Eternal Star Fades Away: ‘नदिया के पार’ की कामिनी कौशल का निधन, सिनेमा जगत में शोक की लहर!
भारतीय सिनेमा की अमर अभिनेत्री कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिसने फिल्म इंडस्ट्री को गहरा सदमा पहुंचाया है। ‘नदिया के पार’ जैसी क्लासिक फिल्मों से घर-घर में छा जाने वाली यह दिग्गज कलाकार लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थीं। परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने अंतिम सांस घर पर ही ली। 1946 में ‘नीचा नगर’ से डेब्यू करने वाली कामिनी कौशल ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार किरदार दिए। क्या था उनके निजी जीवन का राज? क्यों चुनी उन्होंने एकांत की राह? तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…
कामिनी कौशल का सिनेमा सफर: लाहौर से बॉम्बे तक की यात्रा
कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) का जन्म 16 जनवरी 1927 को लाहौर (Lahore) में हुआ था। विभाजन से पहले ही उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया। 1946 में रिलीज हुई ‘नीचा नगर’ (Neecha Nagar) उनकी पहली फिल्म थी, जो कान फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) में पाल्मे डी’ओर (Palme d’Or) जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी। चेतन आनंद (Chetan Anand) के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने कामिनी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। आजादी के बाद बॉम्बे (अब मुंबई – Mumbai) आकर उन्होंने ‘दो भाई’ (1947), ‘जिद्दी’ (1948) और ‘शबनम’ (1949) जैसी फिल्मों में अभिनय किया। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली ‘नदिया के पार’ (1948) में उनका किरदार आज भी दर्शकों के जेहन में है। 1950 के दशक में ‘आरजू’ (1950), ‘झांझर’ (1953) और ‘बड़ी सरकार’ (1957) ने उन्हें स्टार बना दिया। कुल 50 से अधिक फिल्मों में काम करने वाली कामिनी ने हर दौर में अपनी छाप छोड़ी।
अंतिम वर्षों का एकांत: क्यों दूर रहीं लाइमलाइट से?
कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) ने 1960 के दशक में ‘गोदान’ (1963) के बाद धीरे-धीरे फिल्मों से दूरी बना ली। परिवार के करीबी सूत्र बताते हैं कि उन्होंने निजता को प्राथमिकता दी। उनके पति बीएस कौशल (BS Kaushal) का 1970 में निधन हो गया था, जिसके बाद वे तीन बेटियों की परवरिश में लग गईं। फिल्मी पार्टियां और अवॉर्ड फंक्शन से दूर रहते हुए उन्होंने मुंबई (Mumbai) में सादा जीवन जिया। आखिरी बार वे 2010 में एक डॉक्यूमेंट्री में नजर आईं थीं। सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पिछले कुछ वर्षों से थीं, लेकिन उन्होंने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। घर पर ही प्राकृतिक चिकित्सा अपनाई। उनके निधन की खबर परिवार ने सीमित लोगों तक ही साझा की, जिससे मीडिया को भी देर से पता चला।
फिल्मी हस्तियों के बयान: शोक और श्रद्धांजलि की बाढ़
निधन की खबर फैलते ही बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। अनुपम खेर (Anupam Kher) ने ट्वीट किया, “कामिनी जी ने सादगी से अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी।” शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) ने कहा, “उनकी मुस्कान और संवाद अदायगी आज भी प्रेरणा देती है।” फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (Film Heritage Foundation) ने बयान जारी कर कहा कि ‘नीचा नगर’ की डिजिटल रीस्टोरेशन प्रोजेक्ट में कामिनी कौशल का सहयोग अमूल्य था। निर्देशक श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) ने बताया कि 1960 के दशक में वे कामिनी जी से मिले थे और उनकी सादगी से प्रभावित हुए। कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरें साझा कीं। इंडस्ट्री ने मांग की है कि उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की जाए।