यमुना में अवैध रेत खनन: CM रेखा गुप्ता ने CM योगी से मांगा सहयोग, बाढ़ का खतरा बढ़ा
अवैध खनन का बढ़ता संकट
दिल्ली-यूपी सीमा पर यमुना नदी के किनारे अवैध रेत खनन एक गंभीर समस्या बन चुका है। दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने बताया कि भारी मशीनों के इस्तेमाल से नदी का प्राकृतिक प्रवाह और तल बदल रहा है। इससे तटबंध कमजोर हो रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। NGT ने इस साल जनवरी में अलीपुर और गाजियाबाद के पंचायता के बीच अवैध खनन पर स्वतः संज्ञान लिया था। खननकर्ता यमुना के पार अस्थायी सड़कें बनाकर उत्खनन कर रहे हैं, जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है। दिल्ली के अधिकारियों ने यूपी प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी, लेकिन अधिकार क्षेत्र की अस्पष्टता के कारण कार्रवाई में देरी हो रही है। यह खनन न केवल नदी के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्थानीय आबादी के लिए भी खतरा बन रहा है।
CM रेखा गुप्ता की अपील और NGT की चिंताएं
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने पत्र में CM योगी से अनुरोध किया कि वे अपने अधिकारियों को संयुक्त अंतरराज्यीय सीमांकन शुरू करने के निर्देश दें, ताकि दोनों राज्यों के प्रशासन मिलकर अवैध खनन पर रोक लगा सकें। उन्होंने NGT की चिंताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि यह गतिविधि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है और नदी की ढाल, तलछट परिवहन, और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा रही है। NGT ने अप्रैल में उत्तर प्रदेश और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों सहित कई पक्षों को इस मामले में जवाबदेह बनाया था। रेखा गुप्ता ने जोर दिया कि यह अंतरराज्यीय मुद्दा है, जिसके लिए संयुक्त प्रवर्तन तंत्र जरूरी है। दिल्ली सरकार का दावा है कि वे यमुना की सफाई और संरक्षण के लिए मिशन स्तर पर काम कर रही है।
पर्यावरण और आबादी पर प्रभाव
अवैध रेत खनन से यमुना का पारिस्थितिक संतुलन खतरे में है। यह गतिविधि नदी के प्राकृतिक मार्ग को बदल रही है, तटों पर कटाव बढ़ा रही है, और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा रही है। पॉलीप्रोपाइलीन बैग से बनी अस्थायी सड़कें नदी के तल को और बिगाड़ रही हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। यमुना के किनारे बसी आबादी के लिए यह जीवन और संपत्ति का खतरा बन रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि रेत खनन को प्रमुख खनिज के रूप में वर्गीकृत करने की जरूरत है, ताकि इस पर सख्त नियंत्रण हो। दिल्ली और यूपी के बीच अधिकार क्षेत्र की अस्पष्टता ने प्रवर्तन को जटिल बनाया है। स्थानीय समुदाय को निगरानी में शामिल करने की मांग भी उठ रही है, ताकि अवैध गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाया जा सके।
निष्कर्ष
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र यमुना नदी में अवैध रेत खनन की गंभीर समस्या को उजागर करता है। यह गतिविधि न केवल पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है, बल्कि बाढ़ के खतरे को बढ़ाकर यमुना किनारे बसी आबादी के लिए जोखिम पैदा कर रही है। NGT की चेतावनियों और दिल्ली सरकार के प्रयासों के बावजूद, अंतरराज्यीय समन्वय की कमी इस समस्या को जटिल बना रही है। रेखा गुप्ता की संयुक्त प्रवर्तन तंत्र और सीमांकन की मांग सही दिशा में कदम है। यूपी सरकार द्वारा पहले से AI, ड्रोन और GPS के जरिए अवैध खनन पर निगरानी के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली-यूपी सीमा पर स्पष्ट सहयोग की जरूरत है। यह मुद्दा दोनों राज्यों के लिए पर्यावरण और जनहित की दृष्टि से अहम है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी और सख्त निगरानी से ही यमुना को बचाया जा सकता है।
