तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने पर महागठबंधन में असहमति: कारण और विश्लेषण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर असहमति बरकरार है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) तेजस्वी यादव को सीएम फेस के रूप में पेश कर रहा है, लेकिन गठबंधन के प्रमुख घटक, विशेष रूप से कांग्रेस, इस पर सहमति नहीं जता रही। यह असहमति न केवल गठबंधन की एकता को प्रभावित कर रही है, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ चुनावी रणनीति को भी कमजोर कर सकती है। इस लेख में, तेजस्वी को सीएम फेस बनाने पर महागठबंधन में असहमति के प्रमुख कारणों और इसके संभावित परिणामों का विश्लेषण किया गया है।
कांग्रेस की रणनीतिक चिंताएं
कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस के रूप में स्वीकार करने में हिचक रही है, क्योंकि वह बिहार में अपनी सियासी जमीन मजबूत करना चाहती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 19 सीटें जीतीं, जिससे उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। कांग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से राहुल गांधी और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, आरजेडी की छाया से बाहर निकलकर स्वतंत्र पहचान बनाना चाहता है। तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने से कांग्रेस को लगता है कि वह गठबंधन में केवल सहायक भूमिका तक सीमित रह जाएगी, जो उसकी दीर्घकालिक रणनीति के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
सीट बंटवारे पर खींचतान
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी तनाव है, जो तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी पर असहमति को बढ़ा रहा है। कांग्रेस 2020 की तरह 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी 50 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं। कांग्रेस चाहती है कि उसे ऐसी सीटें मिलें, जहां जीत की संभावना अधिक हो, लेकिन आरजेडी अपनी मजबूत स्थिति के चलते अधिक सीटें अपने पास रखना चाहती है। इस खींचतान के बीच, कांग्रेस तेजस्वी को सीएम फेस मानकर अपनी सौदेबाजी की स्थिति कमजोर नहीं करना चाहती। यह स्थिति गठबंधन में आपसी अविश्वास को दर्शाती है।
तेजस्वी की छवि और विवाद
तेजस्वी यादव की छवि भी असहमति का एक कारण है। लैंड फॉर जॉब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच और उनके परिवार के अन्य भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हैं। कांग्रेस को लगता है कि तेजस्वी की विवादास्पद छवि गठबंधन की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकती है, खासकर शहरी और मध्यम वर्ग के मतदाताओं के बीच। इसके अलावा, तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर कुछ कांग्रेसी नेताओं को संदेह है कि क्या वे नीतीश कुमार जैसे अनुभवी नेता के खिलाफ मजबूत चुनौती पेश कर पाएंगे। यह चिंता गठबंधन में एकता की कमी को और गहरा रही है।
कांग्रेस का वैकल्पिक नेतृत्व का दावा
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तेजस्वी के बजाय अपने नेताओं को सीएम फेस के रूप में पेश करने की मांग उठाई है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष यशवंत कुमार चमन ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को दलित चेहरा के रूप में सीएम उम्मीदवार बनाने की वकालत की। यह मांग कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाना चाहती है। हालांकि, आरजेडी इस सुझाव को खारिज करती है, क्योंकि तेजस्वी को पहले से ही यादव और मुस्लिम वोट बैंक का मजबूत समर्थन प्राप्त है। यह वैकल्पिक नेतृत्व का मुद्दा गठबंधन में तनाव का एक और कारण है।
माले और अन्य सहयोगियों का रुख
महागठबंधन में शामिल अन्य दल, जैसे सीपीआई (माले), भी तेजस्वी को सीएम फेस के रूप में तुरंत स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं। माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि सीएम का फैसला चुनाव के बाद सबसे बड़े दल के आधार पर होगा। यह रुख आरजेडी के लिए झटका है, क्योंकि तेजस्वी को पहले से सीएम फेस घोषित करने से गठबंधन को एकजुट चेहरा मिल सकता था। दूसरी ओर, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सहनी तेजस्वी का समर्थन करते हैं, लेकिन डिप्टी सीएम पद की मांग कर रहे हैं, जो गठबंधन की आंतरिक जटिलताओं को और बढ़ा रहा है।
तेजस्वी का नेतृत्व और जनता की धारणा
तेजस्वी यादव को लेकर महागठबंधन में असहमति के बावजूद, जनता के बीच उनकी लोकप्रियता एक महत्वपूर्ण कारक है। सी वोटर सर्वे में 41% लोगों ने तेजस्वी को पसंदीदा सीएम चेहरा बताया, जो उनकी मजबूत जनाधार को दर्शाता है। 2020 के चुनाव में तेजस्वी ने महागठबंधन का नेतृत्व किया और 75 सीटें जीतीं, जो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को कड़ी टक्कर देती थीं। आरजेडी नेता मनोज झा का कहना है कि बिहार की जनता तेजस्वी को नौकरी और विकास के प्रतीक के रूप में देखती है, और उनका नेतृत्व स्वीकार कर चुकी है। फिर भी, कांग्रेस इस जनाधार को गठबंधन की जीत की गारंटी के रूप में नहीं देख रही।
गठबंधन की रणनीति पर असर
तेजस्वी को सीएम फेस बनाने पर असहमति महागठबंधन की चुनावी रणनीति को कमजोर कर सकती है। एनडीए ने नीतीश कुमार को स्पष्ट रूप से सीएम फेस घोषित किया है, जो मतदाताओं को एकजुट करने में मदद करता है। इसके विपरीत, महागठबंधन की अनिर्णय की स्थिति मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकती है। कांग्रेस की हिचक और अन्य दलों के अलग-अलग रुख से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यदि तेजस्वी को स्पष्ट रूप से सीएम फेस नहीं बनाया गया, तो आरजेडी का कोर वोट बैंक निराश हो सकता है, जो गठबंधन के लिए नुकसानदेह होगा।
