• October 16, 2025

अरविंद जयतिलक

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जीवन को स्वस्थ रखने की चुनौती-अरविंद जयतिलक

आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है। यह दिवस इस मायने में महत्वपूर्ण है कि नित-नए खतरनाक बीमारियों की उत्पत्ति से जीवन को स्वस्थ रखने की चुनौती बढ़ गयी है। दुनिया भर के लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक बिरादरी को संदेश देता है कि वह अपने नागरिकों को शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ रखे। लेकिन चिंता […]Read More

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दक्षिण के द्वार पर 2024 का सेमीफाइनल- अरविंद जयतिलक

# राज्य विधानसभा में दलितों के लिए कुल 51 सीटें  #36 अनुसूचित जाति के लिए और 15 अनुसूचित जनजाति के नई दिल्ली : 224 सीट वाली कर्नाटक विधानसभा चुनाव का एलान हो गया है। चुनाव आयोग ने 10 मई को मतदान और 13 मई को नतीजे की तिथि तय की है। दक्षिण के द्वार पर लड़ा जाने वाला यह चुनाव 2024 के आमचुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। इस सियासी कुरुक्षेत्र […]Read More

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समुद्री जीवन बचाने की मानवीय पहल- अरविंद जयतिलक

यह सुखद है कि 20 वर्षों की लंबी बातचीत के उपरांत एक सैकड़ा से अधिक देश समुद्री जीवन को बचाने की अहम संधि पर मुहर लगाने को तैयार हो गए हैं। न्यूयाॅर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संपन्न इस हाई सीज ट्रीट्री के तहत 2030 तक दुनिया के 30 फीसदी महासागरों को संरक्षित किया जाना है। संधि को लागू करने के लिए अब सभी देशों को अपनी-अपनी संसद से मंजूरी दिलानी होगी। संधि में प्रावधान […]Read More

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बिप्र धेनु सुर संत हित लिन्ह मनुज अवतार- अरविंद जयतिलक

Ramnavmi 2023: महान संत तुलसीदास रचित रामचरितमानस में उद्घृत है कि ‘बिप्र धेनु सुर संत हित लिन्ह मनुज अवतार, निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार।’ यानी पृथ्वी पर प्रभु श्रीराम का अवतार ब्राहमण, गौ, देवता, संतों और दीनजनों के कल्याण के लिए हुआ। उन्होंने दुष्टों का संघार कर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की और लोकमंगल के कार्य किए। रामचरित मानस में कहा गया है कि ‘राजीव नयन धरें धनु सायक, भगत बिपति […]Read More

POLITICS

जस करनी तस भोगहु ताता- अरविंद जयतिलक

‘जस करनी तस भोगहु ताता, नरक जात पुनि क्या पछताता’। गोस्वामी तुलसीदास की यह पंक्ति देश के उन माननीयों के लिए सख्त संदेश है जो बिना विचार किए हर पल विषवमन करने को आतुर दिखतेे हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर निर्वाचित जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी होती है कि वह भाषा की मर्यादा और ईमानदार आचरण का ख्याल रखते हुए अपनी बात कहे। यह कहीं से भी उचित नहीं कि वह दूसरे को नीचा दिखाने के […]Read More