ट्रंप का ड्रग कार्टेल पर युद्ध: आतंकी घोषणा से सैन्य हमले तक
3 अक्टूबर 2025, वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ड्रग कार्टेल्स को अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन करार देते हुए उनके खिलाफ ‘सशस्त्र संघर्ष’ का ऐलान कर दिया है। एक गोपनीय मेमो में इन्हें ‘गैरकानूनी योद्धा’ बताकर सैन्य कार्रवाई को जायज ठहराया गया, जो कैरेबियन में हालिया हमलों के बाद आया। क्या यह ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का नया रूप है, या राष्ट्रपति की युद्ध शक्तियों का दुरुपयोग? कानूनी सवालों के बीच पेंटागन ने सांसदों को जानकारी दी, लेकिन विवरणों की कमी ने विवाद और बढ़ा दिया। आइए, इस नई जंग की परतें खोलें।
गोपनीय मेमो का खुलासा: कार्टेल्स को आतंकी, अमेरिका पर ‘हमला’
2 अक्टूबर को न्यूयॉर्क टाइम्स और एपी को मिले एक गोपनीय मेमो के मुताबिक, ट्रंप ने ड्रग कार्टेल्स को ‘नॉन-स्टेट आर्म्ड ग्रुप्स’ घोषित किया, जिनकी ड्रग तस्करी को अमेरिका पर ‘सशस्त्र हमला’ माना गया। मेमो में कहा गया कि राष्ट्रपति ने ‘निर्धारित’ किया है कि अमेरिका इन संगठनों के साथ ‘गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष’ में है। पेंटागन को आदेश दिया गया कि सशस्त्र संघर्ष के कानून के तहत कार्रवाई हो। यह कदम ट्रंप की पुरानी सोच को दर्शाता है—ड्रग्स को ‘जहर’ बताकर आत्मरक्षा का हवाला। व्हाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी अन्ना केली ने कहा, “ट्रंप ने वादा निभाया; अमेरिकियों को मारने वाले इस जहर को रोकना जरूरी है।” लेकिन मेमो में विशिष्ट कार्टेल्स के नाम या निशाने के मानदंड नहीं बताए गए, जिससे सवाल उठे।
कैरेबियन हमले: तीन नावों पर स्ट्राइक, 15 से ज्यादा मौतें
सितंबर में अमेरिकी सेना ने कैरेबियन में तीन घातक हमले किए, जो इस ‘युद्ध’ का हिस्सा बताए जा रहे हैं। 2 सितंबर को वेनेजुएला से आई स्पीडबोट पर स्ट्राइक हुई, जिसमें 11 लोग मारे गए—ट्रंप ने इसे ट्रेन डे अरागुआ गैंग की नाव बताया, जिसे जनवरी में आतंकी संगठन घोषित किया गया।
15 सितंबर को दूसरी नाव पर हमला, जिसमें ड्रग्स और तीन लोग नष्ट कर दिए गए।
19 सितंबर को तीसरा स्ट्राइक, जहां स्पीडबोट को उड़ाने का वीडियो ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर शेयर किया।
ये हमले यूएस नेवी के युद्धपोतों—जैसे यूएसएस जेसन डनहम और यूएसएस ग्रेवली—की मौजूदगी में हुए। ट्रंप ने कहा, “ये नावें अमेरिका के लिए जहर ले जा रही थीं।” लेकिन वेनेजुएला ने इन्हें ‘आक्रामकता’ करार दिया, और एक मामले में मछली पकड़ने वाली नाव पर हमले का आरोप लगाया।
कानूनी विवाद: कांग्रेस की मंजूरी बिना युद्ध?
ट्रंप ने राष्ट्रपति की युद्ध शक्तियों का इस्तेमाल कर सेना भेजी, लेकिन सांसदों ने सवाल उठाए—क्या यह संविधान के खिलाफ है? सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमिटी के डेमोक्रेट चेयर जैक रीड ने कहा, “ट्रंप गुप्त युद्ध लड़ रहे हैं; ड्रग कार्टेल्स घृणित हैं, लेकिन कानूनी सबूत नहीं।” विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रग तस्करी ‘होस्टिलिटी’ नहीं, बल्कि अपराध है—इसके लिए लॉ एनफोर्समेंट, न कि सैन्य बल। 2001 के AUMF एक्ट का हवाला दिया गया, लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह 9/11 से जुड़ा था, न कि ड्रग्स से। पेंटागन ने सीनेटर्स को ब्रीफिंग दी, लेकिन कार्टेल्स के नाम न बताने से गुस्सा बढ़ा। वेनेजुएला के निकोलास मादुरो ने इसे ‘युद्ध की धमकी’ कहा।
ट्रंप की रणनीति: आतंकी टैग से ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नया चेहरा
ट्रंप ने जनवरी में ही मैक्सिकन कार्टेल्स, MS-13, ट्रेन डे अरागुआ और वेनेजुएला के ‘कार्टेल डे लॉस सोलेस’ को आतंकी घोषित किया था। अगस्त में गुप्त आदेश पर पेंटागन को सैन्य कार्रवाई की मंजूरी दी। यह उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का विस्तार है—विदेशी हस्तक्षेप कम, लेकिन ड्रग्स को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बनाकर स्ट्राइक्स। एक्स पर बहस छिड़ी, जहां कुछ इसे ‘साहसिक कदम’ बता रहे, तो कुछ ‘अवैध युद्ध’। लेकिन क्या यह लंबे समय तक चलेगा? कांग्रेस की मंजूरी के बिना, यह युद्ध शक्तियों का परीक्षण बन सकता है।
आगे की राह: युद्ध या कानूनी जंग?
यह ऐलान ड्रग ओवरडोज (सालाना 1 लाख मौतें) से जूझते अमेरिका के लिए कदम हो सकता है, लेकिन कानूनी जोखिम बढ़ा रहा। विशेषज्ञ चेताते हैं कि बिना सबूत के स्ट्राइक्स अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ सकते हैं। ट्रंप की यह ‘जंग’ क्या कार्टेल्स को कुचलेगी, या नई विवादों को जन्म देगी? वेनेजुएला और मैक्सिको की प्रतिक्रिया से तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका का यह नया युद्ध—ड्रग्स के खिलाफ—अभी सवालों के घेरे में है।