एमके स्टालिन का बड़ा बयान: ‘डीएमके का विकास मॉडल जीसस के सिद्धांतों पर आधारित’, भाजपा पर लगाया संविधान बदलने का आरोप
तिरुनेलवेली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके (DMK) सुप्रीमो एमके स्टालिन ने एक बार फिर केंद्र की भाजपा सरकार और उसकी विचारधारा पर तीखा प्रहार किया है। तिरुनेलवेली में आयोजित एक भव्य क्रिसमस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्टालिन ने न केवल अपनी सरकार के समावेशी विकास का रोडमैप पेश किया, बल्कि भाजपा पर देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नष्ट करने का गंभीर आरोप भी लगाया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी सरकार का ‘द्रविड़ियन मॉडल’ दरअसल ईसा मसीह (जीसस) के उन सिद्धांतों से प्रेरित है, जो समानता और हर जरूरतमंद की सहायता की वकालत करते हैं।
जीसस के सिद्धांतों और द्रविड़ियन मॉडल का संबंध
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने क्रिसमस के उपलक्ष्य में आयोजित इस समारोह में धार्मिक और सामाजिक न्याय के अंतर्संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जिस विकास मॉडल पर काम कर रही है, उसका मूल आधार जीसस का वह सिद्धांत है जिसमें कहा गया है कि समाज के हर व्यक्ति के पास अपनी जरूरत का सामान और संसाधन होने चाहिए। स्टालिन ने तर्क दिया कि ‘द्रविड़ियन मॉडल’ भी यही सिखाता है कि विकास का लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक बिना किसी भेदभाव के पहुँचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जैसे ईसा मसीह ने प्रेम, करुणा और समानता का संदेश दिया, वैसी ही सोच डीएमके सरकार की भी है। स्टालिन के अनुसार, उनकी सरकार की योजनाएं केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और अल्पसंख्यकों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए समर्पित हैं।
संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने की साजिश का आरोप
भाषण के दौरान मुख्यमंत्री का रुख भाजपा की ओर बेहद कड़ा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार भारत के संविधान में निहित ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) शब्द से नफरत करती है। स्टालिन ने कहा, “भाजपा इस शब्द को संविधान की प्रस्तावना से हटाने के लिए उतावली है। वे देश की उस विविधता को तबाह करना चाहते हैं जो भारत की असली पहचान है।”
मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि भाजपा एक ऐसे ‘अधिनायकवादी भविष्य’ की नींव रखने की कोशिश कर रही है, जहां देश में ‘एक भाषा, एक धर्म, एक संस्कृति, एक पार्टी और एक ही नेता’ का दबदबा हो। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि तमिलनाडु की धरती से भाजपा के इस एजेंडे का पुरजोर विरोध किया जाएगा। स्टालिन ने संकल्प लिया कि डीएमके इस ‘एकल संस्कृति’ की साजिश को कभी सफल नहीं होने देगी।
मिशनरी साराह टकर का जिक्र और महिला शिक्षा पर जोर
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में 19वीं सदी की प्रसिद्ध ईसाई मिशनरी साराह टकर के योगदान को भी याद किया। उन्होंने दक्षिण तमिलनाडु में महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में साराह टकर द्वारा किए गए कार्यों की जमकर सराहना की। स्टालिन ने कहा कि साराह टकर कॉलेज जैसे संस्थानों ने उस दौर में महिलाओं को शिक्षित करने की मशाल जलाई थी जब समाज में रूढ़िवादिता का बोलबाला था।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईसाई मिशनरियों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो बुनियादी ढांचा खड़ा किया, उसका लाभ आज तमिलनाडु के हर वर्ग को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इसे ‘सेवा का सर्वोच्च उदाहरण’ बताते हुए कहा कि ऐसे ही निस्वार्थ कार्यों ने राज्य के सामाजिक विकास को गति दी है।
अल्पसंख्यकों के कल्याण और चर्चों के जीर्णोद्धार की योजनाएं
एमके स्टालिन ने ईसाई समुदाय को संबोधित करते हुए उनकी सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि डीएमके सरकार के सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने ईसाई समुदाय के विकास कार्यों की सूची गिनाते हुए कहा कि राज्य में चर्चों के निर्माण और उनके पुनर्उद्धार (जीर्णोद्धार) के लिए भारी बजट आवंटित किया गया है।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बिना किसी भेदभाव के हर धर्म के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि अल्पसंख्यकों को न केवल धार्मिक स्वतंत्रता मिले, बल्कि वे आर्थिक और शैक्षणिक रूप से भी सशक्त हों।” उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं के लिए छात्रवृत्ति और उद्यमिता योजनाओं में भी बढ़ोतरी की गई है।
तमिलनाडु की शांति बिगाड़ने की कोशिशों पर चेतावनी
मुख्यमंत्री ने राज्य की कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर बात करते हुए विपक्षी ताकतों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोग उनकी सरकार की नीतियों और विकास कार्यों का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है। स्टालिन ने बिना नाम लिए भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों पर आरोप लगाया कि वे तमिलनाडु की सांप्रदायिक शांति को भंग करने की फिराक में रहते हैं।
उन्होंने कहा, “वे लोग विभाजनकारी राजनीति के जरिए राज्य में नफरत फैलाना चाहते हैं, लेकिन तमिलनाडु की जनता जागरूक है। हम सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर चलने की द्रविड़ विचारधारा पर अडिग हैं।” स्टालिन ने अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाया कि जब तक डीएमके सरकार है, उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है और सरकार उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
एक राष्ट्र-एक संस्कृति के खिलाफ मोर्चा
अपने संबोधन के समापन में एमके स्टालिन ने विविधता को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा जिस ‘यूनिफॉर्मिटी’ (एकरूपता) को थोपना चाहती है, वह भारत जैसे बहुभाषी और बहु-धार्मिक देश के लिए विनाशकारी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु अपनी भाषा (तमिल) और अपनी विशिष्ट संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा अग्रणी रहेगा।
स्टालिन का यह भाषण दक्षिण भारत की राजनीति में धर्मनिरपेक्षता बनाम हिंदुत्व की बहस को एक नया आयाम देने वाला माना जा रहा है। क्रिसमस के मंच से दिया गया यह संदेश न केवल ईसाई समुदाय को साधने की कोशिश है, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले वैचारिक ध्रुवीकरण के खिलाफ एक बड़ी लामबंदी का हिस्सा भी है।