बाबा चैतन्यानंद का फर्जीवाड़ा: डिग्री से लेकर पहचान तक सब झूठ
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर 2025: यौन शोषण के गंभीर आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे स्वघोषित बाबा चैतन्यानंद सरस्वती के काले कारनामों की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। वसंत कुंज के श्री शारदा इंस्टीट्यूट में 17 महिला छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोपी यह ‘संत’ अब शिक्षा, पहचान और धार्मिक इतिहास के फर्जीवाड़े में फंसा है। विश्व विख्यात शिकागो यूनिवर्सिटी की एमबीए डिग्री, प्रधानमंत्री कार्यालय का आईडी कार्ड, वैश्विक नेताओं संग फोटो—सब कुछ नकली साबित हो रहा है। रामकृष्ण मिशन से जुड़ाव और लेखन को स्टीव जॉब्स व ओबामा की तारीफ का दावा भी जांच के घेरे में। लेकिन यह सिर्फ बाहरी दिखावा था, या उसके पीछे गहरी साजिश? पुलिस की जांच में अश्लील चैट, पॉर्न सामग्री और वित्तीय हेराफेरी के सबूत मिले। क्या यह धार्मिक आड़ में अपराध का साम्राज्य था? पूरी सच्चाई आगे उजागर होती है।
फर्जी डिग्री का खुलासा
बाबा चैतन्यानंद सरस्वती ने खुद को शिकागो यूनिवर्सिटी बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए और पीएचडी की डिग्री वाला विद्वान बताया। उसके विजिटिंग कार्ड, किताबों और इंस्टीट्यूट दस्तावेजों में यही दावा चमकता था। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो ने स्पष्ट किया कि बाबा को कभी कोई डिग्री नहीं दी गई। पुलिस ने आगरा से गिरफ्तारी के बाद उसके सामान से दो फर्जी कार्ड बरामद किए, जहां वह खुद को अमेरिकी पढ़ाई वाला ‘मिनिस्टर ऑफ स्टेट’ बताता था। फरीदाबाद के मानव रचना स्कूल को भेजे लेटर में भी यही झूठ था। उसके लेखन को स्टीव जॉब्स, बराक ओबामा और डेविड कैमरून की तारीफ का दावा फर्जी फोटो से जुड़ा। इंस्टीट्यूट के दस्तावेजों में वह रामकृष्ण मिशन से जुड़ाव दिखाता, लेकिन 1997 में अकाउंट हेराफेरी के आरोप में 2002 में निकाल दिया गया। यह फर्जीवाड़ा छात्राओं को लुभाने और फंड जुटाने का हथियार था। जांच में साफ हुआ कि बाबा ने श्री शारदा इंस्टीट्यूट को फर्जी एआईसीटीई अप्रूवल से चलाया।
यौन शोषण और अश्लील सामग्री
वसंत कुंज के श्री शारदा इंस्टीट्यूट में चांसलर रहते बाबा ने ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप वाली 17 महिला छात्राओं का शोषण किया। आगरा के होटल से 27 सितंबर को गिरफ्तार होने पर उसके तीन फोन और आईपैड से अश्लील चैट बरामद हुए। चैट में वह लड़कियों को सेक्स के बहाने बरगलाता, रात के समय बुलाता और शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालता। दो महिला सहयोगी छात्राओं को धमकातीं, मैसेज डिलीट करवातीं। परिसर से पॉर्न वीडियो सीडी, सेक्स टॉय और ‘टॉर्चर चैंबर’ जैसी जगह मिली, जहां शोषण होता। छात्राओं ने बताया कि बाबा फोन-डिप्लोमा जब्त कर डराता, पीड़ितों को चुप रहने को मजबूर करता। पाटियाला हाउस कोर्ट ने 28 सितंबर को 5 दिन की रिमांड दी, जहां वह सहयोगियों से सामना किया गया। उसके फरार होने से पहले 4 अगस्त को एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी और छेड़छाड़ के आरोप। यह साम्राज्य आध्यात्मिक आड़ में चल रहा था, लेकिन अब टूट चुका।
वित्तीय हेराफेरी और जांच का दायरा
बाबा ने श्री शारदा इंस्टीट्यूट ट्रस्ट को फर्जी दस्तावेजों से स्थापित किया, एआईसीटीई अप्रूवल का झूठा दावा कर फंड इकट्ठा किए। पुलिस ने उसके खाते से 8 करोड़ रुपये फ्रीज किए। पीएमओ का फर्जी आईडी, यूएन कार्ड और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिज्ञ बनने का दिखावा वित्तीय लाभ के लिए था। रामकृष्ण मिशन से निकाले जाने के बाद वह स्वतंत्र ‘गॉडमैन’ बना, किताबें लिखीं और संस्थान चलाया। जांच में स्टीव जॉब्स व ओबामा की एंडोर्समेंट वाली किताबें भी संदिग्ध पाई गईं। 30 सितंबर को सहयोगियों से कड़ाई से पूछताछ हुई, जहां फोटो-मैसेज के सबूत दिखाए गए। दिल्ली पुलिस का कहना है कि मामला बड़ा है, और आईएएफ अधिकारी के पत्र ने घोटाला उजागर किया। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी, कस्टोडियल इंटरोगेशन जरूरी बताया। आने वाले दिनों में और खुलासे संभव, जो बाबा के साम्राज्य को पूरी तरह बेनकाब करेंगे। समाज को यह सबक देता है कि आस्था के नाम पर अपराध न हो।
