी सरेंडर नहीं हुआ है। आवेदन प्राप्त हुआ है, जो विचाराधीन है।

नवंबर 22 में जब बालू घाटों की निलामी नए सिरे से की जा रही थी तब सकरी नदी में कुल 8 घाट चिन्हित किए गए थे। जिसमें से अधिकांश की निलामी हो गई थी। हालांकि, जब लाइसेंस निर्गत करने की बारी आई तो कहीं तकनीकी पेंच फंसा तो कहीं के ठेकेदार ने पहले ही हाथ खड़ा कर लिए। फिलहाल, स्थिति यही है कि मात्र 4 ब्लॉक 2, 3 , 5 और 7 में खनन हो रहा था। जिसमें से एक ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। इसके पीछे की वजह तो सामने नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि घाटा होने के कारण ठेकेदार ने अपने हाथ खींच लिए।

करनपुर-डुमरी बालू घाट पर खनन को लेकर बड़ा विवाद जनवरी 24 में हुआ था। पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। पुलिस टीम द्वारा करनपुर गांव में घुसकर ग्रामीणों की पिटाई का मामला सुर्खियों में रहा था। विवाद इतना बड़ा था कि राज्य पुलिस मुख्यालय से लेकर विधान परिषद में मामला गूंजा था। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने विशेष टीम से मामले की जांच कराने की घोषणा की थी।

इस बीच यह बात तेजी से फैली की ठेकेदार ने लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। कार्यस्थल से बोरिया-बिस्तरा समेटने में जुटे हैं। जिला खनन पदाधिकारी ने माेबाइल कॉल ही नहीं उठाया, फिर स्वीच ऑफ आने लगा। बाद में खनन निरीक्षक से बात हुई तो उन्होंने स्थिति को साफ किया। ठेकेदार घाटा होने का कारण नहीं सरेंडर कर दिया। ठेकेदार ने बिहार सरकार के खनन नीति को भी बुरे हालात के लिए जिम्मेदार बताया है।

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