दिल्ली में सेकंड-हैंड वाहनों पर शिकंजा: अब 15 दिनों में आरसी ट्रांसफर अनिवार्य, उल्लंघन पर होगी पुलिसिया कार्रवाई
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुराने वाहनों की खरीद-फरोख्त को लेकर केजरीवाल सरकार ने एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। अब दिल्ली में सेकंड-हैंड (इस्तेमाल की गई) गाड़ी खरीदने वाले व्यक्ति को अधिकतम 15 दिनों के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) अपने नाम पर ट्रांसफर कराना अनिवार्य होगा। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर मालिकाना हक नहीं बदला गया, तो इसे कानूनी उल्लंघन माना जाएगा और संबंधित पक्षों के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस नए नियम का उद्देश्य न केवल वाहन बाजार में पारदर्शिता लाना है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक पुख्ता करना भी है।
लाल किला धमाके ने खोली सिस्टम की पोल: क्यों पड़ी नियमों को कड़ा करने की जरूरत?
दिल्ली सरकार का यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है, बल्कि इसके पीछे नवंबर 2025 में हुई एक गंभीर आतंकी साजिश और उसकी जांच के दौरान सामने आई खामियां हैं। दरअसल, नवंबर में लाल किला के पास हुए एक संदिग्ध धमाके की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को पता चला कि वारदात में इस्तेमाल किया गया वाहन दिल्ली में ही रजिस्टर्ड था।
हैरान करने वाली बात यह थी कि वह वाहन पिछले कुछ वर्षों में कम से कम चार से पांच बार बेचा जा चुका था। लेकिन रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि कागजों पर आज भी वह गाड़ी अपने पहले या दूसरे मालिक के नाम पर ही दर्ज थी। बीच के खरीदारों ने कभी आरसी ट्रांसफर कराने की जहमत नहीं उठाई। इस कारण जांच एजेंसियों को असली अपराधी तक पहुंचने में भारी मशक्कत करनी पड़ी और कीमती समय बर्बाद हुआ। इसी सुरक्षा चूक ने सरकार को यह कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर किया है ताकि भविष्य में किसी भी वाहन की ‘ट्रेसबिलिटी’ (पता लगाने की क्षमता) से समझौता न हो।
15 दिन की समय सीमा: खरीदार और डीलर दोनों की जवाबदेही तय
नई व्यवस्था के तहत सरकार ने जिम्मेदारी का दायरा बढ़ा दिया है। अब तक पुराने वाहनों के बाजार में आरसी ट्रांसफर की प्रक्रिया महीनों तक लटकी रहती थी, जिसका फायदा अपराधी उठाते थे। नए निर्देशों के अनुसार, जैसे ही कोई व्यक्ति सेकंड-हैंड वाहन खरीदता है, उसके पास अपने नाम पर दस्तावेज अपडेट कराने के लिए केवल 15 दिनों का समय होगा।
यह नियम न केवल व्यक्तिगत खरीद-बिक्री पर लागू होगा, बल्कि कमर्शियल डीलरों के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इस डिजिटल युग में 15 दिन का समय आरसी ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पर्याप्त है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सड़क पर दौड़ रहे हर वाहन का एक स्पष्ट और वर्तमान मालिक रिकॉर्ड में मौजूद है। यदि कोई वाहन किसी दुर्घटना, चोरी या आपराधिक गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है, तो पुलिस तुरंत उसके वर्तमान मालिक की पहचान कर सकेगी।
लापरवाही पड़ सकती है भारी: क्या होगी कानूनी कार्रवाई?
दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग ने साफ कर दिया है कि नए नियमों में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति 15 दिनों के बाद भी पुराने मालिक के नाम पर गाड़ी चलाता हुआ पाया जाता है, तो दिल्ली पुलिस उसे नोटिस जारी कर सकती है। इसके अलावा, भारी जुर्माना और वाहन को जब्त करने जैसी कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि आरसी ट्रांसफर न कराना केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है। पुराने मालिक के लिए भी यह नियम राहत भरा है, क्योंकि अक्सर गाड़ी बेचने के बाद भी पुराने मालिक को ही चालान या कानूनी पचड़ों का सामना करना पड़ता था। अब समय सीमा तय होने से विक्रेता भी खरीदार पर दबाव बना सकेगा कि वह जल्द से जल्द कागजी कार्रवाई पूरी करे।
पारदर्शी बाजार और सुरक्षित सड़कें: सरकार का विजन
दिल्ली सरकार के इस कदम का सीधा असर राजधानी के विशाल सेकंड-हैंड वाहन बाजार पर पड़ने वाला है। अब तक इस सेक्टर में असंगठित तरीके से काम हो रहा था, जहां कई बार गाड़ियां बिना किसी कागजी कार्यवाही के केवल ‘हैंडओवर’ कर दी जाती थीं। डीलरों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने से अब हर ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध होगा।
परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से न केवल कानून-व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि सेकंड-हैंड वाहन खरीदने की प्रक्रिया भी अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनेगी। खरीदारों को अब यह भरोसा रहेगा कि वे जिस वाहन को खरीद रहे हैं, उसका रिकॉर्ड साफ है। सरकार का यह कदम भविष्य में ‘स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन’ और ‘क्राइम कंट्रोल’ की दिशा में एक प्रभावी हथियार साबित हो सकता है।
खरीदारों के लिए जरूरी सलाह
यदि आप दिल्ली में कोई पुरानी कार या बाइक खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो केवल चाबी और गाड़ी लेना ही काफी नहीं है। सुनिश्चित करें कि विक्रेता से सभी जरूरी फॉर्म (जैसे फॉर्म 29 और 30) पर हस्ताक्षर करा लिए गए हैं। वाहन की खरीद के तुरंत बाद परिवहन विभाग की वेबसाइट पर जाकर ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू कर दें। याद रखें, अब आपके पास केवल 15 दिन हैं—इस समय सीमा का उल्लंघन आपको कानूनी मुश्किल में डाल सकता है।