• October 14, 2025

देश के 7 राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा, जानें हर सीट की पूरी डिटेल

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर 2025: चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखें घोषित कर दीं। 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को बिहार के परिणामों के साथ आएंगे। ये उपचुनाव विधायकों के इस्तीफे, अयोग्य घोषित होने या निधन के कारण खाली हुईं। जम्मू-कश्मीर में दो सीटें, बाकी राज्यों में एक-एक। लेकिन इन सीटों पर राजनीतिक दांव-पेंच क्या हैं? कौन से दलों का पलड़ा भारी? हर सीट का बैकग्राउंड और उम्मीदवारों की जंग आगे जानें।

जम्मू-कश्मीर: बडगाम और नगरोटा—राजनीतिक उथल-पुथल की सीटें

जम्मू-कश्मीर में दो सीटों पर उपचुनाव अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे हैं। बडगाम (केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र) 2024 चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के ओमर अब्दुल्ला ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने पर इस्तीफा दे दिया। अब बीजेपी और एनसी के बीच कांटे की टक्कर। एनसी का गढ़ माने जाने वाले इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र में वोटर टर्नआउट 50% से ऊपर रहता है। दूसरी ओर, नगरोटा (जम्मू जिला) बीजेपी के देवेंद्र सिंह राणा की मौत से खाली हुई। राणा ने 2024 में बीजेपी टिकट पर 30,472 वोटों से जीत हासिल की थी। पहले एनसी से थे, बाद में बीजेपी में शामिल हुए। यह हिंदू बहुल सीट बीजेपी का गढ़ है, जहां कांग्रेस भी दावेदार हो सकती है। दोनों सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग, जो जेकेएलसी की सियासत को नई दिशा देगी।

राजस्थान की अंता: बीजेपी का गढ़, कांग्रेस की चुनौती

राजस्थान की बारां जिले वाली अंता सीट 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कंवर लाल मीणा ने 5,861 वोटों से कांग्रेस के प्रमोद जैन भया को हराया था। मीणा के लोकसभा चुनाव लड़ने पर यह सीट खाली हुई। बीजेपी का पारंपरिक गढ़, जहां मीणा का प्रभाव बरकरार है। लेकिन कांग्रेस इसे पलटवार का मौका मान रही, खासकर दलित-मुस्लिम वोटबैंक पर। क्षेत्र में खनन और सिंचाई मुद्दे प्रमुख। 2023 में 70% टर्नआउट के साथ बीजेपी मजबूत रही। उपचुनाव में बीजेपी मीणा के रिश्तेदार को उतार सकती है, जबकि कांग्रेस स्थानीय नेता पर दांव लगाएगी। 11 नवंबर का मतदान राज्य की सियासत में संतुलन बिगाड़ सकता है।

झारखंड की घाटशिला: जेएमएम का आदिवासी गढ़

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के रामदास सोरन के निधन से खाली हुई। सोरन ने 2019 में 12,000+ वोटों से जीत हासिल की थी। आदिवासी बहुल यह सीट जेएमएम का मजबूत किला है, जहां हेमंत सोरेन सरकार का समर्थन मिलेगा। विपक्षी बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन इसे सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। मुद्दे: आदिवासी अधिकार, खनन और विकास। 2024 लोकसभा में जेएमएम ने यहां प्रभाव दिखाया। उपचुनाव सोरेन परिवार की पकड़ को परखेगा।

तेलंगाना की जुबली हिल्स: बीआरएस की हार का बदला?

हैदराबाद की पॉश जुबली हिल्स सीट बीआरएस विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन से खाली हुई। 2023 चुनाव में बीआरएस ने 20,000+ वोटों से कांग्रेस को हराया। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार के बाद बीआरएस कमजोर हुई। यह अर्बन सीट है, जहां आईटी प्रोफेशनल्स और अमीर वोटर हैं। मुद्दे: इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग। कांग्रेस बीआरएस को चुनौती देगी, जबकि एआईएमआईएम भी दावेदार। उपचुनाव बीआरएस की वापसी का टेस्ट बनेगा।

पंजाब की तरनतारन: अकाली दल का पारंपरिक क्षेत्र

पंजाब के तरनतारन जिले की सीट शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) का गढ़ रही, लेकिन 2022 में AAP ने जीती। वर्तमान विधायक की अयोग्यता से खाली। सिख बहुल क्षेत्र, जहां किसान मुद्दे प्रमुख। AAP, कांग्रेस और एसएडी त्रिकोणीय मुकाबला होगा। 2022 में 65% टर्नआउट। उपचुनाव भगवंत मान सरकार की लोकप्रियता मापेगा-
मिजोरम की डम्पा: क्षेत्रीय दलों की जंगमिजोरम के चम्फाई जिले की डम्पा सीट क्षेत्रीय पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के विधायक की मृत्यु से खाली। 2023 में जेडपीएम ने जीती। ईसाई बहुल क्षेत्र, मुद्दे: सीमा विवाद और विकास। एमएनएफ विपक्षी दबाव डालेगी। उपचुनाव स्थानीय सियासत को प्रभावित करेगा।
ओडिशा की नुआपाड़ी: बीजू जनता दल का प्रभावओडिशा के नुआपाड़ा जिले की सीट बीजू जनता दल (बीजेडी) के राजेंद्र धोलकिया के निधन से खाली। 2019 में बीजेडी ने 15,000+ वोटों से जीती। आदिवासी क्षेत्र, मुद्दे: सिंचाई और गरीबी। बीजेडी मजबूत, लेकिन बीजेपी सेंध लगाएगी। उपचुनाव नवीन पटनायक की पकड़ परखेगा।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *