ओडिशा में लाल गलियारे पर सबसे बड़ा प्रहार: 1.1 करोड़ का इनामी माओवादी चीफ गणेश उइके मुठभेड़ में ढेर, 5 अन्य नक्सली भी मारे गए
भुवनेश्वर/कंधमाल। ओडिशा के सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक दर्ज की है। कंधमाल जिले के चकापाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुर्गम और घने जंगलों में गुरुवार को हुई एक भीषण मुठभेड़ में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का शीर्ष कमांडर गणेश उइके मारा गया है। उइके संगठन की बेहद शक्तिशाली ‘केंद्रीय समिति’ का सदस्य था और उस पर सरकार ने 1.1 करोड़ रुपये का भारी-भरकम इनाम घोषित कर रखा था। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने उइके समेत कुल छह नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें दो महिला कैडर भी शामिल हैं।
यह ऑपरेशन ओडिशा पुलिस की विशेष शाखा, एसओजी (Special Operation Group) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। गणेश उइके का मारा जाना देश के नक्सल विरोधी अभियान में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि वह न केवल ओडिशा में संगठन का प्रमुख था, बल्कि अंतर-राज्यीय नक्सली गतिविधियों का मास्टरमाइंड भी था।
खुफिया जानकारी के बाद शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन: घने जंगलों में हुई आमने-सामने की जंग
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों को चकापाद के जंगलों में नक्सलियों के एक बड़े कैंप और उसमें शीर्ष नेताओं की मौजूदगी की सटीक खुफिया जानकारी मिली थी। इसी इनपुट के आधार पर बुधवार देर रात सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमों ने इलाके की घेराबंदी शुरू की। गुरुवार सुबह जैसे ही सुरक्षा बल संदिग्ध ठिकानों के करीब पहुंचे, ऊंचे स्थानों पर छिपे नक्सलियों ने आधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी मोर्चा संभाला। घंटों चली इस गोलीबारी के बाद जब सुरक्षा बलों ने इलाके की तलाशी ली, तो वहां छह नक्सलियों के शव बरामद हुए। शुरुआती शिनाख्त में ही यह साफ हो गया कि मारे गए लोगों में सबसे बड़ा नाम गणेश उइके का है। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में एके-47 राइफलें, विस्फोटक और अन्य आपत्तिजनक सामग्रियां भी बरामद की गई हैं।
कौन था गणेश उइके? लाल आतंक का वह चेहरा जिस पर था 1.1 करोड़ का इनाम
69 वर्षीय गणेश उइके का मारा जाना माओवादी संगठन की रीढ़ टूटने जैसा है। मूल रूप से तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाला उइके, नक्सली गलियारे में ‘पक्का हनुमंतु’ और ‘राजेश तिवारी’ जैसे कई छद्म नामों से जाना जाता था। वह पिछले चार दशकों से अधिक समय से भूमिगत था और संगठन की नीतियों को बनाने वाली सर्वोच्च संस्था ‘सेंट्रल कमेटी’ का सक्रिय सदस्य था।
उइके केवल एक लड़ाका नहीं था, बल्कि वह संगठन का वैचारिक स्तंभ भी माना जाता था। ओडिशा में माओवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और युवाओं को संगठन से जोड़ने में उसकी बड़ी भूमिका थी। उस पर कई राज्यों में हत्या, अपहरण, जबरन वसूली और सुरक्षा बलों पर हमलों के दर्जनों मामले दर्ज थे। सुरक्षा एजेंसियां वर्षों से उसकी तलाश में थीं, लेकिन वह अपनी गहरी समझ और घने जंगलों के ज्ञान के कारण हर बार बच निकलने में सफल रहता था।
नक्सल मुक्त भारत की ओर एक मजबूत कदम: गृह मंत्री ने दी बधाई
इस बड़ी सफलता पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सुरक्षा बलों को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा कि यह ‘नक्सल मुक्त भारत’ के संकल्प की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। गृह मंत्री ने कहा कि गणेश उइके जैसे शीर्ष नेता का खात्मा यह दर्शाता है कि अब नक्सलवाद के दिन गिनती के बचे हैं।
अमित शाह ने अपने संदेश में दोहराया कि भारत सरकार 31 मार्च 2026 से पहले देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन के साथ ही अब ओडिशा नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होने के कगार पर पहुंच गया है। सरकार की रणनीति ‘जीरो टॉलरेंस’ और विकास को साथ लेकर चलने की है, जिससे नक्सली विचारधारा के आधार को कमजोर किया जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी उपलब्धि और भविष्य की रणनीति
गणेश उइके के साथ मारी गई दो महिला नक्सलियों की पहचान की प्रक्रिया अभी जारी है। पुलिस का मानना है कि मारे गए अन्य पांच नक्सली भी संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहे होंगे। सुरक्षा बलों के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है क्योंकि इसमें बल का कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ है।
कंधमाल और आसपास के जिलों में अभी भी बड़े पैमाने पर ‘कॉम्बिंग ऑपरेशन’ यानी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि मुठभेड़ के दौरान कुछ अन्य नक्सली घायल अवस्था में घने जंगलों की ओर भाग निकले होंगे। पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।
ओडिशा में कमजोर होता माओवादी आधार
पिछले कुछ वर्षों में ओडिशा सरकार और केंद्र के समन्वित प्रयासों के कारण राज्य में नक्सली गतिविधियां काफी सीमित हुई हैं। स्वाभिमान अंचल और कंधमाल जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों के जाल और मोबाइल टावरों के पहुंचने से नक्सलियों का सूचना तंत्र कमजोर हुआ है। गणेश उइके की मौत के बाद अब संगठन के पास ओडिशा में नेतृत्व करने वाला कोई कद्दावर नेता नहीं बचा है, जिससे आने वाले दिनों में और अधिक नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने की संभावना बढ़ गई है।