• December 25, 2025

अटल 101: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र का नमन; पीएम मोदी ने ‘सदैव अटल’ जाकर दी श्रद्धांजलि, कहा- ‘राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने वाला व्यक्तित्व’

नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर वक्ता और ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी की आज 101वीं जयंती है। इस विशेष अवसर पर पूरा देश अपने प्रिय नेता के महान योगदान और उनके विराट व्यक्तित्व को याद कर रहा है। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर राज्यों की राजधानियों तक विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अटल जी के सिद्धांतों और उनके दिखाए मार्ग को नमन किया जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश की तमाम बड़ी राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने दिल्ली स्थित उनके स्मारक ‘सदैव अटल’ पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे एक कवि, पत्रकार और अद्वितीय कूटनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में शुचिता और गरिमा के नए मानक स्थापित किए। उनकी 101वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जीवन को समाज के लिए एक जीवंत मार्गदर्शक बताया और उनके विचारों को आधुनिक भारत की नींव का आधार करार दिया।

‘सदैव अटल’ पर श्रद्धासुमन और भक्तिमय वातावरण

दिल्ली के ‘सदैव अटल’ स्मारक पर सुबह से ही प्रार्थना सभा और श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हो गया। कड़ाके की ठंड के बावजूद देश के शीर्ष नेतृत्व ने वहां पहुंचकर पुष्प अर्पित किए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर दिवंगत राजनेता को नमन किया। उनके साथ उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी अटल जी की स्मृति को नमन किया।

स्मारक परिसर में आयोजित प्रार्थना सभा में संगीतबद्ध श्रद्धांजलि दी गई, जिसमें भजन और देशभक्ति के स्वरों ने वातावरण को भावुक और गरिमामयी बना दिया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, और पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी उपस्थित रहे। विभिन्न धर्मगुरुओं ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की, जो अटल जी के सर्वसमावेशी व्यक्तित्व और सभी वर्गों के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।

पीएम मोदी ने साझा किया वीडियो संदेश: ‘अटल संकल्प और राष्ट्रहित सर्वोपरि’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक विशेष वीडियो संदेश साझा कर अटल जी को याद किया। इस वीडियो में अटल जी के ऐतिहासिक भाषणों, उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को खूबसूरती से पिरोया गया है। पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व, उनका आचरण और उनके विचार राजनीति के लिए एक आदर्श मानक हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा राष्ट्रहित को व्यक्तिगत और दलीय राजनीति से ऊपर रखा। उनके लिए भारत एक भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीता-जागता राष्ट्रपुरुष था। मोदी ने रेखांकित किया कि किस तरह परमाणु परीक्षण (पोखरण) से लेकर कारगिल युद्ध तक, अटल जी के दृढ़ संकल्प ने दुनिया के सामने भारत की ताकत का लोहा मनवाया। प्रधानमंत्री ने उन्हें एक ऐसा राजनेता बताया जो अपने विरोधियों के बीच भी समान रूप से लोकप्रिय और सम्मानित थे।

संस्कृत के सुभाषितों से अटल व्यक्तित्व की व्याख्या

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में संस्कृत के एक श्लोक का उद्धरण देते हुए वाजपेयी जी के व्यक्तित्व की गहराई को समझाया। उन्होंने कहा कि महापुरुषों का जीवन किसी एक कालखंड के लिए नहीं, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह होता है। प्रधानमंत्री के अनुसार, अटल जी की जयंती उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने का एक विशेष अवसर है।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी जी ने जिस ‘अंत्योदय’ और ‘सुशासन’ की कल्पना की थी, आज उनकी सरकार उसी को आधार बनाकर विकसित भारत की दिशा में कदम बढ़ा रही है। उनके भाषणों की मिठास और उनके तर्कों की काट आज भी भारतीय संसद की दीवारों में गूंजती है। वे एक ऐसे मार्गदर्शक थे जिन्होंने सिखाया कि राजनीति केवल सत्ता पाने का साधन नहीं, बल्कि सेवा का एक पवित्र माध्यम होनी चाहिए।

एक युगपुरुष का सफर: पत्रकारिता से प्रधानमंत्री तक

अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती हमें उनके उस संघर्षपूर्ण सफर की याद दिलाती है जो ग्वालियर की गलियों से शुरू होकर दिल्ली के प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा। 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल जी ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी, लेकिन उनकी प्रखर वाणी और राष्ट्र के प्रति समर्पण ने उन्हें जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेता बनाया।

वे पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके कार्यकाल में शुरू की गई ‘स्वर्ण चतुर्भुज’ योजना ने देश के बुनियादी ढांचे को बदल दिया, तो वहीं ‘सर्व शिक्षा अभियान’ ने शिक्षा की अलख जगाई। आज उनकी 101वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम केवल औपचारिक श्रद्धांजलि नहीं हैं, बल्कि यह उनके द्वारा बोए गए सुशासन के बीजों का उत्सव है।

राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों का जमावड़ा

स्मारक पर आयोजित समारोह में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता की भी भारी भीड़ उमड़ी। जेपी नड्डा और नितिन नवीन जैसे नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अटल जी के पदचिन्हों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में कई केंद्रीय मंत्रियों और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपने संदेश भेजे।

अटल जी की जयंती को देश ‘सुशासन दिवस’ (Good Governance Day) के रूप में भी मनाता है। इस अवसर पर देश भर में सरकारी स्तर पर कई जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा और नई पहलों की शुरुआत की जा रही है। डिजिटल इंडिया से लेकर भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन तक, हर क्षेत्र में आज अटल जी के विजन की झलक देखने को मिलती है।

उपसंहार: अमर रहेगा अटल संदेश

अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर आयोजित ये भव्य कार्यक्रम इस बात का प्रमाण हैं कि शरीर नश्वर है, लेकिन विचार अमर होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ‘सदैव अटल’ की यात्रा और उनका वीडियो संदेश यह स्पष्ट करता है कि वर्तमान सरकार अटल जी की विरासत को संजोने और उसे आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ की पंक्तियां आज भी लाखों युवाओं में ऊर्जा का संचार करती हैं।

देश उन्हें एक ऐसे ‘महामानव’ के रूप में याद कर रहा है जिसने भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को सींचा और वैश्विक पटल पर भारत का मस्तक ऊंचा किया। आज की श्रद्धांजलि सभाएं इसी संकल्प को दोहराती हैं कि भारत को एक आत्मनिर्भर और समर्थ राष्ट्र बनाने का जो सपना अटल जी ने देखा था, उसे पूरा करना ही हर नागरिक का कर्तव्य है।

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