• January 1, 2026

कायनात भी मेरे प्रेम की कायल होती…

 कायनात भी मेरे प्रेम की कायल होती…

कस्बा बिलराम में भाईचारा ऑल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कस्बे में स्थित अंसार मेमोरियल इण्टर कॉलेज में हुए मुशायरे का उद्घाटन उद्योगपति समाज सेवी मनोज गुप्ता ने फीता काटकर किया। कवि सम्मेलन मुशायरा की शमां अयान खान ने रोशन की। अध्यक्षता जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी सुरेश चंद्र रहे।

लखनऊ से आईं अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री डॉ. सरला शर्मा ने पढ़ा कि है खुसरो की ज़मीं रब की इनायत साथ रहती है। यहां तुलसी की चौपाई अमन की बात कहती है। कवि विपिन शर्मा की कविता नेह देखकर अपना दुनिया घायल होती,कायनात भी मेरे प्रेम की कायल होती,तू बन जाती शमां पतंगे लाखों जलते, मेरा ताज ही तेरे पैर की पायल होती को काफी सराहा गया।

हाथरस के हास्य कवि सबरस मुरसानी ने पढ़ा कि बिरज में खेलत होली नेता लाल, एक दिना की होइ तौ झेलूं ये खेलत पाँच साल। नईम अख्तर नईम की गजल करम उसका जो उतर आये, हम नदी ग़म की पार कर आये को श्रोताओं की खूब दाद मिली। वहीं,मुस्कान शर्मा ने पढ़ा कि प्यार की सारी रस्में निभा लूंगी मैं, तेरी सूरत को दिल में छिपा लूंगी मैं। शायर आतिश सोलकी ने पढ़ा कि जिंदगी का यह मुझ पर करम देखिये, मरता हूँ रोज मैं मोहतरम देखिये।

अजीत शुक्ला की कविता चाटुकारिता के फंडे बदल रहे हैं, आ गया चुनाव तो झंडे बदल रहे हैं और डॉ. शोभा त्रिपाठी की रचना इबादत से नहीं है कम इनायत बाँटते चलिये, लबों पर मुस्कुराहट की शरारत बाँटते चलिये भी काफी सराही गई।

डॉ. अजय अटल ने पढ़ा नयन में सागर है, वर्ना अश्क नमकीन नहीं होते और सुल्तान जहाँ पूरनपुरी ने पढ़ा कि मेरा मुसाफिर मेरे रहवर तू अब तो फैसला कर दे, खिताब ए बेवफा दे दे या साबित बेवफा कर दे। सतीश मधुप की कविता इबादत भी यहीं करनी,यहीं चादर चढ़ानी है, यहीं अरदास देनी है,यहीं घंटी बजानी है पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाईं।

इस अवसर पर राहत खान, नईम अख्तर नईम, आरिफ़ परदेशी, शिवम अश्क, महेश संघर्षी, विवेक झा ने भी अपनी कविताएं पढ़कर श्रृद्धाओं को खूब गुदगुदाया। संचालन सतीश गुप्ता मधुप ने किया।

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