• December 27, 2025

आजादी के 75 वर्ष बाद अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होंगी कानपुर की कई सड़कें

 आजादी के 75 वर्ष बाद अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होंगी कानपुर की कई सड़कें

आजादी के 75 वर्ष बाद अंग्रेजों की गुलामी से कानपुर नगर की कई सड़कें अब मुक्त हो जाएंगी। कैंट बोर्ड क्षेत्र में आने वाली 18 सड़कों के नाम को परिवर्तित कर दिया है। बोर्ड इसे सार्वजनिक भी कर चुका है। अधिकारियों की मानें तो अब सड़कों पर उनके बदले नाम का बोर्ड लगाने की तैयारी हो चुकी है। यह जानकारी शुक्रवार को छावनी परिषद के मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनुज गोयल ने दी।

उन्होंने बताया कि छावनी परिषद अब फूलबाग एलआईसी भवन से आगे बढ़ने पर नरोना रोड का नाम आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम को आगे बढ़ते हुए नेहरू मार्ग के नाम से जाना जाएगा। इसी तरह म्योर रोड अब पीर साहिब मार्ग के नाम का बोर्ड नजर आएगा।

इसी क्रम में कानपुर नगर की एल्गिन रोड, लैटिन रोड, डार्विन रोड सहित कैंट बोर्ड की 18 सड़कों का नाम अब बदल दिया गया है। अब शहर के लोगों को अंग्रेजों के नाम को भूलकर अब नये नाम याद करना होगा।

शहर के नैपियर रोड को अब अशोक पथ, पील रोड को अंबेडकर पथ, कैम्ब्रिज रोड को अहिल्या बाई मार्ग, न्यू सिमेटरी रोड अश्विनी मार्ग, हार्डिंग रोड को तिलक मार्ग, टर्नर रोड को सुभाष चंद्र बोस मार्ग, रैकब रोड को शांति पथ, नरोना रोड को नेहरू मार्ग,मायो रोड -कबीर पथ,एल्गिन रोड -रानी लक्ष्मी बाई मार्ग,लैटिन रोड -सरदार पटेल मार्ग,अल्थर्ट रोड -शिवाजी मार्ग, म्योर रोड -पीर साहिब मार्ग,कालविन रोड -विवेकानंद मार्ग के नाम से जाना जाएगा।

सड़कों के भी नाम बदले, लेकिन कानपुरियों की नही बदली आदत

उदाहरण के तौर पर बिरहाना रोड का नाम बदलकर कस्तूरबा गांधी मार्ग रखा गया, लेकिन कोई नहीं जानता,मेस्टन रोड का नाम बदलकर हसरत मोहानी मार्ग हो गया है, लेकिन कोई नहीं बोलता है।परेड चौराहा का नाम बदलकर बलिदानी भगत सिंह के नाम पर रखा गया, लेकिन कोई नहीं बोलता।

जाने अंग्रेजों द्वारा दिये गए मोहल्ले के नाम

हूलागंज, एलन गंज, कर्नलगंज, फेथफुल गंज, कैसरगंज, हैरिस गंज, बेकनगंज, मूलगंज, सूटरगंज, मैकराबर्टगंज, कलक्टरगंज

कैसे पड़े बाजारों के नाम

गिलिस बाजार का नाम 1857 से पहले बहुत सी फौजी कंपनियां कानपुर में ठहरती थीं। इनमें से बंगाल इंफेंट्री सबसे महत्वपूर्ण थी। उन्हें गिलिसेज भी कहा जाता था। इसी गिलिसेज के नाम पर गिलिस बाजार अस्तित्व में आया। नवाबगंज में आज भी कंपनी बाग है। 1847 में अंग्रेजों की सेनाएं यहां आकर रुकी थीं। इसे कंपनी बाग कहा जाने लगा। कारसेट चौराहे से नई सड़क होकर सेंट्रल स्टेशन जाने पर परेड चौराहा मिलता है। यहां मैदान में अंग्रेजों की सेना की परेड होती थी, जिससे इसका नाम परेड पड़ गया।

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