Uttarakhand Cloudburst: प्राकृतिक आपदा का तांडव, उत्तरकाशी में फटा बादल, मची भारी तबाही
Uttarakhand Cloudburst:उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है। उत्तरकाशी जिले के बड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर स्थित बलिगढ़ क्षेत्र में बीती रात करीब 2:12 बजे बादल फटने की घटना हुई, जिससे इलाके में भारी तबाही मच गई। इस विनाशकारी घटना में एक निर्माणाधीन होटल की साइट पर काम कर रहे 19 मजदूरों में से 8-9 मजदूर लापता हो गए हैं। उनके टेंट बादल फटने के बाद हुए भूस्खलन और मलबे की चपेट में आ गए। पुलिस, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल), एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग और एनएच विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है। उत्तरकाशी जिले के बड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर स्थित बलिगढ़ क्षेत्र में बीती रात करीब 2:12 बजे बादल फटने की घटना हुई, जिससे इलाके में भारी तबाही मच गई। इस विनाशकारी घटना में एक निर्माणाधीन होटल की साइट पर काम कर रहे 19 मजदूरों में से 8-9 मजदूर लापता हो गए हैं। उनके टेंट बादल फटने के बाद हुए भूस्खलन और मलबे की चपेट में आ गए। पुलिस, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल), एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग और एनएच विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं।
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घटना का विवरण
बड़कोट तहसील के पालीगाड़-सिलाई बैंड के पास अतिवृष्टि और भूस्खलन की वजह से निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के टेंट पूरी तरह से दब गए। टेंट में 19 मजदूर रुके हुए थे, जिनमें से 10 को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। लेकिन बाकी 8-9 मजदूरों का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। रात के समय अचानक आई इस आपदा ने लोगों को संभलने का मौका तक नहीं दिया।उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। मौके पर तुरंत पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें भेजी गईं। मलबा हटाने और लापता मजदूरों की तलाश का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि घटनास्थल तक पहुंचना काफी मुश्किल था क्योंकि रास्ते में जगह-जगह मलबा और टूटी सड़कें हैं।
यमुनोत्री हाईवे पर भी भारी नुकसान
बादल फटने की वजह से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी प्रभावित हुआ है। सिलाई बैंड के पास हाईवे का करीब 10 मीटर हिस्सा पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है, जिससे यातायात बाधित हो गया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा मार्ग को शीघ्र खुलवाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते कार्य में रुकावटें आ रही हैं।इस मार्ग पर लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण तीर्थयात्रियों को रोका गया है। प्रशासन द्वारा यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोके जाने की व्यवस्था की गई है और उन्हें नदी किनारे न जाने की चेतावनी भी दी गई है।
अन्य जिलों की स्थिति भी गंभीर
उत्तराखंड के अन्य पर्वतीय जिलों में भी भारी बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। रुद्रप्रयाग और चमोली जिले में बद्रीनाथ और केदारनाथ क्षेत्रों में हो रही मूसलाधार वर्षा से मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। पुलिस और प्रशासन द्वारा नदी किनारे बसे गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है।चमोली जनपद में भी कई स्थानों पर भारी बारिश के चलते भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। कमेडा नंदप्रयाग क्षेत्र में मलबा आने से हाईवे बंद हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और लोगों में भय का माहौल व्याप्त है।
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प्रशासन की अपील और प्रयास
प्रशासन द्वारा आम जनता और विशेष रूप से यात्रियों से अपील की गई है कि वे खराब मौसम और भारी बारिश को देखते हुए अनावश्यक रूप से यात्रा न करें। जो लोग नदी किनारे या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं, उनसे तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने का अनुरोध किया गया है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगातार कार्य कर रही हैं और संभावित खतरे वाले इलाकों में निगरानी रखी जा रही है। बचाव और राहत कार्यों के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद लेने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि अधिक तेजी से प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाई जा सके। बड़कोट तहसील के पालीगाड़-सिलाई बैंड के पास अतिवृष्टि और भूस्खलन की वजह से निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के टेंट पूरी तरह से दब गए।
टेंट में 19 मजदूर रुके हुए थे, जिनमें से 10 को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। लेकिन बाकी 8-9 मजदूरों का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। रात के समय अचानक आई इस आपदा ने लोगों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। मौके पर तुरंत पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें भेजी गईं। मलबा हटाने और लापता मजदूरों की तलाश का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि घटनास्थल तक पहुंचना काफी मुश्किल था क्योंकि रास्ते में जगह-जगह मलबा और टूटी सड़कें हैं।
यमुनोत्री हाईवे पर भी भारी नुकसान
बादल फटने की वजह से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी प्रभावित हुआ है। सिलाई बैंड के पास हाईवे का करीब 10 मीटर हिस्सा पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है, जिससे यातायात बाधित हो गया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा मार्ग को शीघ्र खुलवाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते कार्य में रुकावटें आ रही हैं।इस मार्ग पर लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण तीर्थयात्रियों को रोका गया है। प्रशासन द्वारा यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोके जाने की व्यवस्था की गई है और उन्हें नदी किनारे न जाने की चेतावनी भी दी गई है।
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अन्य जिलों की स्थिति भी गंभीर
उत्तराखंड के अन्य पर्वतीय जिलों में भी भारी बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। रुद्रप्रयाग और चमोली जिले में बद्रीनाथ और केदारनाथ क्षेत्रों में हो रही मूसलाधार वर्षा से मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। पुलिस और प्रशासन द्वारा नदी किनारे बसे गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है।चमोली जनपद में भी कई स्थानों पर भारी बारिश के चलते भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। कमेडा नंदप्रयाग क्षेत्र में मलबा आने से हाईवे बंद हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और लोगों में भय का माहौल व्याप्त है।
प्रशासन की अपील और प्रयास
प्रशासन द्वारा आम जनता और विशेष रूप से यात्रियों से अपील की गई है कि वे खराब मौसम और भारी बारिश को देखते हुए अनावश्यक रूप से यात्रा न करें। जो लोग नदी किनारे या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं, उनसे तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने का अनुरोध किया गया है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगातार कार्य कर रही हैं और संभावित खतरे वाले इलाकों में निगरानी रखी जा रही है। बचाव और राहत कार्यों के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद लेने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि अधिक तेजी से प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाई जा सके।
