• October 14, 2025

हिमाचल में भूस्खलन का काला अध्याय: बस पर मलबे की मार, 18 जिंदगियां लील लीं

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश – 8 अक्टूबर, 2025: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में मंगलवार शाम एक भयानक भूस्खलन ने सबको स्तब्ध कर दिया। बालूघाट के पास पहाड़ी से खिसके विशालकाय पत्थरों और मलबे ने एक प्राइवेट बस को अपनी चपेट में ले लिया, जो मारोटन से घुमारवीं जा रही थी। बस में सवार 25-30 यात्रियों की जिंदगियां दांव पर लग गईं। क्या यह प्रकृति का क्रोध था या मानवीय लापरवाही का नतीजा? रेस्क्यू टीमें मलबे में दबी सांसों को बचाने की जद्दोजहद में जुटी रहीं, लेकिन आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं। पूरे देश की नजर इस त्रासदी पर टिकी है, जहां नेता संवेदनाएं जता रहे हैं, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि पहाड़ी रास्तों पर ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? आइए, इस दर्द भरी घटना की परतें खोलें, जो हिमाचल की खूबसूरती के पीछे छिपे खतरों को उजागर कर रही है।

भयावह हादसा: पहाड़ी का गुस्सा बरसा, बस मलबे में दफन

मंगलवार शाम करीब 6:30 बजे झंडूता विधानसभा क्षेत्र के बालूघाट (भल्लू पुल) के पास मौसम ने करवट ली। भारी बारिश के बाद पहाड़ी से अचानक विशाल पत्थर और मिट्टी का सैलाब उतर पड़ा। इसी दौरान मारोटन से घुमारवीं जा रही प्राइवेट बस HRTC की नहीं, बल्कि लोकल रूट पर चलने वाली थी, जिसमें 25 से 30 यात्री सवार थे। चालक ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन मलबा इतना तेज था कि बस सड़क से फिसलकर गहरी खाई में लुढ़क गई। पत्थरों ने बस को चूरन कर दिया, कई यात्री मलबे के नीचे दब गए। स्थानीय ग्रामीणों ने चीखें सुनीं और तुरंत अलर्ट किया। पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें पहुंचीं, लेकिन अंधेरा और लगातार गिरते पत्थरों ने रेस्क्यू को मुश्किल बना दिया। BJP विधायक जे.आर. कटवाल ने बताया कि 18 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि तीन घायलों को बर्थिन अस्पताल ले जाया गया। बाकी मलबे में दबे होने की आशंका है। हिमाचल में भूस्खलन आम हैं, खासकर मानसून के बाद, लेकिन इस बार का हादसा सबसे घातक साबित हुआ। यात्री ज्यादातर स्थानीय थे, जो रोजमर्रा के सफर पर थे। यह घटना न सिर्फ यात्रियों की जिंदगियों को छीन गई, बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी। कुल मिलाकर, प्रकृति का यह प्रहार पहाड़ी सड़कों की कमजोरियों को नंगा कर गया।

रेस्क्यू की जंग: NDRF की टीमें मलबे से जूझीं, घायलों को बचाया

हादसे की खबर फैलते ही प्रशासन ने युद्ध स्तर पर रेस्क्यू शुरू कर दिया। NDRF की दो टीमें शिमला से रवाना हुईं, जो रात भर मलबा हटाती रहीं। जिला प्रशासन, पुलिस और स्थानीय आपदा प्रबंधन टीमों ने जेसीबी और क्रेन का सहारा लिया। मलबे में दबी बस के परखचे निकालना आसान नहीं था; कई जगह पत्थर अभी भी गिरने का खतरा था। सुबह होते ही काम तेज हुआ, और 18 शवों को बाहर निकाला गया। तीन घायलों—दो महिलाएं और एक पुरुष—को तुरंत बर्थिन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत स्थिर बताई। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री कुल्लू से सीधे बिलासपुर पहुंचे और ऑपरेशन की कमान संभाली। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को हर संभव संसाधन जुटाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “यह दुखद है, लेकिन हम हर सांस बचाएंगे।” ग्रामीणों ने भी हाथ बंटाया, लेकिन मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं हो सका। अब तक 18 मौतें कन्फर्म हैं, लेकिन मलबे में और लोग फंसे हो सकते हैं। यह रेस्क्यू न सिर्फ तकनीकी चुनौती था, बल्कि भावनात्मक भी—परिवार वाले सड़क पर रोते नजर आए। हिमाचल सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख और घायलों को 1 लाख मुआवजा घोषित किया। कुल मिलाकर, टीमें की मेहनत से कुछ जिंदगियां तो बचीं, लेकिन यह हादसा सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करता है।

नेताओं की संवेदनाएं: दुख व्यक्त कर राहत की घोषणा

हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया, और शीर्ष नेताओं ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर कहा, “यह अत्यंत दुखद है। परिवारों के प्रति संवेदना, घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए पीएमएनआरएफ से मृतकों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि घोषित की। उन्होंने कहा, “मेरी संवेदनाएं प्रभावितों के साथ हैं, घायलों के शीघ्र ठीक होने की कामना।” गृह मंत्री अमित शाह ने NDRF की तारीफ की और कहा, “मन दुखी है, बचाव कार्य में कोई कोताही नहीं।” सीएम सुक्खू ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “यह खबर मन को झकझोर गई। रेस्क्यू युद्ध स्तर पर, मैं हर पल अपडेट ले रहा हूं। ईश्वर शांति दे।” यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शोक व्यक्त किया। ये बयान न सिर्फ संवेदना दिखाते हैं, बल्कि राहत पैकेज से प्रभावितों को ताकत देते हैं। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि संवेदनाओं के साथ-साथ भविष्य के लिए मजबूत सड़कें, चेतावनी सिस्टम और जियो-टेक्निकल सर्वे जरूरी हैं। यह त्रासदी हिमाचल की आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल उठाती है। कुल मिलाकर, नेताओं की प्रतिक्रिया ने एकजुटता दिखाई, लेकिन असली परीक्षा रोकथाम में है।
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Rama Niwash Pandey

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