कर्नाटक में पीरियड लीव को मंजूरी: कामकाजी महिलाओं के लिए नया कदम
बेंगलुरु, 10 अक्टूबर 2025: भारत में महिलाओं के कार्यस्थल अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में कर्नाटक सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंत्रिमंडल ने मेन्स्ट्रुअल लीव पॉलिसी-2025 को मंजूरी दे दी, जिसके तहत हर महीने एक दिन की सवेतन छुट्टी मिलेगी। यह नीति सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को लाभ पहुंचाएगी, जो स्वास्थ्य और समानता को बढ़ावा देगी। मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने इसे महिलाओं की गरिमा और समावेशी कार्य वातावरण का प्रतीक बताया। 2024 के छह दिनों के प्रस्ताव को बढ़ाकर अब सालाना 12 छुट्टियां होंगी। बिहार और ओडिशा जैसे राज्य पहले से आगे हैं, लेकिन कर्नाटक पहला ऐसा राज्य है जहां यह नीति व्यापक रूप से लागू होगी। आइए, इस नीति की पूरी कहानी जानते हैं।
स्वास्थ्य और समानता का तोहफा: नीति की मुख्य विशेषताएं
कर्नाटक सरकार ने मेन्स्ट्रुअल लीव पॉलिसी-2025 को गुरुवार को मंजूरी देकर कामकाजी महिलाओं के लिए बड़ा कदम उठाया। इस नीति के तहत सभी सरकारी कार्यालयों, आईटी फर्मों, वस्त्र उद्योग, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अन्य निजी क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को हर माह एक दिन की सवेतन पीरियड लीव मिलेगी। कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बताया कि यह फैसला महिलाओं के शारीरिक और मानसिक आराम को सुनिश्चित करेगा। 2024 में प्रस्तावित छह दिनों की छुट्टी को बढ़ाकर अब सालाना 12 दिनों की छुट्टी दी जाएगी, जो महिलाओं को अपनी सेहत का बेहतर ख्याल रखने का अवसर देगी। लेबर डिपार्टमेंट की सिफारिश पर बनी यह नीति 18 सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसने महिलाओं के संगठनों की मांगों को ध्यान में रखा। यह कदम कार्यस्थल पर लिंग समानता को मजबूत करेगा और महिलाओं की उत्पादकता बढ़ाएगा।
सीएम का संकल्प: समावेशी कार्य वातावरण की दिशा
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने इस नीति को अपनी सरकार की महिलाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार कार्यस्थल पर गरिमा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है। मेन्स्ट्रुअल लीव पॉलिसी-2025 के माध्यम से कर्नाटक की सभी महिला कर्मचारियों को हर महीने एक सवेतन छुट्टी मिलेगी, जो अधिक मानवीय, समझदार और समावेशी कार्य वातावरण की दिशा में कदम है।” लेबर मंत्री संतोष लाड ने भी इसे प्रगतिशील कानून करार दिया, जो महिलाओं को 12 छुट्टियां सालाना लेने की छूट देगा। मंत्रिमंडल ने लेबर वेलफेयर फंड एक्ट में संशोधन सहित कई अन्य प्रस्ताव भी पास किए, लेकिन पीरियड लीव सबसे चर्चित रहा। यह नीति न केवल स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगी, बल्कि महिलाओं को कार्यबल में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करेगी। कर्नाटक अब देश में इस क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन गया है।
अन्य राज्यों का नक्शेकदम: प्रगति की राह
कर्नाटक की यह नीति देशभर में पीरियड लीव को बढ़ावा देने वाली है। बिहार में पहले से महिलाओं को हर महीने दो दिनों की छुट्टी मिलती है, जबकि ओडिशा ने हाल ही में सरकारी विभागों में एक दिन की छुट्टी की घोषणा की। केरल में आईटीआई ट्रेनी महिलाओं को दो दिनों की छुट्टी का प्रावधान है। कर्नाटक पहला राज्य है जहां यह नीति सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों को कवर करती है, जो 15 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ पहुंचाएगी। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का प्रगतिशील कदम बताया। पायलट प्रोजेक्ट्स से पता चला है कि ऐसी छुट्टियां कर्मचारियों का मनोबल और उत्पादकता बढ़ाती हैं। यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माण को प्रभावित कर सकता है, जहां अभी कोई एकसमान कानून नहीं है। महिलाओं के संगठनों ने इसे स्वागत योग्य बताया, जो कार्यस्थल पर समानता की नई मिसाल बनेगा।
