• October 21, 2025

भगवान व्यवस्था नहीं अवस्था देखतें हैं : आचार्य शिव प्रसाद

 भगवान व्यवस्था नहीं अवस्था देखतें हैं : आचार्य शिव प्रसाद

ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते है। धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीके से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रद्धा से सुनने वाला उससे दुर्लभ और धर्म का आचरण करने वाला सुबुद्धिमान् सबसे दुर्लभ है। भगवान व्यवस्था नहीं जीवन की अवस्था देखते हैं, वो व्याकुलता देखते हैं।

पुष्प विहार साकेत में शक्ति मन्दिर में शिवपुराण कथा समिति द्वारा आयोजित शिवपुराण के 9वें दिन ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कहे। उन्होंने कहा कि शिवपुराण कथा सुनने में असमर्थ हो तो प्रतिदिन जिते्द्रिरय होकर मुहूर्त (क्षण) मात्र सुने। यदि मनुष्य प्रतिदिन के सुनने में असमर्थ हो तो पुण्यमास आदि में शिव की कथा सुनें। जो मनुष्य शिव की कथा को सुनता है वो कर्मरूपी बडे वन को भष्म करके संसार में तर जाता है। जो पुरुष मुहूर्त मात्र आधे मुहूर्त या क्षणभर शिव की कथा को भक्ति से सुनते हैं उनकी कदापि दुर्गति नही होती है।

कलियुग में धर्म आचर को त्यागने वाले दुर्बुद्वि वाले मनुष्यों के हित करने को शिव ने पुराण नामक अमृत रस विधान किया है। अमृत को पीकर एक ही मनुष्य अजर अमर होता है परंतु शिव की कथा रूपी अमृत के पान करने से सब कुल ही अजर अमर हो जाता है।

कार्यक्रम में दीपक रावत, सरिता रावत, साबर सिंह रावत, मंजू रावत, दर्शन रावत, हर्षि रावत, सुशीला भण्डारी, हरेंद्र भंडारी, विश्व वर्धन थपलियाल, रेखा थपलियाल, जसवीर बिष्ट, दीपक पंथ, कामेश्वर चौबे, केशव शास्त्री, ठाकुर पाठक, धर्मानन्द जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे।

Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *