राह प्रकाशित करती है उच्च भावनाओं के कवि दिनकर की रचनाएं

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के 115 वें जयंती के अवसर पर चल रहे दस दिवसीय कार्यक्रम के सातवें दिन गुरुवार को विवेकानंद क्लासेस सिमरिया में कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह की शुरुआत अतिथियों ने दिनकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक गायक और जनपद के चर्चित कवि सच्चिदानंद पाठक ने कहा कि जब राजनीति की कुहेलिका हमें दिग्भ्रमित करती है, तब दिनकर की रचना हमारी राह प्रकाशित करती है। दिनकर शब्द को चेतना के शिखर पर ले जाकर हृदय से भावों की गंगा प्रवाहित करते हैं। दिनकर अपने आप में एक अर्थवान आस्था के कवि हैं।
उन्होंने कहा कि दिनकर की कविताओं में पीर का श्रृंगार है, तो आंसू के प्रीत का एहसास भी है। दिनकर ऊंचे भवनों के नहीं, बल्कि उच्च भावनाओं के कवि हैं। दिनकर के काव्य में जो क्रोध की भाषा है, वह शोध के लिए है प्रतिशोध के लिए नहीं। दिनकर के ललकार में भी आनंद है, इसलिए दिनकर आनंद के भी कवि हैं।राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता गजेन्द्र झा एवं स्वागत भाषण प्रवीण प्रियदर्शी ने किया।
समारोह को संबोधित करते हुए जिला पार्षद चंदन कुमार ने कहा कि दिनकर सिर्फ ओज और हुंकार के ही नहीं, बल्कि मनुष्य के अंतरमन के भी कवि हैं। दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने कहा कि दिनकर मैथिलीशरण के आदर्श, निराला के शौर्य और तुलसी की सरल भाषा से प्रभावित हैं। पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष बद्री प्रसाद राय ने कहा कि दिनकर मूलतः कृषक चेतना के कवि हैं।
दिनकर ने किसानों के दुख दर्द को महसूस किया और उसे अपनी रचनाओं में उतारा। वे हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। इस अवसर पर साहित्यकार श्यामनंदन निशाकर ने ”धूप” तथा युवा कवि ए.के. मनीष ने ”ऐ लड़की” शीर्षक कविता सुनाया। समारोह को पूर्व प्राचार्य विजय कुमार चौधरी, साहित्यकार बबलू दिव्यांशु, राजेन्द्र राय नेताजी, ललन कुमार सिंह, कृष्णनंदन पिंकू ने भी संबोधित किया।
