• October 14, 2025

जयशंकर ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के करीब होने के संकेत दिए, पाक सीजफायर में भूमिका पर हुई बात

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 1 जुलाई 2025 को न्यूयॉर्क में भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि यह वार्ता जटिल है, लेकिन दोनों देश एक “मिलन स्थल” खोजने के करीब हैं। यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भी पुष्टि की कि वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक राष्ट्रपति ट्रंप के साथ इस समझौते को अंतिम रूप दे रहे हैं। भारत ने कुछ फलों और नट्स पर शुल्क में छूट देने का संकेत दिया है, जबकि अमेरिका ने भारतीय श्रम-प्रधान उत्पादों को अपने बाजार में आसान पहुंच देने की बात कही है। हालांकि, डेयरी और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मतभेद बने हुए हैं। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, लेकिन वह एक संतुलित समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। यह समझौता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

पाकिस्तान के साथ सीजफायर और अमेरिका की भूमिका

जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत-पाक सीजफायर में व्यापार दबाव के जरिए मध्यस्थता की। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि वह उस समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ थे जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने फोन किया था, और सीजफायर को लेकर कोई व्यापारिक दबाव नहीं था। उन्होंने कहा कि व्यापार वार्ताएं और कूटनीति दो अलग-अलग क्षेत्र हैं, और भारत ने हमेशा पाकिस्तान से सीधी बातचीत की वकालत की है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को जयशंकर ने “आर्थिक युद्ध” करार दिया, जिसका मकसद कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाना था। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने इसका जवाब दिया, और पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को नजरअंदाज करते हुए सख्त रुख अपनाया। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषियों को बेनकाब करेगा। इस संदर्भ में, भारत ने पाकिस्तान की सिंधु जल समझौते को बहाल करने की गुहार को भी ठुकरा दिया। जयशंकर का यह रुख भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को दर्शाता है।

 जियोपॉलिटिकल संतुलन और क्वाड की भूमिका

जयशंकर का अमेरिका दौरा क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए हुआ, जो जियोपॉलिटिकल बदलावों के बीच महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत को एक सभ्यतामूलक राष्ट्र और वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में पेश किया, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीतिक सेतु बन सकता है। जयशंकर ने इजरायल-ईरान तनाव में भारत की मध्यस्थता की इच्छा जताई, जिससे भारत की वैश्विक भूमिका मजबूत होती है। पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी अध्यक्ष बनने पर जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख दोहराया, खासकर पाकिस्तान के “सदाबहार मित्र” चीन के साथ उसके गठजोड़ को उजागर करते हुए। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर बातचीत के दौरान, जयशंकर ने क्वाड के महत्व पर जोर दिया, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। व्हाइट हाउस ने भी भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक सहयोगी माना, और ट्रंप-मोदी की दोस्ती को इस साझेदारी का आधार बताया। यह साफ है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखते हुए वैश्विक मंच पर संतुलन बनाना चाहता है।

चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में कृषि, डेयरी और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में असहमति बनी हुई है। भारत ने डेयरी और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों पर अमेरिकी मांगों को खारिज किया है, क्योंकि ये उसके ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिका ने अप्रैल 2025 में भारतीय उत्पादों पर 26% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया। जयशंकर ने कहा कि अगले कुछ दिन इस समझौते के लिए महत्वपूर्ण होंगे। भारत के वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने अपना अमेरिकी दौरा बढ़ाया है, जो सकारात्मक संकेत है। पाकिस्तान के साथ तनाव, खासकर पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत की कूटनीतिक चुनौतियों को बढ़ाता है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगा और परमाणु धमकियों से नहीं डरेगा। भविष्य में, भारत-अमेरिका समझौता वैश्विक व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा दे सकता है, बशर्ते दोनों पक्ष लचीला रुख अपनाएं। जयशंकर का यह दौरा भारत की मजबूत कूटनीति और वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

निष्कर्ष

जयशंकर का हालिया अमेरिका दौरा और उनके बयान भारत की कूटनीतिक और आर्थिक रणनीति को रेखांकित करते हैं। भारत-अमेरिका व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगा। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह समझौता जटिल है, लेकिन दोनों पक्ष एक संतुलित समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान के साथ सीजफायर को लेकर ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए, जयशंकर ने भारत की स्वतंत्र नीति और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख को दोहराया। पहलगाम हमले को आर्थिक युद्ध बताकर उन्होंने पाकिस्तान के इरादों को उजागर किया। क्वाड और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी भूमिका को रेखांकित करती है। हालांकि, व्यापार वार्ता में डेयरी और टैरिफ जैसे मुद्दों पर असहमति चुनौती बनी हुई है। जयशंकर का यह रुख दर्शाता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से समझौता किए बिना वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है। आने वाले दिन इस समझौते और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए निर्णायक होंगे।

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Rama Niwash Pandey

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