बांग्लादेश के आरोपों पर भारत की कड़ी फटकार: ‘झूठे दावे बंद करें, अपनी कानून-व्यवस्था संभालें’
3 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के झूठे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। खग्राछारी और चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में अशांति के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश पर विदेश मंत्रालय ने तीखा प्रहार किया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “ये निराधार दावे हैं—बांग्लादेश अपनी नाकामी छुपाने के लिए भारत पर दोष डाल रहा।” यूएन में भी अल्पसंख्यकों पर हिंसा का मुद्दा गूंजा, जहां 2400 से ज्यादा घटनाओं का खुलासा हुआ। क्या यह सांप्रदायिक तनाव का नया मोड़? आइए, इस कूटनीतिक जंग की परतें खोलें।
बांग्लादेश का आरोप: भारत ने भड़काई अशांति, दुर्गा पूजा पर साजिश
बांग्लादेश के गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने दावा किया कि भारत और शेख हसीना के समर्थक चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) में अशांति फैला रहे। उन्होंने दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की साजिश का आरोप लगाया, लेकिन कोई सबूत नहीं पेश किया। हालिया खग्राछारी हिंसा में 3 मौतें हुईं, जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की। स्थानीय उग्रवादी अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले, आगजनी और जमीन कब्जा कर रहे। बांग्लादेश ने विदेशी हथियारों का हवाला दिया, लेकिन भारत को निशाना बनाया। यह विवाद CHT के लंबे संघर्ष का हिस्सा, जहां बंगाली सेटलर्स और आदिवासी (जुम्मा) के बीच तनाव बरकरार।
MEA का जवाब: ‘झूठे आरोपों से बचें, अल्पसंख्यकों की रक्षा करें’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम इन झूठे और निराधार आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं।” उन्होंने बांग्लादेश को चेताया कि कानून-व्यवस्था संभालें, न कि भारत पर दोष डालें। “अपनी नाकामी छुपाने के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना बंद करें।” MEA ने सुझाव दिया कि स्थानीय उग्रवादियों पर जांच हो, जो अल्पसंख्यकों पर हमले कर रहे। पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश भी आंतरिक संकट भारत पर थोपना चाहता, लेकिन सच्चाई सामने आ चुकी। जायसवाल ने कहा, “बांग्लादेश को आत्ममंथन करना चाहिए—कैसे उग्रवादी आगजनी और कब्जा कर रहे।” यह प्रतिक्रिया कूटनीतिक तनाव को दर्शाती।
यूएन में गूंज: 2400+ घटनाएं, अल्पसंख्यकों पर हमलों की चिंता
जिनेवा में यूएनएचआरसी के 60वें सत्र में CHT में अल्पसंख्यकों पर हिंसा प्रमुख मुद्दा। राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप के सुहास चकमा ने कहा, “28 सितंबर को गुइमारा गांव में बांग्लादेश आर्मी ने 3 आदिवासियों को मार गिराया, 40 घायल।” पिछले साल 637 मॉब लिंचिंग, 878 पत्रकारों पर हमले, 2485 अल्पसंख्यक हिंसा। यूएन अधिकारी शार्लोट जेहरर ने चेतावनी दी: मनमानी गिरफ्तारी, झूठे ईशनिंदा, जबरन धर्मांतरण, बलात्कार आम। फैक्ट-फाइंडिंग मिशन की मांग। अंतरिम सरकार ने मानवाधिकार आयोग निष्क्रिय किया, जो राज्य की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता। यह वैश्विक मंच पर बांग्लादेश की छवि खराब कर रहा।
सांप्रदायिक हिंसा का काला अध्याय: CHT में उग्रवाद और असफलता
CHT विवाद 1970 से चला आ रहा—आदिवासी जुम्मा (चाकमा, मारमा) बनाम बंगाली सेटलर्स। 1997 पीस एकॉर्ड के बावजूद जमीन कब्जा, हिंसा जारी। हालिया घटना: 23 सितंबर को मारमा लड़की के गैंगरेप पर प्रदर्शन, आर्मी फायरिंग। पिछले साल 19-20 सितंबर को 4 मौतें, 75 घायल, सैकड़ों घर जलाए, अंतरिम सरकार (मुहम्मद यूनुस) पर आरोप: उग्रवादियों को संरक्षण। यूएन ने हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन ढाका चुप। भारत ने कहा, “अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पहले।” यह विवाद भारत-बांग्लादेश रिश्तों को तनावग्रस्त कर रहा।
