दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने पुराने लोहे वाले पुल के निकटवर्ती बाढ़ राहत शिविरों का दौरा किया
दिल्ली में फिर से यमुना का जलस्तर बढ़ने के कारण सोमवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शाहदरा जिले में पुराने लोहे वाले पुल के निकटवर्ती इलाकों में बनाए गए बाढ़ राहत शिविरों का सघन निरीक्षण किया।
इस अवसर पर राजस्व विभाग, दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एमसीडी, वन विभाग, पीडब्लूडी, आईएन्डएफसी और पशुपालन आदि विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। सभी मौजूदा अधिकारियों को सामान्य स्थिति आने तक राहत और बचाव कार्य के लिए राहत शिविरों में रहने, खाने-पीने, शौचालय और मेडिकल सहित सभी जरूरी सुविधाएं जारी रखने के निर्देश दिए गए।
आज राहत शिविर में लोगों को फ्री राशन और खाने का सामान भी बांटा गया। साथ ही पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि वर्तमान में यमुना का जलस्तर धीरे धीरे नीचे आता दिखाई दे रहा है और यदि हथिनीकुंड से पानी फिर न छोड़ा गया तो यमुना के शाम तक खतरे के निशान से नीचे आने के आसार है।
राहत शिविरों का जायज़ा लेने के बाद गोपाल राय ने बताया की हथिनीकुंड बैराज से फिर से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण एक बार फिर नदी खतरे के निशान को पार कर गई थी। इसी के चलते आज हमने शाहदरा जिले के पुराने लोहे वाले पुल के पास स्थित राहत शिविर का जायज़ा लिया।
आज सुबह तक यमुना नदी का जल स्तर खतरे के निशान पर था लेकिन अब धीरे धीरे पानी नीचे उतर रहा है और यदि हथिनीकुंड से पानी फिर न छोड़ा गया तो यमुना के शाम तक खतरे के निशान से नीचे आने के आसार है, लेकिन ऐसे में सरकार के रूप में हमारी जिम्मेदारी है की हम हर खतरे से दिल्लीवासियों को बचाने के लिए तत्पर रहे। इससे प्रभावित होने वाले लोगों की मदद करें और उन्हें हर जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाएं। इस अवसर पर पशुपालन विभाग को सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे पशुओं के पुनर्वास, उनके लिए दवाई और टीका की व्यवस्था के निर्देश दिए गए। साथ ही राहत शिविर में नियमित रूप से पर्याप्त पशु चारा भी उपलब्ध कराने और मेडिकल टीम को बाढ़ राहत शिविर में मवेशियों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने का भी निर्देश दिया गया।
राय ने बताया कि हमारी कोशिश है कि हम नियमित रूप से ग्राउंड लेवल जानकारी लेने और आवश्यक बचाव, राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए सम्बंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय के लिए कार्य करें ताकि इन बाढ़ राहत शिविरों में रहने वाले लोगों को किसी तरह की भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
