पांच साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें शुरू, संबंधों में आई नरमी का संकेत
नई दिल्ली, 9 नवंबर: पांच साल के लंबे अंतराल के बाद भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें रविवार से फिर शुरू हो गईं। यह फैसला दोनों एशियाई दिग्गज देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में धीरे-धीरे आ रही नरमी का प्रतीक माना जा रहा है। कोरोना महामारी और 2020 की सीमा झड़पों के बाद स्थगित हुई हवाई सेवाओं की बहाली से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सामाजिक संपर्क को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। भारत सरकार ने कहा कि यह कदम “लोगों के बीच आपसी संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने” में मदद करेगा।
कोलकाता से ग्वांगझोउ के लिए पहली उड़ान
भारत की कमर्शियल एयरलाइन इंडिगो ने रविवार रात 10 बजे कोलकाता से चीन के ग्वांगझोउ के लिए पहली सीधी उड़ान रवाना की। नवंबर में नई दिल्ली से शंघाई और ग्वांगझोउ के लिए भी उड़ानें शुरू की जाएंगी। भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स, कोलकाता के अध्यक्ष राजीव सिंह ने बताया, “सीधा हवाई संपर्क व्यापारियों के लिए लॉजिस्टिक्स और ट्रांजिट समय को कम करेगा।” कोलकाता और चीन का रिश्ता ऐतिहासिक रहा है — ब्रिटिश काल से यहां चीनी व्यापारियों की बस्ती टांगरा (चाइनाटाउन) मौजूद है। समुदाय के नेता चेन खॉय कुई ने कहा, “यह हमारे लिए खुशी की बात है। इससे व्यापार, पर्यटन और पारिवारिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी।”
व्यापारिक हित और कूटनीतिक सन्देश
भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। भारत चीनी कच्चे माल पर काफी निर्भर है। सितंबर 2025 में भारत का चीन से आयात 11 अरब डॉलर के पार पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 16% अधिक है। वहीं चीन को भारत का निर्यात 1.47 अरब डॉलर रहा, जिसमें 34% की वृद्धि दर्ज की गई।
राजनयिक विश्लेषकों का मानना है कि सीधी उड़ानों की बहाली दोनों देशों के बीच बढ़ती व्यावहारिकता और आर्थिक मजबूरी को दर्शाती है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत के प्रमुख साझेदार अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा है। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% दंडात्मक टैरिफ लगाने का आदेश दिया, जिससे नई दिल्ली बीजिंग के प्रति नरम रुख अपनाने को मजबूर हो सकती है।
सीमा तनाव से बहाली तक का सफर
दोनों देशों के बीच उड़ानें कोविड-19 महामारी के दौरान बंद कर दी गई थीं। उस वक्त लगभग 500 मासिक उड़ानें संचालित होती थीं। इसके बाद 2020 में गलवान घाटी संघर्ष ने रिश्तों को और बिगाड़ा। उस झड़प में 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिक मारे गए थे। संघर्ष के बाद भारत ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया, निवेश नियंत्रण कड़े किए और क्वाड गठबंधन (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ संबंधों को मजबूत किया। अब जब दोनों देशों के बीच सीमित स्तर पर संवाद और यात्रा फिर शुरू हो रही है, तो इसे एक सावधानीपूर्ण कूटनीतिक thaw (पिघलाव) के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल व्यापार और पर्यटन को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभा सकता है।