बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की नई दिशानिर्देश: उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें और ईवीएम पर सीरियल नंबरों का नया नियम
नई दिल्ली, 17 सितंबर 2025: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने और चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के तहत, ईवीएम के बैलेट पेपर यूनिट पर उम्मीदवारों की रंगीन फोटो लगाई जाएंगी। साथ ही, ईवीएम मशीनों पर सीरियल नंबरों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने के नए नियम लागू किए गए हैं। ये बदलाव बिहार चुनाव से ठीक पहले आ रहे हैं, जो 2025 के अंत में होने वाले हैं। आयोग का कहना है कि इससे मतदाता आसानी से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को पहचान सकेंगे और फर्जीवाड़े की आशंका कम होगी।चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये नई दिशानिर्देश मतदाता जागरूकता और तकनीकी सुधार पर आधारित हैं। “हमारा मकसद है कि हर मतदाता को बिना किसी कन्फ्यूजन के वोट डालने का मौका मिले। रंगीन फोटो से उम्मीदवारों की पहचान आसान हो जाएगी, खासकर उन इलाकों में जहां साक्षरता दर कम है,” उन्होंने कहा। बिहार जैसे राज्य में, जहां लाखों मतदाता ग्रामीण इलाकों से आते हैं, ये बदलाव काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं। आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी ईवीएम मशीनों पर सीरियल नंबर को बड़े अक्षरों में लिखा जाए, ताकि मतदान केंद्रों पर मशीनों की जांच आसानी से हो सके।बिहार विधानसभा चुनाव 243 सीटों के लिए होने हैं, और इस बार मतदाता संख्या करीब 7.5 करोड़ होने का अनुमान है। पिछले चुनावों में ईवीएम से जुड़ी कई शिकायतें आई थीं, जैसे मशीनों की पहचान न होना या उम्मीदवारों के प्रतीकों में भ्रम। नई गाइडलाइन इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए लाई गई है। बैलेट पेपर यूनिट (बीयू) पर उम्मीदवारों की रंगीन फोटो लगाने का विचार पहली बार बड़े स्तर पर लागू हो रहा है। इससे पहले, केवल काले-सफेद प्रतीक या नाम ही होते थे।
अब प्रत्येक उम्मीदवार की एक मानक आकार की रंगीन तस्वीर होगी, जो नामांकन पत्र के साथ जमा की गई फोटो पर आधारित होगी।ईवीएम पर सीरियल नंबरों के बारे में बात करें तो, आयोग ने सख्त नियम बनाए हैं। हर ईवीएम का एक यूनिक सीरियल नंबर होता है, लेकिन अब इसे मशीन के सामने वाले हिस्से पर स्पष्ट रूप से चिपकाया जाना अनिवार्य होगा। मतदान से पहले, बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को इसकी जांच करनी होगी। अगर कोई मिसमैच मिला, तो मतदान रुक सकता है। यह कदम ईवीएम की ट्रैकिंग को मजबूत करेगा और राजनीतिक दलों की शिकायतों को कम करेगा। विपक्षी दल अक्सर ईवीएम हैकिंग का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन आयोग का दावा है कि ये मशीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं।इस गाइडलाइन को लागू करने के लिए आयोग ने पूरे देश में ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू कर दिए हैं। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा, “हमारे राज्य में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) चल रहा है, जिसमें वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा किया जा रहा है। नई गाइडलाइन इसी का हिस्सा है।” एसआईआर के तहत, बिहार में लाखों फर्जी वोटरों को हटाया गया है, और मौत के रिकॉर्ड को वोटर लिस्ट से लिंक किया गया है।
इसके अलावा, हर वोटर को यूनिक ईपीआईसी नंबर दिया जा रहा है।राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी आ रही है। सत्ताधारी एनडीए ने इसे स्वागतयोग्य बताया है। भाजपा के एक नेता ने कहा, “ये बदलाव लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। रंगीन फोटो से ग्रामीण मतदाता आसानी से वोट देंगे।” वहीं, विपक्षी आरजेडी ने कहा कि ये कदम अच्छे हैं, लेकिन ईवीएम की पूरी जांच होनी चाहिए। “हम चाहते हैं कि वीवीपैट स्लिप की गिनती हर बूथ पर हो,” उन्होंने मांग की। आयोग ने पहले ही निर्देश दिए हैं कि जहां ईवीएम और फॉर्म 17सी में अंतर हो, वहां वीवीपैट की जांच होगी।बिहार चुनाव का महत्व काफी ज्यादा है। राज्य में जाति-धर्म की राजनीति हावी रहती है, और इस बार भी मुकाबला कड़ा होगा। नई गाइडलाइन से उम्मीद है कि मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। पिछले चुनाव में बिहार का वोटिंग प्रतिशत 57% था, जो सुधार की गुंजाइश रखता है। आयोग ने मतदाता शिक्षा के लिए कैंपेन भी शुरू किए हैं, जिसमें रंगीन फोटो और सीरियल नंबरों की जानकारी दी जा रही है।
ईवीएम की तकनीक को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। आयोग ने 28 महत्वपूर्ण कदम बताए हैं, जिनमें बिहार का एसआईआर शामिल है। इनमें से कई कदम ईवीएम की शुद्धता पर केंद्रित हैं। उदाहरण के लिए, 5% ईवीएम की मेमोरी चेक की जा रही है। साथ ही, निष्क्रिय राजनीतिक दलों को हटाया जा रहा है। ये सब मिलकर चुनाव को निष्पक्ष बनाने का प्रयास हैं।ग्रामीण बिहार के एक मतदाता रामलखन पासवान ने कहा, “अब फोटो देखकर वोट दूंगा, नाम पढ़ने में दिक्कत होती थी।” इसी तरह, पटना के एक कॉलेज स्टूडेंट ने बताया, “सीरियल नंबर से मशीनें ट्रैक होंगी, अच्छा है।” आयोग की कोशिश है कि युवा और महिलाओं का मतदान बढ़े। इसके लिए ई-एपिक कार्ड डाउनलोड की सुविधा भी बढ़ाई गई है।हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं। रंगीन फोटो प्रिंट करने में लागत बढ़ सकती है, लेकिन आयोग ने बजट का इंतजाम कर लिया है। बिहार के दूरदराज इलाकों में ईवीएम पहुंचाना भी मुश्किल होता है, लेकिन ट्रेनिंग से इसे संभाला जाएगा। कुल मिलाकर, ये नई गाइडलाइन चुनाव को आधुनिक और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इन नियमों का पालन करें। बिहार चुनाव नजदीक आ रहा है, और ये बदलाव उम्मीद जगाते हैं कि लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी। मतदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी वोटर आईडी चेक करें और जागरूक रहें। आने वाले दिनों में आयोग और अपडेट जारी करेगा।
