जावेद अख्तर का तीखा तंज: तालिबान मंत्री के स्वागत से ‘सिर शर्म से झुक गया’, देवबंद पर भी भड़के
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी का भारत दौरा विवादों में घिर गया है। 2021 के बाद पहली बार किसी तालिबान नेता का यह सफर, जहां उन्हें सम्मान मिला, लेकिन पटकथा लेखक जावेद अख्तर को यह बिल्कुल पसंद नहीं। एक्स पर पोस्ट कर अख्तर ने इसे ‘शर्मनाक’ बताया, देवबंद मदरसे के स्वागत पर सवाल उठाए। मुत्तकी की यात्रा UN प्रतिबंध छूट पर संभव हुई, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं की अनुपस्थिति ने भी हंगामा किया। क्या यह डिप्लोमेसी की मजबूरी है या नैतिक चूक? पूरी बहस आगे…
मुत्तकी का दौरा: UN छूट से संभव, लेकिन महिलाओं वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बवाल
आमिर खान मुत्तकी 10 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे, छह दिवसीय यात्रा पर। 2001 में UN ने उन्हें प्रतिबंधित सूची में डाला था—यात्रा बैन, संपत्ति जब्त, हथियार प्रतिबंध। लेकिन हाल ही छूट मिली, भारत ने तालिबान को मान्यता न देने के बावजूद डिप्लोमेसी की। पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई महिला पत्रकार न बुलाने पर विपक्ष भड़का—कांग्रेस ने ‘महिलाओं का अपमान’ कहा। MEA ने सफाई दी, ‘हमारा हस्तक्षेप नहीं।’ मुत्तकी ने दूसरी कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को बुलाया, बोले, ‘तकनीकी गड़बड़ी, कोई इरादा नहीं।’ यात्रा का मकसद: अफगानिस्तान में समावेशी सरकार की वकालत, लेकिन तालिबान की लड़कियों की शिक्षा बैन पर सवाल बाकी। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी—कूटनीति जरूरी या नैतिकता?
जावेद अख्तर का एक्स पोस्ट: ‘शर्म से सिर झुक गया’, देवबंद पर कड़ी चेतावनी
सोमवार को जावेद अख्तर ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी समूह तालिबान के प्रतिनिधि को उन लोगों द्वारा किस तरह सम्मान और स्वागत दिया जा रहा है जो आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।’ उन्होंने देवबंद मदरसे पर निशाना साधा, ‘देवबंद को शर्म आनी चाहिए क्योंकि उसने ऐसे इस्लामी नायक का सम्मान किया है जिसने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा है।’ पोस्ट वायरल, 15K+ लाइक्स, 2K+ रीपोस्ट। अख्तर ने भारतीयों से सवाल किया, ‘हमारे साथ क्या हो रहा है?’ यह तालिबान की महिलाओं-बच्चों पर जुल्मों के खिलाफ उनकी पुरानी लाइन का हिस्सा। 2021 में भी अख्तर ने तालिबान को ‘बर्बर’ कहा था।
विवाद की जड़ें: तालिबान का भारत दौरा, नैतिकता vs कूटनीति
भारत ने तालिबान को मान्यता न दी, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संपर्क बनाए रखा। मुत्तकी का दौरा अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और समावेशी सरकार पर फोकस। लेकिन देवबंद का स्वागत—दक्षिण एशिया का प्रमुख इस्लामी केंद्र—ने सवाल उठाए। अख्तर की आपत्ति: तालिबान ने लड़कियों की हाई स्कूल शिक्षा बैन की, महिलाओं को घरों में कैद। विपक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कहा, ‘महिलाओं का अपमान।’ मुत्तकी ने सफाई दी, लेकिन बहस जारी। अख्तर का पोस्ट सोशल मीडिया पर डिवाइड—कुछ सहमत, कुछ डिप्लोमेसी का पक्ष। क्या यह दौरा शांति लाएगा या नैतिक सवाल बढ़ाएगा? समय जवाब देगा।
