उन्नाव न्याय की जंग: इंडिया गेट पर फफक कर रो पड़ी दुष्कर्म पीड़िता, कुलदीप सेंगर की जमानत पर दिल्ली में भारी आक्रोश
नई दिल्ली: देश को झकझोर देने वाले उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता एक बार फिर न्याय की गुहार लेकर सड़क पर उतर आई है। मंगलवार की सर्द शाम दिल्ली का इंडिया गेट एक भावुक और आक्रोशित कर देने वाले विरोध प्रदर्शन का गवाह बना। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 2017 के इस वीभत्स मामले के मुख्य दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने और उसे जमानत देने के फैसले ने पीड़िता और उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। न्याय की आस में बैठी पीड़िता, उसकी मां और महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने देर रात इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला और धरने पर बैठ गईं। हालांकि, पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कुछ ही देर बाद उन्हें वहां से हटा दिया।
“फैसला सुनकर जान देने का ख्याल आया”: पीड़िता का छलका दर्द
इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान पीड़िता की आंखों में आंसू और जुबां पर व्यवस्था के प्रति कड़वाहट साफ दिखाई दी। पीड़िता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब उसने कुलदीप सेंगर की जमानत की खबर सुनी, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने भारी मन से बताया, “हाईकोर्ट का यह फैसला सुनकर मुझे इतना बुरा लगा कि एक पल के लिए मन किया कि वहीं अपनी जान दे दूं। लेकिन फिर मैंने अपने परिवार और उनके संघर्ष के बारे में सोचा और खुद को रोक लिया। हमारे साथ सरासर नाइंसाफी हुई है।”
पीड़िता ने सवाल उठाया कि अगर इतने जघन्य अपराध का दोषी, जिस पर हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप सिद्ध हो चुके हों, वह बाहर घूमेगा तो पीड़ित कैसे सुरक्षित महसूस करेगा? उसने आरोप लगाया कि सेंगर को यह जमानत केवल इसलिए मिली है ताकि वह अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार में शामिल हो सके। पीड़िता ने स्पष्ट किया कि वह इस फैसले के खिलाफ हार नहीं मानेगी और न्याय के लिए देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
पीड़िता की मां और बहन ने जताई जान का खतरा
पीड़िता की मां ने धरने के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सेंगर की रिहाई के बाद उनका पूरा परिवार एक बार फिर मौत के साये में जीने को मजबूर है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “मेरा परिवार अब खतरे में है। उस व्यक्ति का रसूख और उसके आदमियों की धमकियां हमें चैन से रहने नहीं देंगी। लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगी, हम देश की हर बेटी और बहन के सम्मान के लिए लड़ते रहेंगे।”
वहीं, पीड़िता की बहन ने उन दर्दनाक यादों को साझा किया जो इस केस की वजह से उनके परिवार ने झेली हैं। उसने आक्रोशित स्वर में कहा, “उसने (सेंगर) पहले मेरे चाचा को निशाना बनाया, फिर मेरे पिता की हत्या की और फिर मेरी बहन के साथ यह घिनौना कृत्य हुआ। अब वह जेल से बाहर आ गया है। अगर सरकार और अदालत उसे रिहा करना चाहती है, तो बेहतर होगा कि हमें जेल में डाल दिया जाए। कम से कम जेल की सलाखों के पीछे हमारी जान तो सुरक्षित रहेगी।” उसने यह भी खुलासा किया कि सेंगर के आदमी अभी भी बाहर घूम रहे हैं और खुलेआम धमकियां दे रहे हैं कि उनके नेता के बाहर आने के बाद वे परिवार के बाकी सदस्यों को भी खत्म कर देंगे।
निर्भया की मां आशा देवी और योगिता भयाना का समर्थन
इस प्रदर्शन में निर्भया की मां आशा देवी ने भी पहुंचकर पीड़िता का समर्थन किया। उन्होंने न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर कड़े सवाल उठाए। आशा देवी ने कहा, “यह एक खतरनाक परिपाटी स्थापित की जा रही है। किसी अपराधी को सजा मिलने के बाद इस तरह की राहत देना न्याय का मजाक उड़ाना है। चाहे कोई अपराधी घर से 500 किलोमीटर दूर हो या पास, अपराधी तो अपराधी ही रहता है। कोर्ट को यह नहीं भूलना चाहिए कि उस परिवार ने क्या खोया है। इस तरह के फैसलों से पीड़ितों का अदालतों पर से भरोसा उठ जाएगा।”
महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने भी कहा कि इस केस में शुरू से ही पीड़िता को बहुत संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने हैरानी जताते हुए पूछा कि आखिर अचानक ऐसा क्या बदल गया कि एक सजायाफ्ता मुजरिम को जमानत मिल गई? उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि देश में बेगुनाह जेलों में सड़ रहे हैं और रसूखदार दोषियों को राजनीतिक या पारिवारिक कारणों से रिहा किया जा रहा है।
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई और सुरक्षा में इजाफा
इंडिया गेट पर प्रदर्शन की खबर मिलते ही दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी भारी बल के साथ मौके पर पहुंचे। चूंकि इंडिया गेट और उसके आसपास के क्षेत्र में धारा 144 जैसे प्रतिबंध लागू रहते हैं, इसलिए पुलिस ने पीड़िता और प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने के लिए कहा। काफी समझाने-बुझाने और हल्की मशक्कत के बाद पुलिस ने उन्हें प्रदर्शन स्थल से हटा दिया।
इस घटना के बाद इंडिया गेट, तिलक मार्ग और लुटियंस दिल्ली के प्रमुख हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी है ताकि फिर से कोई प्रदर्शनकारी वहां जमा न हो सके। हालांकि, पीड़िता के समर्थकों का कहना है कि यह केवल शुरुआत है और जब तक सेंगर की जमानत रद्द नहीं हो जाती, वे शांत नहीं बैठेंगे।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि साल 2017 में उन्नाव की एक किशोरी ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब पीड़िता के पिता की जेल में संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई और बाद में पीड़िता के वाहन का भीषण एक्सीडेंट हुआ, जिसमें उसके रिश्तेदारों की जान चली गई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद निचली अदालत ने सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ निश्चित आधारों पर सेंगर की सजा को निलंबित कर उसे जमानत देने का आदेश दिया है, जिसका देशव्यापी विरोध हो रहा है।
यह मामला अब फिर से एक बड़ी राजनीतिक और कानूनी बहस का केंद्र बन गया है। पीड़िता का संघर्ष यह सवाल खड़ा करता है कि क्या रसूखदार दोषियों के लिए कानून की व्याख्या बदल जाती है? फिलहाल, सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि क्या वहां से पीड़िता को कोई राहत मिलती है।