• October 15, 2025

‘महिला पत्रकारों पर तालिबानी पाबंदी’: MEA ने साफ किया रुख, कहा- कोई भूमिका नहीं

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की की दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री रोकने का मामला गरमा गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शनिवार को पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस इवेंट में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। तालिबान सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने केंद्र पर निशाना साधा, जबकि मुतक्की ने महिलाओं की स्थिति पर सवाल टाल दिया। दौरे के दौरान भारत-अफगानिस्तान संबंधों पर सकारात्मक चर्चा हुई, लेकिन यह विवाद सियासी रंग ले चुका है। क्या MEA का बयान विवाद को शांत कर पाएगा? आइए, इस घटना की पूरी परतें खोलते हैं।

MEA का साफ रुख: प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजकों का फैसला, हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं

विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मुतक्की की प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें MEA की कोई भूमिका नहीं थी। एजेंसी ANI को दिए बयान में मंत्रालय ने कहा, “यह इंटरैक्शन पूरी तरह अफगान पक्ष द्वारा तय किया गया था। महिला पत्रकारों को शामिल न करने का निर्णय भी उनका था।” रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने महिला पत्रकारों को आमंत्रित करने का सुझाव दिया था, लेकिन तालिबान अधिकारियों ने इसे ठुकरा दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास में हुई, जहां सिर्फ चुनिंदा पुरुष पत्रकारों को प्रवेश मिला। MEA ने जोर दिया कि यह द्विपक्षीय वार्ता का हिस्सा नहीं था, बल्कि अफगान पक्ष की स्वतंत्र पहल थी। यह बयान विपक्ष की आलोचना के बीच आया, जो सरकार पर तालिबानी नीतियों को बर्दाश्त करने का आरोप लगा रहा है। MEA का यह रुख विवाद को अफगान पक्ष पर केंद्रित करने की कोशिश लगता है।

विपक्ष का हल्ला: चिदंबरम से प्रियंका तक, ‘अपमान’ पर सवालों की बौछार

प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने एक्स पर लिखा, “मैं स्तब्ध हूं कि महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया। पुरुष पत्रकारों को तुरंत वॉकआउट करना चाहिए था।” प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी से सीधा सवाल किया, “प्रधानमंत्री जी, तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? क्या आपके महिला अधिकारों के दावे सिर्फ चुनावी नारे हैं?” टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे “हर भारतीय महिला का अपमान” बताया और कहा, “सरकार ने तालिबान को यह अनुमति देकर रीढ़विहीन रवैया अपनाया।” शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी तालिबानी मान्यताओं का हवाला देते हुए सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। विपक्ष का कहना है कि यह घटना भारत की महिला सशक्तिकरण की छवि को धक्का पहुंचाती है। कई पत्रकार संगठनों ने भी MEA से स्पष्टीकरण मांगा, जो अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।

मुतक्की का दौरा: संबंध सुधार की कोशिश, लेकिन विवाद ने छीनी चमक

आमिर खान मुतक्की गुरुवार को सात दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचे, जहां शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों ने द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता, सुरक्षा सहयोग और अफगानिस्तान की जमीन के दुरुपयोग न रोकने पर चर्चा की। मुतक्की ने आश्वासन दिया कि अफगान मिट्टी का इस्तेमाल किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होगा। जयशंकर ने काबुल में तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की और राजनयिकों के आदान-प्रदान पर सहमति बनी। मुतक्की ने कहा कि अफगान राजनयिकों को नई दिल्ली भेजा जाएगा। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं पर सवाल टालते हुए उन्होंने कहा, “हर देश की अपनी परंपराएं और कानून हैं, उनका सम्मान होना चाहिए।” तालिबान की महिलाओं पर पाबंदियों की वैश्विक आलोचना के बीच यह दौरा भारत के सतर्क रुख को दर्शाता है, लेकिन विवाद ने सकारात्मक चर्चा पर साया डाल दिया।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *