1.84 लाख करोड़ के ‘भूले-बिसरे’ धन की तलाश: वित्त मंत्री का ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ अभियान
गांधीनगर, 4 अक्टूबर 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को गुजरात से एक अनोखे अभियान की शुरुआत की, जो बैंकों और नियामकों के पास पड़े 1.84 लाख करोड़ रुपये के बिना दावे वाली वित्तीय संपत्तियों को उनके असली मालिकों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर शुरू यह तीन महीने का ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ अभियान लोगों में जागरूकता फैलाने और दावे प्रक्रिया को सरल बनाने पर केंद्रित है। लेकिन क्या लाखों परिवारों के ये ‘भूले-बिसरे’ पैसे अब घर लौट पाएंगे? आइए, इस पहल की पूरी परतें खोलते हैं।
अभियान की शुरुआत: गांधीनगर से देशव्यापी जागरूकता
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गांधीनगर में गुजरात के वित्त मंत्री कनुभाई देसाई, बैंकों और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ अभियान का शुभारंभ किया। यह तीन महीने (अक्टूबर-दिसंबर 2025) का राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा। सीतारमण ने कहा कि बैंकों, आरबीआई, आईईपीएफ और अन्य संस्थाओं में बैंक जमा, बीमा पॉलिसी, शेयर, म्यूचुअल फंड, भविष्य निधि और पेंशन जैसे रूपों में 1.84 लाख करोड़ रुपये बिना दावे के पड़े हैं। डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (डीएफएस) के अनुसार, 31 अगस्त 2025 तक यह राशि 75,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स पर आधारित है। अभियान का मकसद लोगों को बताना है कि उनका पैसा सुरक्षित है और सही दस्तावेजों के साथ वे इसे तुरंत ले सकते हैं। डिजिटल डेमो और हेल्प डेस्क के जरिए दावा प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा। सीतारमण ने गुजरात ग्रामीण बैंक की तारीफ की, जिसके अधिकारी हर गांव में जाकर असली मालिकों की तलाश करेंगे। यह अभियान न केवल वित्तीय समावेशन बढ़ाएगा, बल्कि परिवारों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा।
तीन स्तंभ: जागरूकता, पहुंच और कार्रवाई का संकल्प
सीतारमण ने अधिकारियों से तीन पहलुओं—जागरूकता (अवेयरनेस), पहुंच (एक्सेस) और कार्रवाई (एक्शन)—पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “ये फंड्स बैंकों, आरबीआई या आईईपीएफ में पड़े हैं। हमें असली मालिकों का पता लगाना है और उन्हें सौंपना है।” जागरूकता के तहत सोशल मीडिया, बैंक ब्रांचों और सामुदायिक कार्यक्रमों से लोगों को बताया जाएगा कि परिपक्व बीमा पॉलिसी या पुराने शेयरों का दावा कैसे करें। पहुंच के लिए आरबीआई का UDGAM पोर्टल (Unclaimed Deposits Gateway to Access Information) और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को मजबूत किया जाएगा। कार्रवाई में अधिकारियों को ‘दूत’ बनने को कहा गया—लोगों को कागजात ढूंढने और पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोत्साहित करें। अगर संपत्ति पर दावा न हो, तो वह एक संस्था से दूसरी में ट्रांसफर हो जाती है, लेकिन दावा होते ही मिल जाती है। सीतारमण ने आश्वासन दिया, “ये पूरी तरह सुरक्षित हैं। सही कागजात लाएं, पैसा मिल जाएगा। सरकार इसका संरक्षक है।” पीएम मोदी के निर्देश पर यह संगठित प्रयास है, जो लाखों परिवारों के लिए वरदान साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अभियान वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा और अनक्लेम्ड एसेट्स की समस्या को जड़ से हल करेगा।
लोगों का पैसा, सरकार की जिम्मेदारी: दावे की प्रक्रिया
सीतारमण ने जोर दिया कि ये संपत्तियां व्यक्तियों और परिवारों की हैं, न कि सरकार की। अभियान के तहत बैंक डिपॉजिट्स, इंश्योरेंस प्रोसीड्स, डिविडेंड्स, म्यूचुअल फंड बैलेंस और पेंशन फंड्स पर फोकस होगा। UDGAM पोर्टल के जरिए लोग आसानी से चेक कर सकेंगे कि उनका पैसा कहां पड़ा है। अगर परिपक्वता के बाद दावा न हो, तो राशि आरबीआई या आईईपीएफ में चली जाती है। अभियान में डिजिटल टूल्स और हेल्पलाइन से दावा प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। सीतारमण ने कहा, “ये कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर कार्रवाई करें।” गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण स्तर पर जागरूकता अभियान चलेंगे। यह न केवल आर्थिक नुकसान रोकेगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सुरक्षा के लिए परिवारों को मजबूत करेगा। क्या यह अभियान 1.84 लाख करोड़ को सही हाथों तक पहुंचा पाएगा? समय ही बताएगा, लेकिन शुरुआत दिलचस्प है।
