बिहार चुनाव की तैयारी: क्या पार्टियों की ये बैठक निष्पक्ष वोटिंग का रोडमैप बनेगी?
पटना, 4 अक्टूबर 2025: जब बिहार की 243 सीटों पर सियासी जंग सेट हो रही हो, तो क्या एक बैठक ही सबका भरोसा जीत लेगी? चुनाव आयोग की टीम ने पटना में सभी मान्यता प्राप्त दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, जहां पारदर्शिता से लेकर मतदाता सूची तक हर मुद्दा गूंजा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई में हुई इस चर्चा ने दलों को आश्वासन दिया, लेकिन सवाल वही—क्या छठ के बाद चुनाव और कम चरणों वाली तारीखें तय होंगी? NDA और महागठबंधन के बीच तनाव के बीच यह बैठक उम्मीद जगाती है। आइए, जानें किन अहम बिंदुओं पर बनी सहमति, जो बिहार को निष्पक्ष पर्व की ओर ले जाए।
दलों का विश्वास और आयोग की अपील
पटना के ताज होटल में शनिवार सुबह शुरू हुई बैठक मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में चली, जिसमें चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु, डॉ. विवेक जोशी और बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल भी मौजूद रहे। बिहार के 12 मान्यता प्राप्त दलों—बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई(एमएल) लिबरेशन समेत—के प्रतिनिधि शामिल हुए, प्रत्येक से तीन सदस्यों तक। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला हैं, इसलिए पारदर्शी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। दलों से अपील की गई कि चुनाव को सौहार्दपूर्ण पर्व की तरह मनाएं, मतदाताओं का सम्मान करें। सभी ने आयोग पर पूर्ण विश्वास जताया, स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद व्यक्त की। यह बैठक 7.42 करोड़ मतदाताओं वाली अंतिम सूची के बाद हुई, जो SIR से 47 लाख कम हुई। दलों ने आयोग के कदमों की सराहना की, लेकिन छठ पूजा (25 अक्टूबर) के बाद तारीखों की मांग की।
पारदर्शिता से मतदाता लिस्ट तक की चर्चा
चर्चा के केंद्र में रहे चुनावी प्रक्रिया के हर पड़ाव—आयोग ने जोर दिया कि हर बूथ पर दल अपने पोलिंग एजेंट नामित करें, ताकि पारदर्शिता का अनुभव हो। दलों ने SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के ऐतिहासिक कदम की तारीफ की, जो मतदाता सूची को अपडेट करने में पारदर्शी साबित हुआ। 1200 मतदाताओं की अधिकतम सीमा वाले बूथों पर भी धन्यवाद, जो भीड़भाड़ रोकने में मददगार। हालिया बदलाव जैसे पोस्टल वोट गिनती और फॉर्म 17C के प्रावधानों की व्यापक सराहना हुई। दलों ने सुझाव दिया कि छठ के तुरंत बाद चुनाव हो, कम से कम चरणों में—शायद 4-5—ताकि मतदान प्रतिशत बढ़े। आयोग ने मतदाता जागरूकता पर जोर दिया, दलों से सहयोग मांगा। विवादास्पद मुद्दा वोटर लिस्ट ‘शुद्धिकरण’ रहा, जहां NDA ने विदेशी घुसपैठियों हटाने की तारीफ की, तो विपक्ष ने ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया। कुल मिलाकर, बैठक सकारात्मक रही, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करने का संकल्प दर्शाती।
तारीखों का ऐलान और चुनौतियां
बैठक के बाद आयोग दिल्ली लौटेगा, और 6-7 अक्टूबर को बिहार चुनाव की तारीखें घोषित होने की उम्मीद। विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा, इसलिए 50 दिनों में सब तय होना है। दलों ने कम चरणों और छठ के बाद शेड्यूल पर जोर दिया, ताकि पर्व प्रभावित न हो। आयोग ने 400 सेंट्रल ऑब्जर्वर्स को IIIDEM में ट्रेनिंग दी, जो बिहार में निगरानी करेंगे। चुनौतियां बाकी—वोटर लिस्ट पर विवाद, मतदान प्रतिशत बढ़ाना (पिछले चुनाव में 57%)। विशेषज्ञ कहते हैं, यह बैठक दलों को एकजुट करने का मौका थी, लेकिन अमल में पारदर्शिता ही कुंजी। क्या बिहार फिर से शांतिपूर्ण चुनाव का उदाहरण बनेगा? हां, यदि दलों ने अपील मानी।
