मोदी सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर मास्टरप्लान: दिल्ली मेट्रो फेज-5 (A) को मंजूरी, हाईवे और रेलवे के लिए खुला खजाना
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश के बुनियादी ढांचे (Infrastructure) को पूरी तरह बदलने के लिए ऐतिहासिक फैसलों की झड़ी लगा दी गई। केंद्र सरकार ने न केवल राष्ट्रीय राजधानी की लाइफलाइन ‘दिल्ली मेट्रो’ के विस्तार के लिए 12,015 करोड़ रुपये मंजूर किए, बल्कि देश भर में सड़कों, रेलवे, पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स के नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए करीब 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दिखाई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग में इन फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार का लक्ष्य कनेक्टिविटी को सुगम बनाना और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है।
दिल्ली मेट्रो फेज-5 (A): 12,015 करोड़ से सुधरेगी एनसीआर की रफ्तार
दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के लिए कैबिनेट का सबसे महत्वपूर्ण फैसला मेट्रो नेटवर्क के विस्तार को लेकर रहा। सरकार ने दिल्ली मेट्रो फेज-5 (A) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 12,015 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस विस्तार का प्राथमिक उद्देश्य उन इलाकों को मुख्य नेटवर्क से जोड़ना है जो अब भी मेट्रो की पहुंच से दूर हैं।
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस फेज के तहत दिल्ली मेट्रो के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 16 किलोमीटर की नई लाइनें जोड़ी जाएंगी। इस नए विस्तार के साथ दिल्ली मेट्रो दुनिया के चुनिंदा ऐसे शहरी रेल प्रणालियों में शामिल हो जाएगी जिनका परिचालन नेटवर्क 400 किलोमीटर के आंकड़े को पार कर चुका है। यह उपलब्धि दिल्ली को लंदन और न्यूयॉर्क जैसे वैश्विक महानगरों की श्रेणी में मजबूती से खड़ा करेगी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार ने तीन साल का लक्ष्य निर्धारित किया है।
नए कॉरिडोर और स्टेशनों से मिलेगी ‘लास्ट-माइल कनेक्टिविटी’
फेज-5 (A) के तहत कुल 13 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। इन स्टेशनों और कॉरिडोर्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि शहर के सबसे व्यस्त मार्गों पर भीड़भाड़ कम की जा सके। यह विस्तार विशेष रूप से ‘लास्ट-माइल कनेक्टिविटी’ पर केंद्रित है, जिससे यात्रियों को अपने घर या दफ्तर से मेट्रो स्टेशन तक पहुँचने में कम समय और मशक्कत लगेगी।
रणनीतिक रूप से, यह विस्तार दिल्ली के प्रमुख आवासीय क्षेत्रों को कमर्शियल हब और ट्रांजिट इंटरचेंज पॉइंट से जोड़ेगा। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि उन इलाकों में आर्थिक गतिविधियों और रियल एस्टेट सेक्टर को भी भारी उछाल मिलेगा। सरकार का मानना है कि सार्वजनिक परिवहन के मजबूत होने से दिल्ली में प्रदूषण और ट्रैफिक जाम जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने में भी बड़ी मदद मिलेगी।
हाईवे सेक्टर में रिकॉर्ड निवेश: करीब 2 लाख करोड़ का बजट
कैबिनेट ने देश के सड़क नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए 1,97,644 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि आवंटित की है। इसके तहत 8 नए नेशनल हाई-स्पीड रोड प्रोजेक्ट्स तैयार किए जाएंगे, जिनकी कुल लंबाई 936 किलोमीटर होगी। इन प्रोजेक्ट्स का मुख्य फोकस उन क्षेत्रों पर है जहाँ कनेक्टिविटी की कमी है।
सरकार ने सीमावर्ती इलाकों और पूर्वोत्तर भारत के विकास को प्राथमिकता देते हुए शिलॉन्ग-सिलचर कॉरिडोर के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। वहीं, बिहार में पटना-आरा-सासाराम जैसे महत्वपूर्ण मार्गों के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी सड़क संपर्क को बेहतर बनाया जाएगा। यह विशाल निवेश न केवल यात्रा के समय को कम करेगा, बल्कि देश के भीतरी इलाकों को मुख्य व्यापारिक केंद्रों से जोड़ेगा।
रेलवे, पोर्ट और शिपिंग: लॉजिस्टिक्स लागत घटाने पर जोर
भारत को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत (माल ढुलाई की लागत) को कम करना अनिवार्य है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने रेलवे के 43 प्रोजेक्ट्स के लिए 1,52,583 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। यह निवेश मुख्य रूप से रेल पटरियों के दोहरीकरण, आधुनिकीकरण और नए रूट्स के निर्माण पर खर्च होगा।
इसके अलावा, पोर्ट और शिपिंग सेक्टर के लिए 1,45,945 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसमें महाराष्ट्र का ‘वधावन पोर्ट’ प्रोजेक्ट सबसे अहम है, जो भारत के समुद्री व्यापार की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा। इन परियोजनाओं के माध्यम से सरकार रेल-पोर्ट कनेक्टिविटी को मजबूत करना चाहती है ताकि माल की आवाजाही तेजी से और सस्ते में हो सके।
हवाई संपर्क का विस्तार: नए एयरपोर्ट टर्मिनल्स को मंजूरी
छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने और मौजूदा एयरपोर्ट्स पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए सरकार ने 7,339 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस राशि का उपयोग बागडोगरा, बिहटा, वाराणसी और कोटा जैसे शहरों में नए एयरपोर्ट टर्मिनल्स के निर्माण और पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर के नवीनीकरण के लिए किया जाएगा। ‘उड़ान’ योजना के तहत हवाई यात्रा को आम आदमी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इंफ्रास्ट्रक्चर से आत्मनिर्भर भारत का सपना
कैबिनेट के इन फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये निर्णय देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली मेट्रो ने पहले ही राजधानी के लोगों के जीवन को पूरी तरह बदल दिया है और अब फेज-5 (A) उस बदलाव को अगले स्तर पर ले जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी का विजन देश के हर कोने को सुगम परिवहन से जोड़ना है।
ये निवेश केवल कंक्रीट और स्टील के निर्माण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये लाखों रोजगार के अवसर पैदा करेंगे और भारत की जीडीपी ग्रोथ को गति देंगे। प्रदूषण के खिलाफ जंग और सुगम शहरी विकास की दिशा में दिल्ली मेट्रो का यह विस्तार एक मील का पत्थर साबित होगा। अब जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों पर है कि वे इन परियोजनाओं को समय सीमा के भीतर पूरा कर जनता को समर्पित करें।