आर-पार के मूड में 3 राज्यों के किसान, NH-44 पर तंबू गाड़ा; प्रचंड गर्मी और लू के बीच 20 घंटों से डटे हैं हजारों अन्नदाता
ऐसी भी खबरें हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा इस विरोध-प्रदर्शन को अपने हाथ में लेकर उसे नई ताकत दे सकता है क्योंकि राकेश टिकैती, सुरेश कोठ, अभिमन्यु कोहर और रवि आज़ाद सहित कई एसकेएम नेता वहां डटे हुए हैं।
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनकारी किसान पिछले 20 घंटों से ज्यादा समय से नेशनल हाईवे-44 को जाम किए हुए हैं। किसानों ने एनएच पर ही अब तंबू गाड़ दिया है। तपती दोपहरी और प्रचंड गर्मी में हजारों किसान वहां डटे हुए हैं। ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सूरजमुखी के बीज की खरीद और गिरफ्तार किसान नेताओं को रिहा करने समेत अन्य मांग कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन से देश की जीवन रेखा चंडीगढ़-दिल्ली हाईवे पर वाहनों का आना-जाना बाधित हुआ है।
तीन राज्यों के प्रदर्शनकारी किसान सोमवार दोपहर 2 बजे से ही राजमार्ग-44 पर डेरा डाले हुए हैं। इस बीच किसानों से बातचीत विफल रही है। कुरुक्षेत्र जिला प्रशासन ने स्थानीय किसानों की एक समिति के साथ कई दौर की बातचीत की, लेकिन उस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। यहां तक कि भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चरूनी से जिला जेल में अधिकारियों ने भी मुलाकात की और उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक खरीद शुरू नहीं हो जाती तब तक नाकाबंदी जारी रहेगी।
किसान नेता करम सिंह मथन ने देर रात हुई बैठक में किसान नेताओं से कहा था कि वे धरना स्थल पर किसानों की भीड़ बढ़ाएं, ताकि आंदोलन अगले कुछ दिनों तक जारी रह सके। ऐसी भी खबरें हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा (देश के लगभग 40 किसान संघों का एक संगठन) स्थानीय समिति से इस विरोध-प्रदर्शन को अपने हाथ में लेकर उसे नई ताकत दे सकता है क्योंकि राकेश टिकैती, सुरेश कोठ, अभिमन्यु कोहर और रवि आज़ाद सहित कई एसकेएम नेता भी पीपली में सोमवार से ही डेरा डाले हुए हैं।
बता दें कि सूरजमुखी बीज पर एमएसपी लागू करने की मांग को लेकर 6 जून को हाई-वे जाम करने वाले किसानों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के इस्तेमाल से नाराज किसानों ने किसान महापंचायत बुलाई थी। पिपली अनाज मंडी में सोमवार को हजारों किसानों ने महापंचायत कर एनएच 44 को जाम करने का फैसला किया था। इसके बाद ट्रैक्टर-ट्रालियों पर सवार हजारों किसान राजमार्ग पर पहुंच गए और अपने वाहनों को खड़ा कर यातायात को बाधित कर दिया।
किसानों के आंदोलन और विरोध को देखते हुए और यात्रियों को परेशानी से बचाने के लिए, अगले आदेश तक दिल्ली को उत्तर भारतीय राज्यों से जोड़ने वाले इस प्रमुख राजमार्ग पर अंबाला और करनाल से होकर वैकल्पिक मार्ग निर्धारित किए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि चंडीगढ़ ट्राइसिटी एरिया या अमृतसर से आने वाले ट्रैफिक को साधोपुर से NH-152 (चंडीगढ़-हिसार) की ओर मोड़ दिया गया है। यात्री NH-44 के माध्यम से इस्माइलाबाद, करनाल और आगे की यात्रा कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक यात्री अंबाला कैंट बस स्टैंड से कटकर महेश नगर, साहा, रादौर, लाडवा, करनाल के रास्ते भी NH44 पर यात्रा कर सकते हैं।
दिल्ली से यातायात के लिए,अधिकारियों ने तीन वैकल्पिक मार्ग निर्धारित किए हैं। यात्री NH-44 पर करनाल से इंद्री रोड की ओर मुड़ सकते हैं और लाडवा, बाबैन, शाहबाद होते हुए अपने आगे के गंतव्य के लिए NH44 पर यात्रा कर सकते हैं या रादौर होते हुए लाडवा चौक से दाएं मुड़कर NH344 पकड़ सकते हैं। कुरुक्षेत्र में भी स्थानीय यातायात के लिए डायवर्जन किया गया है। वहां सेक्टर 2/3 में डायवर्ट करने की सलाह दी गई है और ब्रह्मसरोवर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गेट नं. 3 होकर NH152D पर यात्रा करने के लिए कहा गया है।
इसी तरह, चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को अमन होटल फ्लाईओवर से बचने की सलाह दी गई है और साहा कट से बाएं मुड़कर दोसरका के माध्यम से अधोया, बाबैन, लाडवा, इंद्री और करनाल के रास्ते दिल्ली के लिए NH44 पर जाने की सलाह दी गई है।
