दिल्ली: पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ जांच शुरू, अस्पताल निर्माण में घोटाले का आरोप
दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों और आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज की मुश्किलें बढ़ गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) को अस्पताल निर्माण में कथित बहु-करोड़ी घोटाले की जांच के लिए मंजूरी दे दी है। यह जांच BJP विधायक और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की अगस्त 2024 में दायर शिकायत के आधार पर शुरू हुई, जिसमें जैन और भारद्वाज पर स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। आरोपों में परियोजनाओं की लागत में जानबूझकर वृद्धि, देरी, और धन के दुरुपयोग शामिल हैं। AAP ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे BJP की राजनीतिक साजिश करार दिया है। इस लेख में, हम इस मामले को पांच हिस्सों में विस्तार से समझेंगे, जिसमें जांच का आधार, आरोपों की प्रकृति, और इसके राजनीतिक-सामाजिक प्रभाव शामिल हैं।
जांच का आधार और मंजूरी
दिल्ली की ACB को पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ जांच की मंजूरी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत मिली है। 6 मई 2025 को दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने ACB के अनुरोध को गृह मंत्रालय को भेजा था। यह जांच BJP नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर आधारित है, जिन्होंने अगस्त 2024 में स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। ACB की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कई परियोजनाओं की लागत जानबूझकर बढ़ाई गई, कार्य में देरी हुई, और धन का दुरुपयोग किया गया। निगरानी विभाग ने भी परियोजनाओं में खराब योजना, बार-बार डिजाइन बदलाव, और लागत वृद्धि की ओर इशारा किया। यह जांच AAP के शासनकाल में स्वास्थ विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है।
आरोपों का विवरण
विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के अनुसार, 2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) को 5,590 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। इनमें से कई परियोजनाएं तय समय से वर्षों बाद भी अधूरी हैं, और लागत में भारी वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, 94 पॉलीक्लिनिक्स के निर्माण के लिए 168 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, लेकिन केवल 52 बनाए गए, जिन पर 220 करोड़ रुपये खर्च हुए। सात आईसीयू अस्पताल, जिन्हें 1,125 करोड़ रुपये में छह महीने में पूरा करना था, तीन साल बाद भी केवल 50% पूरे हुए। आरोप है कि लागत बढ़ाने, लागत प्रभावी समाधानों को ठुकराने, और गैर-कार्यात्मक संपत्तियां बनाने की रणनीति अपनाई गई, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
AAP का जवाब और राजनीतिक विवाद
AAP ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, इसे BJP की “राजनीतिक बदला” करार दिया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनके कार्यकाल (2023 से) में कोई लागत वृद्धि या संशोधित अनुमान मंजूर नहीं किया गया। AAP ने तर्क दिया कि परियोजना देरी को भ्रष्टाचार कहना गलत है, और BJP की केंद्र सरकार की परियोजनाओं, जैसे बुलेट ट्रेन, में भी देरी हुई है। पार्टी ने आरोप लगाया कि BJP और उपराज्यपाल शासन को “हास्यास्पद” बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर AAP समर्थकों ने इसे “चुनावी हार का बदला” बताया, जबकि BJP ने दावा किया कि यह जांच AAP के भ्रष्टाचार को उजागर करेगी। यह विवाद दिल्ली की सियासत में नया तनाव पैदा कर रहा है, खासकर जब AAP पंजाब और गुजरात में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।
जैन और भारद्वाज का राजनीतिक इतिहास
सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज AAP के प्रमुख नेता हैं। जैन, जो 2013 से 2023 तक दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे, को 2022 में मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। वह कई अन्य मामलों में भी जांच का सामना कर रहे हैं, जैसे कक्षा निर्माण घोटाला। दूसरी ओर, भारद्वाज, जो 2023 में स्वास्थ्य मंत्री बने, अब तक भ्रष्टाचार के आरोपों से बचे थे। उनकी “स्वच्छ छवि” को यह जांच नुकसान पहुंचा सकती है। दोनों नेताओं की AAP में महत्वपूर्ण भूमिका है, और यह जांच उनकी विश्वसनीयता और पार्टी की छवि पर असर डाल सकती है। सोशल मीडिया पर BJP समर्थक इसे AAP के “भ्रष्टाचार का अंत” बता रहे हैं, जबकि AAP इसे “राजनीतिक साजिश” कह रही है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह जांच दिल्ली की राजनीति और सामाजिक माहौल को प्रभावित कर सकती है। AAP ने दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं, जैसे मोहल्ला क्लीनिक, को अपनी उपलब्धि बताया है, लेकिन यह घोटाला उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में AAP की हार के बाद, यह जांच पार्टी के लिए नई चुनौती है। पंजाब में AAP की सरकार और गुजरात में बढ़ता प्रभाव भी प्रभावित हो सकता है। जनता के बीच, विशेषकर मध्यम वर्ग में, यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसे को कम कर सकता है। BJP इसे AAP के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जबकि AAP इसे “केंद्र की तानाशाही” बता रही है। यह विवाद दिल्ली की सियासत को और ध्रुवीकृत कर सकता है, और जांच के नतीजे दोनों दलों के भविष्य को प्रभावित करेंगे।
