ट्रंप का बर्थडे, सेना की परेड और 350 करोड़ का खर्च: अमेरिका में ‘No Kings’ प्रोटेस्ट का उभार
‘No Kings’ protest in America: 14 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना 79वां जन्मदिन मनाया, जो संयोगवश अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता था। इस मौके पर वाशिंगटन डीसी में एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया गया, जिसमें 6,600 से अधिक सैनिक, 150 बख्तरबंद वाहन, 50 से ज्यादा लड़ाकू विमान, और 28 अब्राम्स टैंक शामिल थे। यह परेड नेशनल मॉल और कॉन्स्टिट्यूशन एवेन्यू पर हुई, जिसमें क्रांतिकारी युद्ध से लेकर आधुनिक युद्धों तक की वर्दियों और उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। ट्रंप ने इस परेड को “अमेरिकी सैन्य ताकत का ऐतिहासिक प्रदर्शन” करार दिया और कहा कि यह सेना के 250 साल के गौरव को दर्शाता है। परेड की लागत करीब 25-45 मिलियन डॉलर (लगभग 210-378 करोड़ रुपये) बताई गई, जिसे ट्रंप प्रशासन ने सेना की विरासत का जश्न बताया, लेकिन विपक्ष ने इसे जनता के पैसे की बर्बादी और ट्रंप के अहंकार का प्रतीक करार दिया।
‘No Kings’ प्रोटेस्ट: ट्रंप के खिलाफ देशव्यापी विरोध
परेड के साथ-साथ, अमेरिका के 1,800 से अधिक शहरों में ‘No Kings’ आंदोलन के तहत ट्रंप प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क, शिकागो, और अटलांटा जैसे शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, जो ट्रंप की सैन्य परेड और उनकी नीतियों को तानाशाही का प्रतीक मानते थे। प्रदर्शनकारी ‘No Kings’ बैनर और “किंग्स आर सो 250 ईयर्स अगो” जैसे नारे लिखे पोस्टर लेकर आए। यह विरोध विशेष रूप से ट्रंप की आप्रवासन नीतियों, जैसे लॉस एंजिल्स में ICE छापों, और बिना राज्य सरकार की सहमति के नेशनल गार्ड और मरीन की तैनाती के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों ने परेड को ट्रंप के जन्मदिन के लिए एक व्यक्तिगत उत्सव बताया, जो लोकतंत्र के बजाय सैन्य शक्ति और व्यक्तित्व पूजा को बढ़ावा देता है। कुछ प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस और गिरफ्तारियां कीं।
परेड की पृष्ठभूमि और विवाद
ट्रंप लंबे समय से सैन्य परेड के पक्षधर रहे हैं, खासकर 2017 में फ्रांस के बैस्टिल डे परेड से प्रभावित होने के बाद। उनके पहले कार्यकाल में लागत और लॉजिस्टिक्स के कारण यह योजना रुकी थी, लेकिन 2025 में सेना की 250वीं वर्षगांठ ने उन्हें यह मौका दिया। परेड में ऐतिहासिक झांकियां, जैसे क्रांतिकारी युद्ध की वर्दियां और शेरमेन टैंक, से लेकर आधुनिक M1 अब्राम्स और गोल्डन नाइट्स पैराशूट प्रदर्शन शामिल थे। हालांकि, इसका ट्रंप के जन्मदिन के साथ मेल खाना और भारी खर्च विवाद का केंद्र बना। डेमोक्रेटिक नेताओं और कुछ दिग्गज समूहों ने इसे “अहंकारी-इन-चीफ” का प्रदर्शन कहा। वाशिंगटन में सुरक्षा के लिए 18 मील तक एंटी-स्केल फेंसिंग लगाई गई, और ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को “भारी बल” से दबाने की चेतावनी दी। इसने अमेरिका में सैन्य शक्ति और लोकतंत्र के बीच तनाव को और उजागर किया।
वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भ
यह परेड और विरोध ऐसे समय में हुए, जब मध्य-पूर्व में इजरायल-ईरान संघर्ष चरम पर है। ट्रंप ने 15 जून को ईरान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिका पर हमला किया, तो “अमेरिकी सेना की पूरी ताकत उस पर टूट पड़ेगी।” इस बयान ने परेड को वैश्विक मंच पर शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जाने की धारणा को और मजबूत किया। घरेलू मोर्चे पर, ‘No Kings’ आंदोलन ने ट्रंप की नीतियों—जैसे बड़े पैमाने पर निर्वासन, संघीय कार्यबल में कटौती, और भारत जैसे देशों को दी जाने वाली फंडिंग में कमी—के खिलाफ विरोध को तेज किया। परेड में ट्रंप के साथ मेलानिया ट्रंप, रक्षा सचिव पीट हेग्सेथ, और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस मौजूद थे, जिन्हें समर्थकों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया, जबकि विरोधी इसे लोकतंत्र के लिए खतरा मानते रहे।
निष्कर्ष: उत्सव और विरोध का टकराव
14 जून 2025 को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ और ट्रंप का 79वां जन्मदिन एक भव्य सैन्य परेड के साथ मनाया गया, लेकिन यह आयोजन गहरे विभाजन का प्रतीक बन गया। 350 करोड़ रुपये के खर्च और 6,600 सैनिकों की परेड ने ट्रंप के समर्थकों को उत्साहित किया, लेकिन ‘No Kings’ प्रदर्शनों ने लाखों अमेरिकियों की नाराजगी को दर्शाया। यह घटना ट्रंप के शासनकाल में सैन्य शक्ति, व्यक्तित्व पूजा, और लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच टकराव को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे ट्रंप का दूसरा कार्यकाल आगे बढ़ रहा है, यह परेड और इसके खिलाफ हुए विरोध अमेरिका के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं—एक ऐसा भविष्य जो उत्सव और असंतोष के बीच बंटा हुआ है।
