पटना के पारस अस्पताल में गैंगस्टर चंदन मिश्रा की दिनदहाड़े हत्या, खुला गया राज…
बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर उस समय सुर्खियों में आ गई जब कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या दिनदहाड़े एक निजी अस्पताल में कर दी गई। यह घटना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी अब अस्पतालों और कानून के बीच दीवारों के अंदर भी सुरक्षित नहीं रहे। हत्या का तरीका, अपराधियों का आत्मविश्वास और बाद की घटनाओं ने इस कांड को बिहार की अब तक की सबसे संगठित गैंगवार साजिशों में से एक बना दिया है।
बिहार की राजधानी पटना के बेली रोड स्थित पारस अस्पताल के वार्ड नंबर 209 में भर्ती चंदन मिश्रा को सवेरे करीब 6:45 बजे गोली मार दी गई। 5 हथियारबंद अपराधी बाइक से आए, अस्पताल के वार्ड में दाखिल हुए और चंदन मिश्रा पर एक के बाद एक कई गोलियां दाग दीं। पूरा घटनाक्रम महज 30 सेकेंड में अंजाम दिया गया, जिसे अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों में कैद किया गया।
चंदन मिश्रा कौन था?
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चंदन मिश्रा मूल रूप से बक्सर का रहने वाला था।
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उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, अपहरण, अवैध हथियार रखने जैसे दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज थे।
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उसे कुछ समय पहले जेल से पैरोल पर छोड़ा गया था, और वह इलाज के बहाने पारस अस्पताल में भर्ती था।
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16 जुलाई को अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन चंदन ने खुद आग्रह कर एक दिन और रुकने की अनुमति ली – और वही एक दिन उसकी जान ले गया।
जांच के दौरान सामने आया कि चंदन मिश्रा की हत्या किसी सामान्य आपराधिक घटना का हिस्सा नहीं थी। यह एक सोची-समझी गैंगवार की रणनीति थी, जिसकी साजिश पश्चिम बंगाल की पुरुलिया जेल में बंद शेरू सिंह गिरोह ने रची थी।
मास्टरमाइंड: शेरू सिंह और निशु खान
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शेरू सिंह पहले से चंदन मिश्रा का दुश्मन था। दोनों के बीच क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई लंबे समय से चली आ रही थी।
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शेरू ने जेल से ही संपर्क कर इस हत्या की रूपरेखा तैयार की।
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सहयोगी निशु खान, जो पटना के फुलवारीशरीफ इलाके का निवासी है, ने शूटरों को असलहा मुहैया कराया और लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया।
हत्या के दो दिन बाद, 19 जुलाई को बिहार STF और पश्चिम बंगाल पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में कोलकाता के न्यू टाउन इलाके से इस हत्या के मुख्य आरोपी तौसीफ उर्फ बादशाह को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन, व्हाट्सएप चैट और सोशल मीडिया गतिविधियों की गहन जांच शुरू की। कई टेक्निकल सबूत भी मिले हैं जो हत्या की साजिश को पूरी तरह उजागर करते हैं। सीसीटीवी फुटेज और बाद में सामने आई तस्वीरों से यह स्पष्ट हुआ कि हत्या के बाद आरोपी अपराधियों ने ‘जश्न’ भी मनाया। हाथ में पिस्टल लहराते हुए सेल्फी ली गईं और सोशल मीडिया पर शेयर भी की गईं। यह स्थिति बिहार में बढ़ते अपराधियों के दुस्साहस को उजागर करती है। फिलहाल इस मामले पर राजनीतिक पार्टियों ने भी राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा।
चंदन मिश्रा की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि बिहार में अपराधियों का नेटवर्क न सिर्फ गहराई से फैला है, बल्कि अब वह किसी भी हद तक जाने से नहीं डरते।
दिनदहाड़े अस्पताल में घुसकर हत्या करना, जश्न मनाना और सोशल मीडिया पर प्रचार करना – यह दिखाता है कि अपराधियों को पुलिस और प्रशासन का कोई भय नहीं रह गया है। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली, जेल प्रशासन की सक्रियता और राज्य की कानून-व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस पर कितनी सख्त कार्रवाई करता है, और क्या इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा या नहीं।
