माउंट एवरेस्ट पर बर्फीला तूफान: तिब्बत में फंसे 1,000 पर्वतारोही, रेस्क्यू में 350 सुरक्षित
बीजिंग, 5 अक्टूबर 2025: तिब्बत के माउंट एवरेस्ट के पूर्वी हिस्से में शुक्रवार शाम से शुरू हुए भयानक बर्फीले तूफान ने लगभग 1,000 पर्वतारोहियों को फंसा दिया। 4,900 मीटर से ऊपर के कैंप साइट्स पर भारी बर्फबारी से रास्ते अवरुद्ध हो गए, लेकिन रेस्क्यू टीमों ने अब तक 350 को सुरक्षित निकाल लिया है। क्या यह असामान्य मौसम जलवायु परिवर्तन का संकेत है? आइए, इस संकट की पूरी कहानी जानते हैं।
तूफान का कहर: 1,000 फंसे, कैंप्स में हाइपोथर्मिया का खतरा
शुक्रवार शाम से तेज बर्फबारी ने माउंट एवरेस्ट के तिब्बती पूर्वी ढलानों पर हाहाकार मचा दिया। चीनी मीडिया जिमू न्यूज के अनुसार, लगभग 1,000 पर्यटक, पर्वतारोही और गाइड्स कैंप साइट्स में फंस गए, जहां तापमान माइनस 10 डिग्री तक गिर गया। भारी बर्फ ने रोड्स ब्लॉक कर दिए, और कई टेंट्स ढह गए। ब्लू स्काई रेस्क्यू टीम को हाइपोथर्मिया के केस मिले, जहां कुछ लोग ठंड से बेहोश हो गए। स्थानीय गाइड ने कहा, “अक्टूबर में कभी ऐसा नहीं देखा। सब अचानक हो गया।” यह इलाका हाइकर्स के लिए पॉपुलर है, लेकिन अचानक मौसम बदलाव ने सबको चौंका दिया। रेस्क्यू में सैकड़ों ग्रामीण, हेवी मशीनरी और हेलीकॉप्टर्स लगे हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन: 350 सुरक्षित, बाकी के लिए जारी प्रयास
चीनी राज्य मीडिया CCTV के अनुसार, रविवार तक 350 पर्वतारोहियों को कुदांग टाउनशिप तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया। बाकी 200 से ज्यादा से संपर्क हो गया है, और वे स्टेजेस में निकाले जा रहे हैं। तिब्बत सरकार ने कोऑर्डिनेटेड सर्च चलाया, जहां लोकल विलेजर्स ने बर्फ हटाने में मदद की। एवरेस्ट नेशनल पार्क का एंट्रेंस सस्पेंड कर दिया गया, और पर्वतारोहण एक्टिविटीज बंद। बीबीसी के मुताबिक, कुछ गाइड्स और सपोर्ट स्टाफ भी फंसे हैं, लेकिन नॉर्थ फेस वाले इलाके पर असर स्पष्ट नहीं। रेस्क्यू टीम्स ने हाइपोथर्मिया पीड़ितों को प्राथमिकता दी। नेपाल साइड पर भी भारी बारिश से 47 मौतें हुईं, जो पूरे हिमालयन रीजन को प्रभावित कर रही है।
जलवायु परिवर्तन का संकेत: अक्टूबर में बर्फीला तूफान, दक्षिण चीन में टाइ
फूनमाउंट एवरेस्ट (चीन में कोमोलांगमा) दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, 8,849 मीटर ऊंची। अक्टूबर को क्लाइंबिंग के लिए बेस्ट माना जाता है, जब मानसून खत्म होने पर साफ मौसम रहता है। लेकिन इस बार असामान्य स्नोफॉल और रेन ने सब उलट दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है, जो मौसम पैटर्न बिगाड़ रहा है। दक्षिण में टाइफून मैटमो ने गुआंगडोंग और हainan से 3,47,000 लोगों को इवैक्यूएट किया। नेपाल में फ्लड्स और लैंडस्लाइड्स से सड़कें बंद, ब्रिज बह गए। क्या यह हिमालयन रीजन के लिए नई सामान्यता है? रेस्क्यू जारी है, लेकिन मौसम की मार से सब सतर्क।
