त्रिशूल अभ्यास: भारत की पश्चिमी सीमा पर तीनों सेनाओं का संयुक्त प्रदर्शन, पाकिस्तान की हलचल बढ़ी
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर 2025: भारत ने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर ‘त्रिशूल’ नामक बड़े पैमाने का संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू करने की घोषणा की है। 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के विशाल हवाई क्षेत्र में उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पाकिस्तान ने भी 28-29 अक्टूबर को अपने हवाई क्षेत्र में पाबंदियां लगाई हैं, जो तनाव की आशंका पैदा कर रही हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सर क्रीक पर चेतावनी के बाद यह अभ्यास महत्वपूर्ण लग रहा है। क्या यह सिर्फ नियमित तैयारी है, या कुछ बड़ा संकेत? आइए, इस अभ्यास को तीन हिस्सों में समझते हैं।
त्रिशूल अभ्यास का आरंभ और पृष्ठभूमि
भारतीय सेना ने पश्चिमी सीमा पर ‘त्रिशूल’ अभ्यास की शुरुआत की घोषणा की, जो 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान राजस्थान और गुजरात के हवाई क्षेत्र में 28,000 फीट तक उड़ानों पर नोटाम (NOTAM) जारी किया गया है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि यह अभ्यास नियमित है, लेकिन इस बार इसका पैमाना और जटिलता असामान्य है। इसमें आक्रामक और रक्षात्मक संचालन शामिल होंगे। यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान के सैन्य निर्माण पर चेतावनी दी थी, कहा था कि कोई भी हिम्मत दिखाई तो इतिहास और भूगोल बदल देंगे। पाकिस्तान ने भी 28-29 अक्टूबर को अपने केंद्रीय और दक्षिणी हवाई क्षेत्र में प्रतिबंध लगाए, जो शायद उनके अभ्यास या मिसाइल परीक्षण से जुड़े हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को दर्शाता है.
तीनों सेनाओं की सक्रिय भूमिका
त्रिशूल अभ्यास में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना पूर्ण सक्रियता के साथ भाग लेंगी। सेना ने 20,000 से अधिक सैनिक, टैंक, तोपें, मिसाइलें और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। वायुसेना ‘महागुजरात’ ऑपरेशन चला रही है, जिसमें राफेल, सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान, ड्रोन, हवाई ईंधन भरने वाले IL-78 विमान और AWACS शामिल हैं। ये विमान कई हवाई अड्डों से उड़ान भरेंगे। नौसेना ने गुजरात के सौराष्ट्र तट पर फ्रिगेट और डिस्ट्रॉयर तैनात किए हैं, जो समुद्री अभ्यास में हिस्सा लेंगे। अभ्यास सर क्रीक, रेगिस्तानी इलाकों और तटीय क्षेत्रों में होगा, जिसमें संयुक्त आक्रामक कार्रवाई, नौसैनिक अभ्यास और हाई-टेंपो एयर ऑपरेशन शामिल हैं। यह अभ्यास आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) और आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन करेगा, जो प्रधानमंत्री मोदी की JAI (संयुक्तता, आत्मनिर्भरता, नवाचार) दृष्टि को मजबूत करेगा। पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख ने सर क्रीक के पास तैनाती का जायजा लिया, जो भारत की तैयारी पर नजर रखने का संकेत है।
तनाव के संकेत और रणनीतिक महत्व
यह अभ्यास पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देता है कि भारत किसी भी चुनौती के लिए तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच छाया-युद्ध आम हो गया है, और यह अभ्यास उसी का हिस्सा लगता है। पाकिस्तान की हवाई पाबंदियां और सर क्रीक पर उनकी गतिविधियां तनाव बढ़ा रही हैं। त्रिशूल तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को मजबूत करेगा, जो भविष्य के संघर्षों में बहु-क्षेत्रीय संचालन के लिए जरूरी है। सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि अभ्यास क्षेत्र पाकिस्तानी सैन्य स्थलों के करीब है, जो इसकी रणनीतिक अहमियत बताता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल तैयारी है, बल्कि पाकिस्तान को हतोत्साहित करने का माध्यम भी है। हालांकि, भारत ने इसे शांतिपूर्ण अभ्यास बताया है, लेकिन सीमा पर सतर्कता बरती जा रही है। यह अभ्यास भारत की सैन्य क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करेगा।