टाटा मोटर्स का नया चेहरा: डीमर्जर के बाद 80 साल में चौथी बार बदली पहचान
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2025: टाटा मोटर्स, भारत की ऑटोमोबाइल दिग्गज, ने अपने 80 साल के इतिहास में एक और मील का पत्थर जोड़ा है। 13 अक्टूबर 2025 को कंपनी का नाम बदलकर ‘टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल लिमिटेड’ कर दिया गया, जो एक ऐतिहासिक डीमर्जर का हिस्सा है। यह सिर्फ नाम का बदलाव नहीं, बल्कि कंपनी की रणनीति और भविष्य की दिशा को परिभाषित करने वाला कदम है। टाटा समूह ने अपने पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल कारोबार को दो अलग इकाइयों में बांट दिया है। नई इकाई पैसेंजर कार, SUV, इलेक्ट्रिक वाहन और जगुआर लैंडरोवर को संभालेगी, जबकि कमर्शियल वाहन दूसरी इकाई के जिम्मे होंगे। यह कदम टाटा को और मजबूत बनाएगा या नई चुनौतियां लाएगा? आइए, इस बदलाव की कहानी को समझते हैं।
डीमर्जर का ऐतिहासिक कदम: दो इकाइयों में बंटा टाटा मोटर्स
1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी टाटा मोटर्स का डीमर्जर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मंजूरी के बाद लागू हुआ। अब टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल लिमिटेड (TMPVL) कार, SUV, इलेक्ट्रिक वाहन और जगुआर लैंडरोवर को संभालेगी, जबकि TML कमर्शियल व्हीकल्स लिमिटेड (जल्द ही टाटा मोटर्स लिमिटेड) ट्रक, बस और पिकअप जैसे वाहनों पर फोकस करेगी। 14 अक्टूबर 2025 तक शेयरधारकों को दोनों नई इकाइयों में एक-एक शेयर मिलेगा। यह रणनीति कंपनी को ज्यादा केंद्रित और बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीमर्जर से दोनों सेगमेंट अपनी-अपनी ताकत के साथ तेजी से बढ़ सकेंगे। पैसेंजर व्हीकल डिविजन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की अगुवाई करेगा, जबकि कमर्शियल व्हीकल भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा। लेकिन क्या यह जोखिम भरा कदम सही साबित होगा?
80 साल का सफर: चार बार बदली पहचान
टाटा मोटर्स का इतिहास बदलाव और नवाचार की कहानी है। 1945 में टाटा लोकोमोटिव एंड इंजीनियरिंग कंपनी के रूप में शुरू हुई कंपनी ने भारत के औद्योगिक सपनों को पंख दिए। 1960 में इसका नाम टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) हुआ, जब भारत औद्योगिक क्रांति की राह पर था। 2000 में कंपनी टाटा इंजीनियरिंग लिमिटेड बनी, और 2003 में रतन टाटा के नेतृत्व में इसे टाटा मोटर्स लिमिटेड का नाम मिला, जो इसके ऑटोमोबाइल फोकस को दर्शाता था। अब 2025 में चौथी बार नाम बदलकर टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल लिमिटेड और टाटा मोटर्स लिमिटेड के रूप में दो इकाइयां बनीं। हर बदलाव ने कंपनी की दिशा को साफ किया और बाजार में उसकी स्थिति को मजबूत किया। यह डीमर्जर भी उसी दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो टाटा को ग्लोबल और स्थानीय दोनों स्तरों पर और सशक्त बनाएगा।
नया विजन, नई उड़ान: टाटा का भविष्य
टाटा मोटर्स का यह डीमर्जर एक नए युग की शुरुआत है। पैसेंजर व्हीकल डिविजन इलेक्ट्रिक वाहनों और लक्जरी ब्रांड जगुआर लैंडरोवर के साथ भारत के EV ट्रांजिशन को गति देगा। वहीं, कमर्शियल व्हीकल डिविजन ट्रक और बसों के जरिए भारत के लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करेगा। डीमर्जर से दोनों इकाइयां अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा फोकस्ड होकर निवेशकों का भरोसा जीत सकती हैं। शेयर बाजार में भी इस कदम का सकारात्मक असर देखा गया, जहां डीमर्जर की घोषणा के बाद टाटा मोटर्स के शेयरों में उछाल आया। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। EV मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में आर्थिक मंदी का जोखिम कंपनी के सामने है। फिर भी, टाटा का यह कदम दर्शाता है कि वह बदलते समय के साथ कदम मिलाने और नेतृत्व करने को तैयार है।
