नए साल पर महंगाई का झटका: जम्मू-कश्मीर में 1 जनवरी से महंगा होगा सफर, यात्री किराये में 18 फीसदी की बढ़ोतरी पर लगी मुहर
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के निवासियों और यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए नए साल की शुरुआत जेब पर भारी पड़ने वाली है। प्रदेश सरकार ने यात्री वाहनों के किराये में 18 फीसदी तक की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। यह नई दरें 1 जनवरी से पूरे केंद्र शासित प्रदेश में प्रभावी हो जाएंगी। ऑल जम्मू-कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन और सरकार के वित्त विभाग के उच्चाधिकारियों के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस वृद्धि पर अंतिम सहमति बन गई है। लगभग पांच साल के लंबे अंतराल के बाद हुई इस बढ़ोतरी से न केवल अंतर-जिला परिवहन महंगा होगा, बल्कि शहरी क्षेत्रों में चलने वाली मेटाडोर और ऑटो का सफर भी महंगा हो जाएगा।
परिवहन विभाग अब जल्द ही इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी करेगा, जिसके बाद स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) विस्तृत किराया सूची जारी कर देगी। इस फैसले का सीधा असर रोजाना सफर करने वाले लाखों यात्रियों, छात्रों और नौकरीपेशा लोगों पर पड़ेगा।
लंबी दूरी के रूटों पर बढ़ेगा बोझ: जम्मू से श्रीनगर तक का सफर होगा महंगा
किराये में 18 फीसदी की वृद्धि के कारण अंतर-जिला रूटों पर यात्रा करने वाले लोगों को अब 11 रुपये से लेकर 72 रुपये तक अतिरिक्त भुगतान करना होगा। उदाहरण के तौर पर, जम्मू से श्रीनगर जाने वाली बसों का किराया, जो वर्तमान में करीब 397 रुपये है, उसमें 72 रुपये तक की बड़ी वृद्धि देखी जा सकती है। इसी तरह, माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को भी अब कटड़ा तक के सफर के लिए 11 से 12 रुपये ज्यादा देने होंगे।
अन्य प्रमुख रूटों की बात करें तो जम्मू से किश्तवाड़ तक का किराया 54 रुपये, पुंछ के लिए 64 रुपये और भद्रवाह के लिए 47 रुपये तक बढ़ सकता है। कठुआ, उधमपुर, बनिहाल और बसोहली जैसे महत्वपूर्ण संपर्क मार्गों पर भी यात्रियों को अब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा किराया चुकाना होगा। यह बढ़ोतरी केवल सामान्य बसों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रीमियम सेगमेंट की टूरिस्ट टैक्सियों, मैक्सी कैब (जैसे इनोवा) और 2×2 लग्जरी बसों पर भी समान रूप से लागू होगी।
शहर के भीतर का सफर: मेटाडोर और ऑटो का बढ़ा न्यूनतम किराया
महानगरों और छोटे कस्बों के भीतर चलने वाली मेटाडोर और मिनी बसों के किराये में भी आनुपातिक वृद्धि की गई है। जम्मू शहर की बात करें, तो अब 3 किलोमीटर तक के न्यूनतम सफर के लिए यात्रियों को 7 रुपये के स्थान पर 9 रुपये देने होंगे। यानी हर छोटे सफर पर सीधा 2 रुपये का इजाफा किया गया है।
इसी तरह, 5 किलोमीटर तक का किराया जो अब तक 12 रुपये था, वह बढ़कर लगभग 14 रुपये से अधिक (संभावित 15 रुपये) हो जाएगा। 10 किलोमीटर के सफर के लिए 15 रुपये की जगह 18 रुपये और 15 किलोमीटर के लिए 17 रुपये की जगह 20 रुपये चुकाने पड़ेंगे। 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने वाले वाहनों के लिए ‘स्टेज कैरियर’ नियमों के तहत हर अतिरिक्त किलोमीटर पर अलग से शुल्क निर्धारित किया जाएगा। यह बढ़ोतरी ऑटो रिक्शा चालकों पर भी लागू होगी, जिससे स्थानीय स्तर पर आवाजाही महंगी हो जाएगी।
ट्रांसपोर्टरों की मांग और सरकार का फैसला: 40 फीसदी के बदले मिली 18 फीसदी की राहत
किराये में बढ़ोतरी का यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है। पिछले काफी समय से जम्मू-कश्मीर के ट्रांसपोर्टर परिचालन लागत बढ़ने का हवाला देते हुए किराया बढ़ाने की मांग कर रहे थे। मंगलवार को हुई दो घंटे लंबी मैराथन बैठक में परिवहन सचिव और वित्तीय विभाग के अधिकारियों ने ट्रांसपोर्टरों की समस्याओं को सुना।
जम्मू-कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन करण सिंह वजीर ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों की मूल मांग किराये में 40 फीसदी तक की वृद्धि की थी। उनका तर्क था कि पिछले पांच वर्षों में ईंधन (डीजल/पेट्रोल) की कीमतों में भारी उछाल आया है, वाहनों के स्पेयर पार्ट्स महंगे हो गए हैं और बीमा व रखरखाव का खर्च भी काफी बढ़ गया है। हालांकि, सरकार ने आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए 18 फीसदी की बढ़ोतरी पर ही सहमति जताई। एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय चिब और ट्रांसपोर्टर देवेंद्र चौधरी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हालांकि वृद्धि उनकी मांग से कम है, लेकिन इससे ट्रांसपोर्टरों को कुछ हद तक राहत जरूर मिलेगी।
पांच साल बाद हुआ बदलाव: यात्रियों पर बोझ कम रखने की कोशिश
इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने वर्ष 2021 में यात्री किराये में 19 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। तब से लेकर अब तक परिवहन क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने एक संतुलन बनाने की कोशिश की है ताकि ट्रांसपोर्टरों का व्यवसाय भी प्रभावित न हो और यात्रियों पर भी अचानक असहनीय बोझ न पड़े।
बैठक के दौरान सरकार ने ट्रांसपोर्टरों को यह आश्वासन भी दिया है कि भविष्य में किराये की समीक्षा नियमित अंतराल पर की जाएगी ताकि हर पांच साल में होने वाली इस तरह की एकमुश्त बड़ी वृद्धि से बचा जा सके। 1 जनवरी से लागू होने वाले इस फैसले के बाद अब निजी बस ऑपरेटरों को अपनी गाड़ियों में नई किराया सूची चस्पा करना अनिवार्य होगा ताकि यात्रियों के साथ किसी भी तरह की कहासुनी या ओवरचार्जिंग की स्थिति पैदा न हो।
स्थानीय परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव: आम जनता की प्रतिक्रिया
किराये में बढ़ोतरी की खबर मिलते ही आम जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। गांधीनगर से बिक्रम चौक या अन्य स्थानीय रूटों पर सफर करने वाले यात्रियों का कहना है कि महंगाई के दौर में 2 से 5 रुपये की हर छोटी वृद्धि भी महीने के बजट को प्रभावित करती है। विशेषकर उन छात्रों के लिए जो रोजाना कॉलेज या कोचिंग के लिए मेटाडोर का उपयोग करते हैं, यह फैसला चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, सरकार का मानना है कि परिवहन सेवाओं की गुणवत्ता और निरंतरता बनाए रखने के लिए यह वृद्धि अपरिहार्य थी।