तंगी के बीच पाकिस्तान का बड़ा कदम: बांग्लादेश को भेजेगा 1 लाख टन चावल, क्या सुधरेंगे दोनों देशों के रिश्ते?
गंभीर भुखमरी और विकट आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान (Pakistan) ने एक बड़ा व्यापारिक फैसला लेते हुए बांग्लादेश (Bangladesh) को 1 लाख टन (100,000 Ton) चावल निर्यात करने का निर्णय लिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब घरेलू स्तर पर पाकिस्तान में महंगाई और कुपोषण जैसी समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी हैं। 1971 के विभाजन के बाद दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ी प्रत्यक्ष व्यापारिक खेप होगी, जो पिछले वर्ष से धीरे-धीरे सुधर रहे द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पाकिस्तान द्वारा यह निर्यात ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ पाकिस्तान (TCP) के माध्यम से किया जाएगा, जिसका उद्देश्य केवल व्यापार बढ़ाना नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच स्थायी और स्थिर व्यापारिक संबंध स्थापित करना है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह निर्यात राजस्व (revenue) कमाने और विदेशी मुद्रा भंडार को बेहतर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है, जिसका असर दोनों देशों के आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों पर पड़ना निश्चित है।
1971 के बाद पहली बार: पाकिस्तान-बांग्लादेश व्यापार संबंधों की बहाली
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 1971 के विभाजन के बाद प्रत्यक्ष व्यापारिक रिश्ते लंबे समय तक लगभग बंद रहे थे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इन संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखा गया है, जिसे पिछले वर्ष अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद और गति मिली। दोनों देशों ने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस सुधार का परिणाम टीसीपी (Trading Corporation of Pakistan) द्वारा बांग्लादेश को चावल निर्यात करने के लिए जारी की गई निविदा (Tender) है। 1 लाख टन चावल का यह निर्यात न केवल द्विपक्षीय व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और राजनीतिक सुलह का भी संकेत देता है। यह व्यापारिक पहल यह दर्शाती है कि ऐतिहासिक मतभेदों के बावजूद, साझा आर्थिक हित दोनों पड़ोसी देशों को करीब ला सकते हैं।
एक लाख टन चावल निर्यात: आर्थिक चुनौतियों के बीच राजस्व की उम्मीद
पाकिस्तान ने इस समझौते के तहत बांग्लादेश को 1,00,000 टन चावल निर्यात करने का फैसला किया है। यह खेप पिछले साल फरवरी में भेजी गई 50,000 टन की पहली खेप के बाद अब तक की सबसे बड़ी खेप है। टीसीपी के अधिकारियों ने इस पहल के पीछे का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक (long-term) और स्थिर व्यापारिक संबंध स्थापित करना बताया है। पाकिस्तान के लिए यह निर्यात अवसर इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। देश की घरेलू मांग और विकट आर्थिक चुनौतियों के बावजूद निर्यात पर जोर देना, पाकिस्तान सरकार की विदेशी मुद्रा अर्जित करने की रणनीति का हिस्सा है। निर्यात से होने वाली आय देश के भुगतान संतुलन (Balance of Payments) को बेहतर बनाने और आर्थिक संकट से निपटने में मदद कर सकती है, हालांकि घरेलू स्तर पर आलोचना भी संभव है क्योंकि देश खुद भुखमरी से जूझ रहा है।
निर्यातकों में उत्साह की लहर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा की नई राह
पाकिस्तानी चावल निर्यातक वकार अहमद (Vakar Ahmed) ने इस नए व्यापारिक कदम पर खुशी जाहिर की है और इसे चावल उद्योग के लिए अत्यंत लाभकारी बताया है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में चावल निर्यात में 28 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई थी, जिसका मुख्य कारण भारत द्वारा चावल निर्यात फिर से शुरू करना और बासमती पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (Minimum Export Price) हटाना था। वकार अहमद के अनुसार, बांग्लादेश के साथ यह बड़ा व्यापार समझौता निर्यातकों को नई संभावनाएं प्रदान करेगा। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी बाजार में भी अवसरों में वृद्धि की संभावना जताई है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि अमेरिका ने भारतीय बासमती चावल पर 50 प्रतिशत का टैरिफ (Tariff) लागू किया है। यह नई व्यापारिक राह पाकिस्तानी निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और अपनी आय में वृद्धि करने का जरिया प्रदान करेगी, जिससे देश की निर्यात अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।