शंघाई की खामोश सड़कें: कैसे कुछ घंटों में दबा दिया गया ‘श्वेत पत्र’ आंदोलन का उभार?
शंघाई (Shanghai) की वुलुमुकी रोड (Wulumuqi Road) पर मोमबत्तियों की रोशनी में शुरू हुई शोक सभा कुछ ही पलों में चीन (China) की कठोर कोविड नीतियों के खिलाफ एक बड़े विद्रोह में बदल गई। 26 नवंबर 2022 की वह रात इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई, जब शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों ने खाली A4 कागजों के साथ अभिव्यक्ति की आजादी की मांग की। लेकिन सुबह होते-होते सड़कें सूनी पड़ गईं, भीड़ गायब हो गई और डिजिटल दुनिया में शब्दों का सन्नाटा छा गया। यह कोई संयोग नहीं था, बल्कि चीन के हाई-टेक निगरानी तंत्र की सुनियोजित कार्रवाई थी, जिसने आंदोलन को जड़ से उखाड़ फेंका। आखिर कैसे एक राष्ट्रव्यापी हलचल को इतनी तेजी से कुचल दिया गया? तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…
उरुमकी अग्निकांड से भड़का राष्ट्रीय असंतोष
चीन (China) में ‘जीरो कोविड’ नीति के तहत लगाए गए लॉकडाउन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 24 नवंबर 2022 को शिनजियांग (Xinjiang) प्रांत के उरुमकी (Urumqi) शहर में एक अपार्टमेंट में लगी आग ने दस लोगों की जान ले ली, जिनमें अधिकांश उइगर परिवार के सदस्य थे। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के कारण दरवाजे बंद होने से लोग बाहर नहीं निकल सके, जिससे जहरीली धुएं से मौतें हुईं। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां लाखों चीनी नागरिकों ने सरकारी लापरवाही पर गुस्सा जताया। 26 नवंबर की शाम शंघाई (Shanghai) की वुलुमुकी रोड (Wulumuqi Road)—जो उरुमकी के नाम पर है—पर स्थानीय निवासी मोमबत्तियां जलाकर शोक सभा करने इकट्ठा हुए। शुरू में यह शोक ही था, लेकिन जल्दी ही यह कोविड प्रतिबंधों और राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) की सत्ता के खिलाफ असंतोष में बदल गया। खाली कागजों को सेंसरशिप का प्रतीक बनाकर प्रदर्शनकारी चुपचाप संदेश दे रहे थे। यह आंदोलन न केवल शंघाई तक सीमित रहा, बल्कि बीजिंग (Beijing), चेंगदू (Chengdu) और वुहान (Wuhan) जैसे शहरों में फैल गया, जो दशकों बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) को सीधी चुनौती था।
मुख्य घटनाक्रम: रातोंरात दमन, भीड़ से खाली सड़कें
26 नवंबर की रात वुलुमुकी रोड (Wulumuqi Road) पर हजारों लोग जमा हो गए, जहां मोमबत्तियां जल रही थीं और नारे गूंज रहे थे। लेकिन 27 नवंबर की सुबह 4:30 बजे तक माहौल उलट गया। सादे कपड़ों में सुरक्षा एजेंटों ने भीड़ में घुसकर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। पुलिस वैनों में भरकर लोगों को ले जाया गया, जबकि दो बसें भरकर गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें कई युवा छात्र शामिल थे। बीबीसी पत्रकार एड लॉरेंस (Ed Lawrence) को भी पीट-पीटकर हिरासत में लिया गया, जहां अधिकारियों ने कहा कि यह ‘उनकी सुरक्षा’ के लिए था। दोपहर तक सड़कें साफ कर दी गईं, बैरिकेड्स लगा दिए गए और मेटल गेट्स से इलाका सील हो गया। डिजिटल मोर्चे पर भी हमला तेज था—वेइबो (Weibo) और वीचैट (WeChat) पर ‘शंघाई’ (Shanghai), ‘उरुमकी’ (Urumqi), ‘A4’ और ‘श्वेत पत्र विरोध’ जैसे शब्दों से जुड़े लाखों पोस्ट हटा दिए गए। ट्विटर (Twitter) पर स्पैम कंटेंट से हैशटैग दबाए गए। उसी शाम वुलुमुकी रोड का साइनबोर्ड हटा दिया गया, जो प्रतीकात्मक दमन का हिस्सा था। यह कार्रवाई इतनी तेज थी कि 48 घंटों में आंदोलन का कोई निशान नहीं बचा।
गिरफ्तारियां, सेंसरशिप और वैश्विक आलोचना
दमन के बाद चीन (China) सरकार ने व्यापक जांच शुरू की। मोबाइल टावर डेटा और एआई-संचालित कैमरों से प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हर व्यक्ति की पहचान की गई। एक प्रदर्शनकारी झांग (Zhang) ने मास्क और चश्मा बदलकर छिपने की कोशिश की, लेकिन अगले दिन ही पुलिस उनके घर पहुंच गई। दिसंबर 2022 तक आपराधिक कानून के अनुच्छेद 293 के तहत ‘झगड़ा भड़काने’ के आरोप में सैकड़ों गिरफ्तारियां हुईं। प्रकाशन संपादक काओ जिक्सिन (Cao Zhixin), राज्य मीडिया पत्रकार यांग लियू (Yang Liu), छात्र ली यी (Li Yi) और चेन जियालिन (Chen Jialin) जैसे लोग बिना हिंसा के हिरासत में लिए गए। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने रिपोर्ट्स में निष्पक्ष सुनवाई के उल्लंघन और जबरन कबूलनामों का जिक्र किया। कई गिरफ्तार अभी भी जेल में हैं, जबकि कुछ ने देश छोड़ दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और यूरोपीय ग्रीन्स (European Greens) ने निंदा की, लेकिन चीन ने इसे ‘फासीवादी साजिश’ बताया। आंदोलन ने जीरो कोविड नीति को समाप्त करने पर मजबूर किया, जो 7 दिसंबर 2022 को घोषित हुई।
सन्नाटे की छाया में वैश्विक चेतावनी
2025 तक शंघाई (Shanghai) की वुलुमुकी रोड (Wulumuqi Road) शांत है, लेकिन आंदोलन की यादें सोशल मीडिया पर जीवित हैं। गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के परिवार दबाव में हैं, करियर बर्बाद हो चुके हैं और कई अब निर्वासन में जीवन बिता रहे हैं। 2023 के हेलोवीन परेड में हजारों ने खाली कागजों के साथ एकजुटता दिखाई, जो आंदोलन की विरासत है। चीन (China) ने सेंसरशिप को और कड़ा कर दिया, जहां ‘श्वेत पत्र’ से जुड़ी यादें मिटाने की कोशिश जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना तियानमेन (Tiananmen) जैसी है, लेकिन कैमरों और एआई ने टैंकों की जगह ले ली। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए यह डिजिटल दमन मॉडल 63 देशों में फैल रहा है, जो वैश्विक लोकतंत्र के लिए खतरा है। फिर भी, वे खाली कागज स्वतंत्रता की चाह को दर्शाते हैं—एक ऐसी चिंगारी जो कभी पूरी तरह बुझ नहीं सकती।