• October 14, 2025

Sitaare Zameen Par Movie Review: आमिर खान की बेहतरीन एक्टिंग, शानदार मैसेज देती है फिल्म

Sitaare Zameen Par Movie Review: लंबे इंतजार के बाद आमिर खान की फिल्म “सितारे ज़मीन पर” आखिरकार 20 जून 2025 को रिलीज हो गई। इस फिल्म में आमिर खान गुलशन नाम के एक बास्केटबॉल कोच की भूमिका में हैं। गुलशन एक चिड़चिड़ा और घमंडी कोच है, जिसकी ज़िंदगी में मोड़ तब आता है जब वह शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक एक्सीडेंट कर बैठता है। इसके बाद कोर्ट उसे मानसिक रूप से अलग (न्यूरो-डाइवर्जेंट) बच्चों को ट्रेनिंग देने की सजा सुनाता है। यह फिल्म 2018 की स्पैनिश फिल्म Champions की आधिकारिक रीमेक है।

गुलशन (आमिर खान) अपनी मां (डॉली आहलूवालिया) के साथ रहता है और उसकी पत्नी के साथ संबंध ठीक नहीं हैं। पत्नी का किरदार जेनेलिया डिसूजा ने निभाया है, जो एक एक्ट्रेस बनना चाहती थी।

अब गुलशन को कम्युनिटी सर्विस के तहत डाउन सिंड्रोम से पीड़ित युवाओं की एक बास्केटबॉल टीम बनाकर उन्हें टूर्नामेंट के लिए तैयार करना होता है। इस टीम में सुनील (आशीष पेंडसे), सतबीर (आरुष दत्ता), लोटस (आयुष भंसाली), शर्मा जी (ऋषि शहानी), गुड्डू (गोपीकृष्ण वर्मा), राजू (ऋषभ जैन), बंटू (वेदांत शर्मा), गोलू (सिमरन मंगेशकर), करीम (संवित देसाई) और हरगोविंद (नमन मिश्रा) शामिल हैं।

शुरुआत में गुलशन उन्हें ‘पागल’ कहकर अपमानित करता है और उनसे गुस्से से पेश आता है। उसे लगता है कि वो फंसा दिया गया है। मगर जैसे-जैसे वह बच्चों के साथ समय बिताने लगता है, उसका नजरिया बदलने लगता है। उसे समझ में आता है कि हर बच्चा अलग होता है, और “नॉर्मल” की परिभाषा भी सभी के लिए अलग होती है।

इंटरवल तक फिल्म गुलशन के संघर्षों पर केंद्रित रहती है- एक तरफ उसका बर्बाद होता करियर, दूसरी तरफ टूटता पर्सनल रिश्ता। सेकेंड हाफ़ में, गुलशन बच्चों के करीब आने लगता है। वह उन्हें अपने बच्चों जैसा मानने लगता है। इस हिस्से में कुछ बेहद भावुक और कोमल सीन हैं, जो दर्शकों को गहराई से छूते हैं। क्लाइमैक्स में, जब ये टीम टूर्नामेंट खेलती है, तो थिएटर में बैठे दर्शकों की आंखें नम हो जाती हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स इमोशनल और संतोषजनक है।

भिनय की बात करें तो आमिर खान के साथ-साथ सभी बच्चों ने दिल जीत लेने वाला काम किया है। जेनेलिया डिसूजा की स्क्रीन टाइम सीमित है, लेकिन अपनी छाप छोड़ती हैं।

फिल्म के डायलॉग्स अच्छे हैं, हालांकि कुछ दर्शकों को फिल्म की गति धीमी लग सकती है। इसके अलावा, संगीत बहुत प्रभावशाली नहीं है।

कुल मिलाकर, “सितारे ज़मीन पर” एक दिल छू लेने वाली फिल्म है, जो मनोरंजन के साथ-साथ इंसानियत, समानता और दया का सामाजिक संदेश देती है। यदि आपको आमिर खान की “तारे ज़मीन पर” पसंद आई थी, तो यह फिल्म भी आपके दिल को ज़रूर छूएगी।

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Rama Niwash Pandey

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