रुद्रप्रयाग हाईवे पर भूस्खलन का कहर: कार खाई में लुढ़की, एक की गई जान
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ नेशनल हाईवे पर एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। पहाड़ी से अचानक गिरे पत्थरों की चपेट में आई एक कार अनियंत्रित होकर गहरी खाई में समा गई, जहां नदी का पानी मौत को बुलावा दे रहा था। इस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौके पर ही जान चली गई, जबकि परिवार के अन्य सदस्य चोटों से जूझ रहे हैं। क्या यह प्रकृति का प्रकोप था या सड़क सुरक्षा की लापरवाही? हाईवे पर यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन बार-बार हो रहे भूस्खलन सवाल खड़े कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन यह घटना पहाड़ी इलाकों की सड़कों पर खतरे की घंटी बजा रही है। आइए, इस दर्दनाक घटना की परतें खोलें, जो न सिर्फ एक परिवार को तोड़ गई, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है।
हादसे का काला पल: पत्थरों की बौछार में बिखरा परिवार
रविवार शाम करीब 5:45 बजे केदारनाथ नेशनल हाईवे पर कुंड और काकड़ागाड़ के बीच का इलाका शांत था। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के शांति नगर से आए मुकेश कुमार (40) अपनी पत्नी अंजलि मौर्य (32), बेटी अमोली (5) और रिश्तेदार अरुण मौर्य (40), उनकी पत्नी रचना व बेटी पीहू (2.5 वर्ष) के साथ कुंड से रुद्रप्रयाग लौट रहे थे। कार गौरीकुंड की ओर से आ रही थी, जब अचानक पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर खिसकने लगे। भारी बारिश के बाद भूस्खलन आम है, लेकिन इस बार यह घातक साबित हुआ। पत्थर सीधे कार पर प्रहार कर गए, चालक मुकेश नियंत्रण खो बैठे। वाहन सड़क से फिसलता हुआ 50 फुट नीचे मंदाकिनी नदी किनारे जा गिरा। धूल और चीखों के बीच मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने देखा कि कार चूरन हो चुकी थी। मुकेश बेहोशी की हालत में थे, जिनकी सांसें थम चुकी थीं। बाकी पांच लोग चोटिल थे, जिनमें दो मासूम बच्चियां शामिल। स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ की टीम तुरंत पहुंची, लेकिन पहाड़ी इलाके की मुश्किल राहों ने रेस्क्यू को चुनौतीपूर्ण बना दिया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि हाईवे पर भूस्खलन की चेतावनी पहले ही जारी थी, लेकिन यात्री अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यह हादसा केदारनाथ यात्रा सीजन में हो रहा है, जब हजारों श्रद्धालु इस रास्ते से गुजरते हैं। परिवार तीर्थयात्रा के बाद घर लौट रहा था, लेकिन प्रकृति ने उनका सफर हमेशा के लिए रोक दिया। कुल मिलाकर, यह घटना पहाड़ी सड़कों की भंगुरता को उजागर करती है, जहां हर मोड़ पर खतरा छिपा रहता है।
रेस्क्यू का संघर्ष: घायलों को बचाने की दौड़
हादसे की सूचना मिलते ही रुद्रप्रयाग पुलिस स्टेशन से एसआई रवि कुमार के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची। कार के परखचे उड़ चुके थे, और नदी का तेज बहाव जानलेवा था। डीडीआरएफ और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम ने रस्सियों और हुक का सहारा लेकर घायलों को निकाला। सबसे पहले मासूम अमोली और पीहू को ऊपर लाया गया, जो सदमे में थीं। अंजलि मौर्य का सिर फूटा था, जबकि अरुण को पैरों में गंभीर चोटें आईं। रचना को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सभी को स्ट्रेचर पर लादकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगस्त्यमुनि ले जाया गया, जो हादसे से 20 किमी दूर है। डॉक्टरों ने बताया कि मुकेश की मौत गर्दन पर लगे प्रहार से हुई, जबकि घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर जंबई भेजा गया। केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने सीएमओ को फोन कर तुरंत इलाज और मुआवजे के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “यह हादसा दुखद है, लेकिन हम यात्रियों की सुरक्षा के लिए हाईवे पर नेटिंग और साइनबोर्ड लगवा रहे हैं।” रेस्क्यू में दो घंटे लगे, क्योंकि पहाड़ी से और पत्थर गिरने का खतरा था। ग्रामीणों ने भी मदद की, लेकिन अंधेरा होने से काम मुश्किल हो गया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गए, जहां लोग सरकार से बेहतर सड़कें और मौसम पूर्वानुमान की मांग कर रहे हैं। यह ऑपरेशन न सिर्फ जान बचाने का था, बल्कि हाईवे की कमजोरियों को उजागर करने का भी। कुल मिलाकर, टीमों की तत्परता ने बाकी जिंदगियां बचाईं, लेकिन मुकेश का जाना एक बड़ा नुकसान है।
सबक और सावधानियां: हाईवे पर खतरे की कड़ी
यह हादसा केदारनाथ हाईवे की पुरानी समस्या को फिर सामने लाया। भूस्खलन यहां आम हैं, खासकर मानसून के बाद। 2020 से अब तक दर्जनों ऐसी घटनाएं हुईं, जहां पत्थर गिरने से वाहन नष्ट हो गए। विशेषज्ञ कहते हैं कि हाईवे की चट्टानों पर जियो-टेक्निकल सर्वे जरूरी है, ताकि कमजोर हिस्सों को मजबूत किया जाए। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि मौसम विभाग की चेतावनी मानें, रात में यात्रा न करें और हमेशा हेलमेट पहनें। उत्तराखंड सरकार ने SDRF को मजबूत किया है, लेकिन बजट की कमी से नेटिंग का काम अधर में लटका है। मुकेश का परिवार अब बिखर चुका है; अंजलि विधवा हो गईं, बच्चियां अनाथ। बाराबंकी में शोक की लहर दौड़ गई। विधायक नौटियाल ने 5 लाख मुआवजे का ऐलान किया, लेकिन क्या यह दर्द कम करेगा? यह घटना पूरे देश को चेतावनी है कि पर्यटन बढ़ रहा है, लेकिन सुरक्षा उपाय कम। हाईवे पर CCTV और अलर्ट सिस्टम लगाने की मांग तेज हो गई। कुल मिलाकर, प्रकृति का गुस्सा मानव लापरवाही से और घातक हो जाता है। अगर समय रहते कदम उठाए जाते, तो शायद यह त्रासदी टल जाती। (
